ubc24.news

संजय थुल कि एतिहासिक उपलब्धि सभी सरकारी कर्मचारियों (सैन्य क्षेत्र को छोड़कर) के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन (एसीआर) की प्रविष्टियाँ, चाहे वे खराब, औसत, अच्छी या बहुत अच्छी हों, उन्हें उचित समय के भीतर कर्मचारी को सूचित करना अनिवार्य है।

सूचना का अधिकार अधिनियम: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सफल कार्यान्वयनछत्तीसगढ़ के रायपुर में रहने वाले संजय थुल, जो कस्टम्स एंड सेंट्रल एक्साइज एससी/एसटी एंड ओबीसी एम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम का उपयोग कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। उनकी दृढ़ता और कानूनी जागरूकता ने छत्तीसगढ़ सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के एक महत्वपूर्ण निर्णय को लागू करने के लिए प्रेरित किया, जिसने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा दिया।पृष्ठभूमिसर्वोच्च न्यायालय ने 12 मई 2008 को देव दत्त बनाम भारत संघ (सिविल अपील नंबर 7631/2002) मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस निर्णय में कोर्ट ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को स्थापित करते हुए कहा कि सभी सरकारी कर्मचारियों (सैन्य क्षेत्र को छोड़कर) के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन (एसीआर) की प्रविष्टियाँ, चाहे वे खराब, औसत, अच्छी या बहुत अच्छी हों, उन्हें उचित समय के भीतर कर्मचारी को सूचित करना अनिवार्य है। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत राज्य की कार्रवाई में गैर-मनमानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया था। केंद्र सरकार ने इस निर्णय को लागू करते हुए 14 मई 2009 और 23 जुलाई 2009 को आदेश जारी किए। हालांकि, छत्तीसगढ़ सरकार ने इस निर्णय को लागू करने में देरी की।संजय थुल की पहलसंजय थुल ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के कार्यान्वयन की स्थिति जानने के लिए आरटीआई अधिनियम का सहारा लिया। 23 नवंबर 2009 को, उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के राज्य लोक सूचना अधिकारी (एसपीआईओ) को एक आवेदन दायर किया, जिसमें निम्नलिखित जानकारी मांगी:क्या छत्तीसगढ़ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का निर्�

Exit mobile version