दुर्ग जिला के ग्राम पंचायत पंचदेवरी के निवासी अरुण कुमार लहरे के द्वारा ग्राम पंचायत पंचदेवरी के तत्कालीन सरपंच संतकुमारी सोनके के विरुद्ध अपने अधिवक्ता रोहित शर्मा के माध्यम से माननीय उच्च न्यायलय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत की गई| जिसकी सुनवाई उच्च न्यायलय के एकल के पीठ माननीय न्यायधीश श्री ए.के.प्रसाद जी के न्यायलय में संपन्न हुयी| याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने माननीय उच्च न्यायलय की एकल पीठ के समक्ष तर्क रखते हुए कहा गया की याचिकाकर्ता द्वारा सुचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत ग्राम पंचायत पंचदेवरी में हुए विभिन्न कार्य एवं नियुक्ति को लेकर जानकारी एकत्रित की गई| जिस पर याचिकाकर्ता द्वारा ग्राम पंचायत रजिस्टर, नगद बही, मस्टर रोल प्राप्त कर ग्राम पंचायत में हुयी घोर अनियमितता एवं तत्कालीन सरपंच द्वारा अपने करीबी को नियुक्ति देने जैसे तथ्य पाए गए| याचिकाकर्ता द्वारा तत्कालीन सरपंच के विरुद्ध अनुविभागीय अधिकारी भिलाई 03, जिला दुर्ग के समक्ष आवेदन पत्र अंतर्गत धारा-40 सहपठित धारा-92 छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 प्रस्तुत किया गया था| अनुविभागीय अधिकारी द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायात धमधा जिला दुर्ग को 07 कार्य दिवस के भीतर सम्बंधित प्रकरण में लगाये गए आरोपों पर जाँच कर जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया| मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायात धमधा द्वारा आवेदन पत्र पर वर्णित आरोपों की जाँच करने पर उक्त आरोप को सही पाया गया एवं तत्कालीन सरपंच के विरुद्ध जाँच निष्कर्ष एवं जाँच प्रतिवेदन को अनुविभागीय अधिकारी भिलाई 03 जिला दुर्ग के समक्ष प्रस्तुत किया गया| तत्पचत अनुविभागीय अधिकारी भिलाई 03 जिला दुर्ग द्वारा तत्कालीन सरपंच को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए सम्बंधित आरोपों सहित सरपंच पद पर बने रहना लोकहित में अवांछनीय बताया गया, अनुविभागीय अधिकारी द्वारा तत्कालीन सरपंच को अपना पक्ष रखने हेतु निर्देशित किया गया था जिसपर तत्कालीन सरपंच द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया की चूंकि तत्कालीन सरपंच का कार्यकाल समाप्त हो चूका है एवं नए सरपंच का निर्वाचन संपन्न हो गया है अतः उक्त आवेदन अंतर्गत धारा-40 सहपठित धारा-92 छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की कार्यवाही को समाप्त कर दिया जावे जिसपर अनुविभागीय अधिकारी द्वारा सम्बंधित आवेदन को नस्तीबद्ध कर दिया गया| अनुविभागीय अधिकारी द्वारा दिनांक 12.03.2025 को पारित आदेश से क्षुब्द होकर उक्त रिट याचिका प्रस्तुत की गई है| याचिकर्ता के अधिवक्ता द्वारा माननीय उच्च न्यायलय की एकल पीठ के समक्ष आगे तर्क रखते हुए कहा गया की अनुविभागीय अधिकारी द्वारा पारित आदेश विधि सम्मत ना होने एवं तत्कालीन सरपंच के विरुद्ध घोर अनियमितता एवं सगे-सम्बन्धी को नौकरी दिए जाने सम्बंधित साक्ष्य पाए जाने पर भी पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के अंतर्गत विगत 06 वर्ष के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर निष्कासन कार्यवाही नहीं किये जाने के कारण अनुविभागीय अधिकारी द्वारा पारित आदेश दिनांक 12.03.2025 निरस्त किये जाने योग्य है जिस पर माननीय उच्च न्यायलय की एकल पीठ के माननीय न्यायाधीश श्री ए.के.प्रसाद. द्वारा याचिकर्ता के अधिवक्ता द्वारा तर्क को सुनते हुए राज्य शासन एवं अन्य को नोटिस जारी कर विगत चार सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने कहा गया है एवं वही याचिकर्ता को उक्त जवाब के प्रस्तुत होने के पश्चात दो सप्ताह का समय पत्युत्तर प्रस्तुत करने हेतु प्रदान किया गया है|