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वंचित वर्ग के उत्थान और जनसुविधाओं के विस्तार के लिए सरकार निरंतर प्रतिबद्ध – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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गंगरेल डुबान क्षेत्र की 11 मछुआ सहकारी समितियों को मिला मछली पालन का पुनः हक

मुख्यमंत्री साय ने डुबान क्षेत्र में एम्बुलेंस और राष्ट्रीय बैंक शाखा शीघ्र खोलने का दिया आश्वासन

स्वच्छ भारत मिशन, जनधन योजना और आवास योजना से लोगों के जीवन में आया बदलाव

रायपुर, गंगरेल बांध डुबान क्षेत्र की मछुआ सहकारी समितियों को पुनः मछली पालन का हक मिलने पर प्रभावित समितियों के सदस्यों ने विगत दिवस मुख्यमंत्री निवास पहुँचकर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का आभार जताते हुए अभिनंदन किया। इस अवसर पर गंगरेल डुबान क्षेत्र के तीन जिलों—धमतरी, कांकेर और बालोद की 11 मछुआ सहकारी समितियों के सदस्यगण उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस मौके पर ग्रामीणों की मांग पर डुबान क्षेत्र में जनसुविधा हेतु एक एम्बुलेंस उपलब्ध कराने और राष्ट्रीय बैंक की शाखा शीघ्र खोले जाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि गरीबों और वंचितों के उत्थान के लिए हमारी सरकार लगातार प्रयासरत है। विभिन्न शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से आम जनता को उनका अधिकार दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर ही स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हों और लोग सीधे लाभान्वित हो सकें।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर में शौचालय निर्माण को बढ़ावा देकर बेटियों और महिलाओं को सम्मान दिलाने का कार्य किया है। आज स्वच्छ भारत मिशन एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है। इसी प्रकार प्रधानमंत्री जनधन योजना के माध्यम से आम नागरिकों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा गया है और विभिन्न योजनाओं का लाभ अब सीधे डीबीटी के माध्यम से हितग्राहियों तक पहुँच रहा है। इस व्यवस्था ने बिचौलियों की भूमिका समाप्त की है और भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने महिला स्व-सहायता समूहों को पुनः रेडी-टू-ईट कार्य का जिम्मा सौंपा है, जिससे महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक वर्ग के उत्थान और सम्मान के लिए हमारी सरकार सतत कार्य कर रही है।

इस अवसर पर धमतरी महापौर श्री रामू रोहरा एवं पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष श्रीमती हर्षिता पांडेय उपस्थित थीं। कार्यक्रम में गंगरेल बांध डुबान क्षेत्र की 11 मछुआ समितियों में ग्राम उरपुरी, तेलगुड़ा, मोगरागहन, कोलियारी पुराना, कोलियारी नया, गंगरेल, फुटहामुड़ा, तुमाबुजुर्ग, अलोरी, भिलाई एवं देवीनवागांव के सदस्यगण सहित अन्य गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री श्री साय से ग्रैंडमास्टर प्रवीण महादेव थिप्से ने की सौजन्य भेंट

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मुख्यमंत्री श्री साय से ग्रैंडमास्टर प्रवीण महादेव थिप्से ने की सौजन्य भेंट

रायपुर, 15 सितंबर 2025/ मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से विगत दिवस राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में भारत के अंतर्राष्ट्रीय शतरंज खिलाड़ी एवं ग्रैंडमास्टर प्रवीण महादेव थिप्से ने सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री श्री साय ने श्री थिप्से की खेल प्रतिभा और उपलब्धियों की सराहना करते हुए उनकी प्रशंसा की। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के महासचिव श्री विक्रम सिसोदिया सहित संघ के अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि प्रवीण महादेव थिप्से शतरंज में ग्रैंडमास्टर की उपाधि प्राप्त करने वाले खिलाड़ी हैं और राष्ट्रमंडल शतरंज चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय भी हैं। उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।


प्रत्येक मामले के पीछे एक मानवीय कहानी होती है संघर्ष की, आशा की, और न्यायपालिका में विश्वास की-मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा

