सूरजपुर जिले के खाड़ापारा गांव के हालात चिंताजनक
आशीष साहू कि रिपोर्ट, सूरजपुर जिले के खाड़ापारा गांव में काफी मशक्कत और विरोध प्रदर्शनों के बाद आखिरकार प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड की खदान खुल पाई थी।
हालांकि, खदान शुरू होने से पहले ही यह कंपनी विवादों के घेरे में रही है। कई बार ग्रामीणों ने खदान खोलने के खिलाफ धरना और प्रदर्शन भी किए, लेकिन कंपनी के द्वारा दिए गए आश्वासन और वादों के भरोसे अंततः खदान शुरू कर दी गई।
ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी ने खदान खोलने से पहले वादा किया था कि —
गांव में विकास होगा,
स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा,
बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा और
स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
लेकिन हकीकत इसके बिलकुल विपरीत साबित हुई। ग्रामीणों को विकास की जगह परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
आज भी कंपनी के संचालन के बाद कई बार ग्रामीण धरना-प्रदर्शन और घेराव करते नजर आते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी न तो समस्याओं पर ध्यान देती है और न ही समाधान की दिशा में कोई कदम उठाती है।
ग्रामीणों की उम्मीदें – जो पूरी नहीं हुईं
1. स्थानीय लोगों को रोजगार
2. अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं
3. बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
4. सड़क और मूलभूत सुविधाओं का विकास
वास्तविकता – जो सामने आई
1. भारी ब्लास्टिंग से ग्रामीणों के घरों में दरारें
2. रोजगार की कमी – स्थानीय युवाओं को नहीं मिल रहा लाभ
3. सड़कें बदहाल, जगह-जगह गड्ढों में तब्दील
4. बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर बुरा असर
5. सूरजपुर-भैयाथान मार्ग पर उड़ती धूल और प्रदूषण
ग्रामीणों का कहना है कि खदान खुलने से आम जनता को कोई फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ही हुआ है।
अब सवाल उठता है —
क्या खदान खुलने का लाभ सिर्फ बड़े व्यापारियों को मिला?
या फिर विकास के नाम पर ग्रामीणों को सिर्फ धूल, शोर और परेशानी ही नसीब हुई?