दुर्ग।जिला दुर्ग के विधानसभा में दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर विधायक डोमनलाल कोसेवाड़ा द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता विकास कार्यों के प्रचार से अधिक असंतोष और नाराजगी की वजह से सुर्खियों में आ गई। अहिवारा विश्रामगृह में हुई इस प्रेस वार्ता में जहां विधायक ने करोड़ों के विकास कार्यों का दावा किया, वहीं मौके पर मौजूद पत्रकारों ने तीखे सवाल उठाते हुए नाराजगी जाहिर की।
विधायक डोमनलाल कोसेवाड़ा ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि उनके दो वर्षों के कार्यकाल में विभिन्न विभागों के माध्यम से 292 करोड़ 58 लाख 52 हजार रुपए की राशि से अहिवारा विधानसभा में विकास कार्य कराए गए हैं। उन्होंने सड़कों, भवन निर्माण, पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में कार्य होने का दावा किया।
लेकिन प्रेस वार्ता का माहौल उस समय बिगड़ गया जब पत्रकारों ने जमीनी हकीकत और कागजी विकास के बीच अंतर पर सवाल खड़े किए। पत्रकारों का कहना था कि यदि लगभग 300 करोड़ रुपए का विकास हुआ है तो आज भी कई वार्डों में टूटी सड़कें, अधूरी नालियां, गंदा पानी, जाम नालियां, स्ट्रीट लाइट बंद और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी क्यों बनी हुई है।
पत्रकारों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रेस वार्ता में विभागवार खर्च, कार्यों की सूची, एजेंसियों के नाम और गुणवत्ता की जानकारी स्पष्ट रूप से दी गई। कुछ पत्रकारों ने यह तक कहा कि प्रेस को केवल आंकड़े थमा दिए गए, लेकिन जमीनी सच्चाई पर चर्चा से बचा गया।
स्थानीय स्तर पर यह भी सवाल उठे कि कई योजनाएं आज भी अधूरी पड़ी हैं, जबकि उनका भुगतान पूरा हो चुका है। ठेकेदारों और अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए। पत्रकारों ने यह मुद्दा भी उठाया कि क्षेत्र की मूल समस्याएं—जैसे बेरोजगारी, अवैध शराब, अव्यवस्थित यातायात और जल संकट—पर कोई ठोस रोडमैप सामने नहीं रखा गया।
नाराज पत्रकारों का कहना था कि प्रेस वार्ता संवाद के बजाय एकतरफा उपलब्धि गिनाने तक सीमित रही। जब कठिन सवाल पूछे गए तो माहौल असहज हो गया। इससे साफ संकेत मिला कि विकास के दावों और जनता की अपेक्षाओं के बीच बड़ा अंतर है।
हालांकि विधायक ने सफाई देते हुए कहा कि वे मीडिया के हर सवाल का जवाब देने को तैयार हैं और विकास कार्यों में पारदर्शिता बरती गई है। लेकिन प्रेस वार्ता के अंत तक पत्रकारों की असंतुष्टि बनी रही।
कुल मिलाकर, दो वर्ष के कार्यकाल का यह कार्यक्रम उपलब्धियों से ज्यादा अव्यवस्थाओं और जवाबदेही के सवालों को उजागर कर गया। अब देखना यह होगा कि करोड़ों के विकास के दावों के बाद क्या जमीनी समस्याओं पर ठोस कार्रवाई होती है या फिर यह प्रेस वार्ता भी केवल एक आंकड़ों तक सीमित आयोजन बनकर रह जाएगी।