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रायपुर, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा बस्तर संभाग के न्यायिक अधिकारियों के लिए एक दिवसीय संभागीय न्यायिक सेमिनार का आयोजन प्रेरणा हॉल, कलेक्टरेट भवन, जगदलपुर में किया गया। इस सेमिनार में बस्तर संभाग के चार जिलों जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव के 43 न्यायिक अधिकारियों ने भाग लिया।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा एवं मुख्य संरक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी ने वर्चुअल माध्यम से सत्र का उद्घाटन किया। सेमिनार में श्री अमितेंद्र किशोर प्रसाद, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, पोर्टफोलियो न्यायाधीश, जिला कांकेर की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।

मुख्य न्यायाधीश ने बस्तर संभाग के न्यायिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में न्यायपालिका से अपेक्षाएँ बहुत अधिक हैं। लोग हमसे अत्यधिक आशा रखते हैं। यह सेमिनार केवल सीखने का मंच ही नहीं, बल्कि न्याय, निष्पक्षता और विधि के शासन के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि भी है।

मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा कि न्यायिक शिक्षा एक बार की प्रक्रिया नहीं है; बल्कि यह सतत प्रक्रिया है। आज के दौर में जहाँ कानून तेजी से विकसित हो रहे हैं और समाज नई चुनौतियों का सामना कर रहा है, वहाँ न्याय के संरक्षक होने के नाते हमें निरंतर अपने ज्ञान को समृद्ध करना और अपनी न्यायिक क्षमता को धार देना अनिवार्य है। सतत प्रशिक्षण सुनिश्चित करता है कि हम अपने संवैधानिक दायित्वों को दक्षता, ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ निभा सकें।

मुख्य न्यायाधीश ने आगे यह भी कहा कि बस्तर क्षेत्र अपने विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य के साथ न्यायपालिका के लिए चुनौतियाँ और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है। हमारा दायित्व है कि न्याय समाज के हर कोने तक पहुँचे, विशेष रूप से वंचित और कमजोर वर्गों तक। यहाँ के न्यायिक अधिकारियों की भूमिका जनता के विश्वास को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है कि न्याय न केवल किया जाए, बल्कि होता हुआ भी दिखाई दे।

मुख्य न्यायाधीश ने सभी न्यायिक अधिकारियों से आग्रह किया कि वे सहानुभूति, धैर्य और निष्पक्षता के साथ न्यायिक कार्य करें। याद रखें, प्रत्येक मामले के पीछे एक मानवीय कहानी होती है संघर्ष, आशा और न्यायपालिका में विश्वास की। हमें सदैव यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि न्याय समय पर, पारदर्शी और तर्कपूर्ण तरीके से दिया जाए।

अंत में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस प्रकार के सेमिनार समकालीन विधिक मुद्दों पर विचार-विमर्श, अनुभवों के आदान-प्रदान और श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों को अपनाने का मूल्यवान अवसर प्रदान करते हैं। इस सेमिनार में हुई चर्चाएँ न्यायिक अधिकारियों की दक्षता को बढ़ाएँगी और उन्हें न्यायिक कार्य की जटिलताओं को और अधिक कुशलता से संभालने योग्य बनाएँगी।

इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के प्रभारी रजिस्ट्रार जनरल, रजिस्ट्री अधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़े थे। कांकेर, कोंडागांव, जगदलपुर एवं दंतेवाड़ा के जिलों के न्यायिक अधिकारी उपस्थित थे। स्वागत भाषण प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जगदलपुर द्वारा दिया गया, परिचयात्मक उद्बोधन छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के निदेशक ने तथा धन्यवाद ज्ञापन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जगदलपुर द्वारा किया गया।

सेमिनार में बस्तर संभाग के कुल 43 न्यायिक अधिकारियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों द्वारा परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के मामलों की कार्यवाही का अवलोकन तथा इनके निपटारे हेतु नवीन उपकरण और तकनीकें, मध्यस्थता में रेफरल जज की भूमिका, डिक्री का क्रियान्वयन गिरफ्तारी एवं सिविल कारागृह में निरुद्धि तथा संपत्ति की कुर्की द्वारा समयबद्ध और प्रभावी प्रवर्तन हेतु रणनीतियाँ, सलाखों के पीछे या स्वतंत्र रिमांड और जमानत के प्रावधानों का गहन विश्लेषण, माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के नवीनतम निर्णयों के विशेष संदर्भ के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिए गए।


एक ही जमीन पर दर्ज परिवारों को अलग-अलग मिलेगा पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ

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छत्तीगसढ़ में 25 लाख 47 हजार किसान परिवार हो रहे हैं लाभान्वित

रायपुर, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार यदि एक ही भूमि खाता (सिंगल लैण्डहोल्डिंग) में कई किसान परिवारों के नाम दर्ज हैं, तब भी प्रत्येक पात्र परिवार को अलग-अलग प्रतिवर्ष 6000 रूपए तक का लाभ प्राप्त करने का अधिकार होगा। बशर्तें वे योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार पात्र हो। प्रत्येक परिवार को न्यूनतम 6,000 रूपए वार्षिक की वित्तीय सहायता सीधे उनके खाते में उपलब्ध कराई जाएगी।

योजना की पात्रता शर्तों के तहत ‘किसान परिवार’ का अर्थ पति-पत्नी और अवयस्क बच्चों से है। यदि एक ही भूमि खाते से कई परिवार जुड़े हुए हैं, तो योजना का लाभ खाता संख्या से नहीं बल्कि परिवार की इकाई के आधार पर दिया जाएगा। इस प्रकार एक भूमि खाता साझा करने वाले अलग-अलग परिवारों को भी स्वतंत्र रूप से यह सहायता राशि प्राप्त होगी।

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य देशभर के छोटे और सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। राशि तीन समान किस्तों में दी जाती है, प्रत्येक किस्त 2,000 रूपए की होती है। छत्तीसगढ़ राज्य में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत फरवरी 2025 में 20वीं किश्त के रूप में राज्य के 25.47 लाख किसानों को 553 करोड़ 34 लाख रूपए की सम्मान निधि प्रदान की गई थी। इस योजना से देश के करोड़ों किसान परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। सम्मान निधि पात्र किसानों को ही प्राप्त हो इसके लिए पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ ही किसान सम्मान निधि की राशि सीधे पात्र किसानों के बैंक खातों में अंतरित की जाती है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कोई भी पात्र किसान परिवार इस योजना से वंचित न रहे, इसके लिए राज्यों और जिलों को नियमित रूप से पात्रता की जाँच कर लाभार्थियों को जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ सभी किसानों को नहीं मिलता। सरकार ने कुछ श्रेणियों को इस योजना से बाहर रखा है। इनमें सभी संस्थागत भूमि धारक, संवैधानिक पदों के पूर्व और वर्तमान धारक, सांसद, विधायक, मंत्री, महापौर और जिला पंचायत अध्यक्ष शामिल हैं। केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालयों व विभागों के अधिकारी-कर्मचारी (चतुर्थ श्रेणी को छोड़कर) तथा 10,000 रुपये या उससे अधिक पेंशन पाने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारी भी योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं है। इसके अलावा आयकरदाता परिवार भी इस योजना के दायरे से बाहर है। योजना का उद्देश्य है कि केवल वास्तविक छोटे और मध्यम किसान परिवारों को हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा सके।


नई उद्योग नीति में बस्तर संभाग पर विशेष तौर पर फोकस : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

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नरहरपुर में आयोजित ठाकुर जोहारनी कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री: क्षेत्रवासियों को दी विभिन्न सौगात

रायपुर,मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज कांकेर जिले के नरहरपुर में आदिवासी समाज द्वारा आयोजित ठाकुर जोहारनी कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उनके साथ झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने ठाकुर जोहारनी कार्यक्रम में आदिवासी समाज के ईष्ट आराध्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि नई उद्योग नीति में आदिवासी विकास को प्राथमिकता देते हुए बस्तर सहित सरगुजा को विशेष तौर पर फोकस किया गया है, ताकि यहां के निवासियों को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़कर उन्हें अधिकतम लाभ दिलाया जा सके। ब्लॉक मुख्यालय नरहरपुर के उन्मुक्त खेल मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री साय ने आदिवासी समाज के ईष्ट देवी-देवताओं का जयघोष करते हुए उपस्थित लोगों को ठाकुर जोहारनी और नवाखाई की बधाई दी। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की यह अनूठी परंपरा आगे भी जीवित रहनी चाहिए और समाज की एकजुटता हमेशा बनी रहनी चाहिए।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के युवा आगे बढ़ें, सुशिक्षित बनें, इसके लिए पूरे प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू की गई है। उन्होंने बताया कि आईआईटी, आईआईएम, ट्रिपल आईआईटी जैसी राष्ट्रीय स्तर की उच्च शिक्षण संस्थाएं प्रदेश में संचालित हैं, जिससे गुणवत्तापूर्ण और रोजगारपरक शिक्षा उपलब्ध हो सके। इसी तरह प्रयास और एकलव्य जैसे श्रेष्ठ संस्थानों के माध्यम से भी लगातार सुधार के प्रयास हो रहे हैं। दिल्ली में ट्राइबल यूथ हॉस्टल संचालित है और प्रदेशभर में नालंदा परिसर स्थापित किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि सुरक्षा बलों को माओवाद के विरुद्ध अभियान में लगातार बड़ी सफलताएँ मिल रही हैं। उन्होंने 31 मार्च 2026 तक माओवाद के खात्मे का संकल्प दोहराया। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की मंशानुरूप, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के सहयोग से पशुपालन, मुर्गीपालन जैसी रोजगारमूलक गतिविधियों से लोगों को जोड़ने का कार्य प्रदेश सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के पारिश्रमिक में वृद्धि, चरणपादुका वितरण, रामलला दर्शन योजना सहित ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता और सुगमता लाने के लिए अटल डिजिटल सेवा केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार की पीएम जनमन योजना और धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान के माध्यम से आदिवासियों के सतत् और समग्र विकास को अमलीजामा पहनाया जा रहा है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह हमारा उत्सव का कार्यक्रम है। जल, जंगल, जमीन और अपनी परंपराओं, लोकनृत्य, गीत, मांदर और मृदंग के साथ जीने वाले आदिवासियों की अपनी विशिष्ट पहचान है। उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों को मजबूत करते हुए स्वास्थ्य, शिक्षा और अधिकारों के प्रति सजग रहना नितांत आवश्यक है।

कार्यक्रम को सांसद श्री भोजराज नाग, कांकेर विधायक श्री आशाराम नेताम और केशकाल विधायक श्री नीलकंठ टेकाम सहित गोंडवाना समाज के संभागीय अध्यक्ष श्री सुमेर सिंह नाग, जिला अध्यक्ष श्री राजेश भास्कर तथा श्री राजाराम तोड़ेम ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने नरहरपुर क्षेत्र के लिए अनेक घोषणाएँ भी कीं। इनमें 30 करोड़ की लागत से बागोड़ एनीकट का निर्माण, नरहरपुर में 132 केवी विद्युत सब स्टेशन स्थापना हेतु 30 करोड़ रुपये, नरहरपुर में मावा मोदोल लाइब्रेरी के लिए 20 लाख रुपये, ग्राम ढोढ़रापहार में गोंडवाना सामुदायिक भवन निर्माण हेतु 20 लाख रुपये, नरहरपुर में मोबाइल टॉवर की स्थापना, नरहरपुर में सर्वसुविधायुक्त विश्राम गृह निर्माण के लिए 80 लाख रुपये और नरहरपुर विकासखंड के गोंडवाना समाज के सभी 12 मुड़ा क्षेत्रों में 12 टीन शेड निर्माण हेतु 10–10 लाख रुपये के मान से कुल 1 करोड़ 20 लाख रुपये स्वीकृत करने की घोषणा शामिल हैं। इसके अतिरिक्त ग्राम धनेसरा में गोंडवाना समाज द्वारा संचालित जंगोरायतार इंग्लिश मीडियम स्कूल हेतु आवश्यक सहयोग की घोषणा भी की गई।

कार्यक्रम में वन मंत्री श्री केदार कश्यप, कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री भोजराज नाग, कांकेर विधायक श्री आशाराम नेताम, अंतागढ़ विधायक श्री विक्रम उसेंडी, केशकाल विधायक श्री नीलकंठ टेकाम, प्रदेश मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री भरत मटियारा, नगरपालिका परिषद कांकेर के अध्यक्ष श्री अरुण कौशिक, कलेक्टर श्री निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर, जिला पंचायत के सीईओ श्री हरेश मंडावी और समाज के प्रमुखजन सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय से 26 अग्निवीरों ने की सौजन्य मुलाकात

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प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगी आपकी सफलता : मुख्यमंत्री श्री साय

रायपुर,मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय से आज बलरामपुर जिले के चयनित 26 अग्निवीरों ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने सभी युवाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, गांव और जिले के लिए गौरव की बात है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ राज्य के लिए गर्व का विषय है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि अग्निवीर योजना युवाओं को सेना में शामिल होकर देशसेवा का सुनहरा अवसर प्रदान कर रही है। उन्होंने चयनित युवाओं को बधाई देते हुए कहा कि अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा और देशप्रेम की भावना से ही सफलता की नई ऊँचाइयाँ प्राप्त की जा सकती हैं। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि सेना में शामिल होकर ये युवा सीमाओं की रक्षा करेंगे और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगे।

इस अवसर पर बलरामपुर जिले के चयनित अग्निवीरों में पिंकू पैकरा, जिन्दल, विकाश पैकरा, प्रकाश सिंह, खेल साय, आर्यन, देव नंन्दन पन्ना, नरेन्द्र यादव, रंजीत केरकेट्टा, रमेश पैकरा, प्रियांशु, सनोज, निकिता नरसिंह, शशि किरण, सोहन लाल, महेन्द्र पैकरा, मिथलेश पैकरा, छोंटू, बज्जू पैकरा, पंकज, विवेक पैकरा, विधायक पैकरा, किशुन पैकरा, सोभनाथ पैकरा, अमित कुजूर और एंजेल लकड़ा शामिल रहे।

मुख्यमंत्री ने अतिथि शिक्षक श्री सुदर्शन यादव और उनकी टीम के निःशुल्क सेना भर्ती प्रशिक्षण के उल्लेखनीय प्रयासों की भी सराहना की। उनके प्रशिक्षण से लाभान्वित 30 युवाओं में से 26 युवा अग्निवीर भर्ती में चयनित हुए हैं।


मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने की सामुदायिक पर्यटन की नई पहल

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जशपुर के पाँच ग्रामों में होम-स्टे की शुरुआत, स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को मिलेगा वैश्विक मंच

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज जशपुर जिले में सामुदायिक पर्यटन की एक नई पहल की शुरुआत की। मुख्यमंत्री ने कैंप कार्यालय से जशपुर के पाँच ग्रामों-देओबोरा, केरे, दनगरी, छिछली और घोघरा में होम-स्टे योजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार पर्यटन क्षेत्र को एक उद्योग के रूप में विकसित करने के लिए कृत संकल्पित है। होम-स्टे नीति न केवल पर्यटन को नई पहचान देगी, बल्कि स्थानीय युवाओं और समुदायों के लिए रोजगार और उद्यमशीलता के अवसर भी प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि आदिवासी संस्कृति, परंपराएँ, खान-पान और जीवन शैली को लेकर अन्य प्रदेशों और देशों के लोगों में गहरी जिज्ञासा रहती है। होम-स्टे के माध्यम से पर्यटकों को सीधे गाँवों में रहकर स्थानीय संस्कृति, पूजन पद्धति और सादगी का अनुभव करने का अवसर मिलेगा, जो उनके लिए अविस्मरणीय साबित होगा। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि यह पहल जशपुर को न केवल पर्यटन के नक्शे पर एक नई पहचान दिलाएगी, बल्कि स्थानीय संस्कृति और समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षण प्राप्त पर्यटन मित्रों को प्रमाण पत्र वितरित किए। यह प्रशिक्षण सामुदायिक पर्यटन और होम-स्टे विकास पर आधारित था, जिससे संबंधित ग्रामों को इको-टूरिज्म गंतव्य के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी।

कार्यक्रम में विधायक श्रीमती रायमुनी भगत ने कहा कि जशपुर का मकरभंजा जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे ऊँचें जलप्रपात में से एक है, और इसके साथ जिले के अनेक झरने व दर्शनीय स्थल जशपुर को पर्यटन की दृष्टि से अनोखा बनाते हैं। विधायक श्रीमती गोमती साय ने कहा कि जशपुर प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है और यहाँ आने वाले पर्यटक जीवनभर इस जगह की यादों को संजोए रखते हैं।

कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय, कलेक्टर श्री रोहित व्यास, पुलिस अधीक्षक श्री शशिमोहन सिंह, जिला पंचायत सीईओ श्री अभिषेक कुमार, डिप्टी कलेक्टर श्री समीर बड़ा सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और ग्रामीण उपस्थित रहे।


जशपुर में कृषि क्रांति लाने मुख्यमंत्री ने किसान कॉल सेंटर का किया शुभारम्भ

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क्यू आर कोड स्कैन कर किसान सीधे बेच सकेंगे अपनी फसल बिचौलियों से मिलेगी निजात

रायपुर, जिले के किसानों के हित में चलाई जाने वाले कृषि क्रांति अभियान अंतर्गत आज किसान कॉल सेंटर एग्रीबिड और बाजार व्यवस्था को सरल बनाने के उद्देश्य से क्यू आर कोड आधारित जी कॉम इंडिया का शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा अपने बगिया स्थित निज निवास कार्यालय से किया गया। इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष श्रीमती गोमती साय, विधायक जशपुर श्रीमती रायमुनी भगत, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि जिले में कृषि के साथ उद्यानिकी फसलों के लिए भी उपयुक्त वातावरण उपलब्ध है। वर्तमान में जिले में आम, लीची, नाशपाती के साथ चाय, टाऊ, कटहल जैसी फसलों का भी बहुतायत में उत्पादन हो रहा है। ऐसे में किसानों के पास बाजारों के विकल्प के ना होने से उन्हें औने पौने दामों में अपनी फसलों को बिचौलियों को बेचना पड़ता था, अब क्यू आर कोड के माध्यम से सीधे उपार्जकों तक पहुंच एवं बेचने की व्यवस्था होने से जिले के किसान देश के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति को अपनी फसल को बेच सकेंगे, जिससे किसानों को अनावश्यक बिचौलियों, कोचियों जैसे लोगों से छुटकारा मिलेगा और उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य प्राप्त होगा। कॉल सेंटर से किसानों को विशेषज्ञों द्वारा किसी भी समस्या पर सहायता प्राप्त होगी। इन दोनों पहलों से कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा और किसानों को उचित मूल्य मिलने से किसानों की आय में वृद्धि होगी।

उन्होंने बताया कि एनडीडीबी के साथ मिलकर दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के 06 जिलों में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत उत्तम किस्म के दुधारू पशुओं के वितरण के साथ ग्रामीणों को पशुपालन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष श्रीमती गोमती साय ने कहा कि किसानों के लिए प्रारम्भ किया गया कॉल सेंटर जिले में कृषि के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा, किसानों को इसके दूरगामी परिणाम प्राप्त होंगे। विधायक जशपुर श्रीमती रायमुनी भगत ने कहा कि जिले में नाशपाती, लीची के साथ कटहल की फसल भी बहुतायत में होती है। जिसके प्रसंस्करण और विकास के लिए जशपुर में विगत दिनों कटहल मेला भी आयोजित किया गया था। ऐसे में इन नवीन पहलों से किसान उत्पादन के साथ उचित मूल्य पर उत्पादों का निर्यात भी कर सकेंगे।

किसानों को शैक्षणिक भ्रमण हेतु मुख्यमंत्री ने दिखाई हरी झंडी

किसानों को नवाचारी कृषि और कृषि के विकास हेतु प्रोत्साहित करने के लिए कृषि क्रांति एवं आत्मा योजनांन्तर्गत 35 कृषकों के दल को रायपुर एवं दुर्ग के शैक्षणिक भ्रमण हेतु मुख्यमंत्री श्री साय द्वारा हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया। इसमें कुनकुरी के 15 एवं कांसाबेल के 20 किसान शामिल हैं। यह किसान वहां जाकर वैज्ञानिक पद्धति से खेती और खाद्य प्रसंस्करण के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे, जिसे वे जिले में आकर अपना सकेंगे। बीएनआर सीड रायपुर एवं इंडस मेगा फूड पार्क रायपुर द्वारा इस भ्रमण में कृषकों को जानकारी प्रदान की जाएगी।

किसान कॉल सेंटर में 08069378107 नम्बर पर किसानों को मिलेगी सहायता

इस किसान कॉल सेंटर के माध्यम से जिले के किसान खेती से जुड़े प्रश्नों एवं समास्याओं का समाधान विशेषज्ञों द्वारा प्राप्त कर पाएंगे। इसके लिए आज मुख्यमंत्री श्री साय के समक्ष जिला प्रशासन एवं एग्रिबिड के मध्य एमओयू पर भी हस्ताक्षर किया गया। इस कॉल सेंटर से किसानों को विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्रदान करने के साथ योजना का लाभ लेने हेतु लोगों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा। इसके माध्यम से किसान अपनी समस्याओं को भी बिना किसी देरी के अधिकारियों तक पहुंचा सकेंगे, जिससे किसानों को उनकी छोटी छोटी समस्याओं का सीधा निराकरण प्राप्त हो सकेगा। इसके लिए 12 विशेषज्ञों का दल कार्य करेगा, जिसमें विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक एवं अन्य कृषि विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो कॉल, मैसेज, व्हाट्सप्प द्वारा किसानों से जुड़ेंगे। किसानों को केवल कॉल सेंटर के नम्बर 08069378107 पर सम्पर्क करना होगा।

जिले के किसानों की उत्पादों कोे पूरे देश से मिलेंगे खरीददार

जी कॉम इंडिया के क्यू आर कोड से देश के किसी भी कोने के क्रेता से जिले के किसान से सीधे संपर्क कर व्यापार कर पाएंगे। जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे इस अभियान से जिले के किसानों को स्थानीय मंडी पर निर्भर ना रहते हुए पूरे देश की सभी मंडियों से संपर्क हो सकेगा। देश के किसी भी कोने में बैठे खरीददार ऐप के माध्यम से किसान के पास उपलब्ध उत्पाद की जानकारी प्राप्त करने के साथ साथ उनसे संपर्क कर व्यवसाय कर सकेंगे। इस ऐप के माध्यम से यदि किसी व्यक्तिगत किसान के पास उत्पाद की मात्रा उपलब्ध ना हो तो वह समुदाय के अपने साथी किसानों के पास उपलब्ध मात्रा को जोड़कर क्रेता को उपलब्ध करा सकते हैं, इससे सभी का सामूहिक विकास सुनिश्चित होगा। इस अभियान से किसानों को धान के साथ साथ उनकी तिलहन, दलहन, नगदी फसलों को घर बैठे उचित मूल्य प्राप्त होगा। किसान को केवल अपने पास उपलब्ध फसलों की मात्रा और उसकी जानकारी उपलब्ध करानी होगी।


प्रकृति और संस्कृति का संगम है जशपुर : मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री ने कैम्प कार्यालय बगिया में ’जशपुर पर्यटन एवं कृषि क्रांति’ का किया शुभारंभ

जशपुर जम्बूरी से जिले के पर्यटन को मिल रही नयी पहचान, नए सीजन का आयोजन 06 से 09 नवंबर तक

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज रविवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय बगिया में पर्यटन एवं कृषि क्रांति का शुभारंभ किया। जशपुर पर्यटन एवं कृषि क्रांति इको टूरिज्म और होमस्टे से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम जशपुर के स्व सहायता समूह और किसानों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। इस अवसर पर झारखंड सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा, सरगुजा आदिवासी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष और पत्थलगांव विधायक श्रीमती गोमती साय, जशपुर विधायक श्रीमती रायमुनि भगत, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय, कलेक्टर श्री रोहित व्यास, एस एस पी श्री शशि मोहन सिंह, जिला पंचायत सीईओ श्री अभिषेक कुमार, सुनील गुप्ता, मुकेश शर्मा सहित जनप्रतिनिधिगण और बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने रविवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय जशपुर में आयोजित कार्यकम को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ विकास के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर सबका साथ सबका विकास को चरितार्थ किया जा रहा हैं। मुख्यमंत्री ने जशपुर जिले में पर्यटन के क्षेत्र में कार्य करने वाले स्व सहायता समूह और युवाओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नए दायित्वों और जिम्मेदारियों की वजह से अब ज्यादातर समय मुझे जशपुर से बाहर रहना पड़ता है, लेकिन जशपुर निरंतर आता रहूंगा और विकास के क्षेत्र में बेहतर कार्य करते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद जशपुर जम्बूरी के जरिए जशपुर को पर्यटन के नक्शे पर नयी पहचान दिलाने की पहल की गई है। वर्ष 2024 में हुए जशपुर जम्बूरी में हमारे पड़ोसी राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लेने और उस अवसर का गवाह बनने पहुँचे। जशपुर जम्बूरी में न सिर्फ ईको-टूरिज्म और एडवेंचर स्पोर्ट के लिए लोगों ने नया महौल दिया, बल्कि जनजातीय परम्पराओं से भी रूबरू कराया गया। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि सांस्कृतिक प्रदर्शन, स्थानीय व्यंजनों का मेला और जनजातीय नृत्यों ने पर्यटकों को आकर्षित किया, जिससे स्थानीय कारीगरों और गाइड्स को रोजगार मिला।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक बार फिर जशपुर जम्बूरी के नए सीजन का आयोजन होने जा रहा है। जिसमें आगामी 6 से 9 नवम्बर तक देश, दुनिया के लोग यहाँ पहुँचकर रोमांच, कला और सामुदायिक अनुभवों से परिचित हो पाएँगे। जशपुर की मिट्टी की खुशबू को जीवंत करने के लिए कर्मा, सरहुल जैसे जनजातीय नृत्य के साथ गोदना कला, काष्ट शिल्प और लौह शिल्प जैसे हस्तशिल्प की प्रदर्शनी और लोकनाट्य पर आधारित सांस्कृतिक संध्या आयोजित की जाएगी। इससे न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और प्रसार होगा, बल्कि स्थानीय कला और हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान भी मिलेगी। जशपुर जम्बूरी एक ऐसा उत्सव है जो प्रकृति, संस्कृति और विकास को एक सूत्र में पिरोता है। यह आयोजन जशपुर की प्राकृतिक सुंदरता, जनजातीय विरासत और आधुनिक विकास को एक साथ पेश करता है। जशपुर जंबूरी केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आर्थिक सशक्तीकरण का माध्यम भी है।

उन्होंने कहा कि स्वदेश दर्शन योजना के तहत मयाली नेचर कैंप में बोटिंग, कैक्टस गार्डन और टेंट सुविधाएँ जोड़ी गई हैं। यहाँ के पर्यटक स्थल अब बेहतर सुविधाओं से सजे हैं, मयाली में सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग मधेश्वर पहाड़ को गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है जो जशपुर को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम टूरिज्म सेक्टर को एक उद्योग के रूप में देख रहे हैं, जिससे स्थानीय उद्यमशीलता बढ़ेगी। राज्य में होम-स्टे नीति लागू की है ताकि पर्यटक जनजातीय संस्कृति को जानना-समझना चाहते हैं। उनके भीतर आदिवासी संस्कृति, परम्पराओं, उनके खान-पान, रहन-सहन को लेकर एक जिज्ञासा और उत्सुकता रहती है। ऐसे में होम-स्टे छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में विकास की नयी अवधारणा है, जिसमें स्थानीय समुदायों को रोजगार के बेहतर अवसर मिल रहा है। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। जशपुर जम्बूरी जैसे उत्सव से स्थानीय होम-स्टे, गाइड्स और शिल्पकारों को सीधा लाभ होगा। उन्होंने कहा कि जशपुर जम्बूरी को एक वार्षिक महोत्सव के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भी जशपुर आकर्षण का बड़ा केन्द्र बन पाए। जीआईएस (GIS) मैपिंग और डिजिटल मार्केटिंग से जशपुर की पहुँच बढ़ेगी। यहाँ युवाओं और पर्यटन से जुड़े सभी लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे वैश्विक मानकों पर खरे उतर सकें।

कार्यकम में सरगुजा आदिवासी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष और पत्थलगांव विधायक श्रीमती गोमती साय, जशपुर विधायक श्रीमती रायमुनि भगत और जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सालिक साय ने भी संबोधित किया और जशपुर के विकास, पर्यटन के क्षेत्र और कृषि क्रांति की विस्तार से जानकारी दी।

*दूसरी जम्बूरी 6 से 9 नवम्बर तक, पहली 2024 में हुई*
जशपुर जम्बूरी जशपुर की वादियों और झरनों के बीच हर साल एक ऐसा उत्सव मनाया जाता है, जो केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि इस जिले की आत्मा का अनुभव है। जशपुर जम्बूरी ने 2024 में अपनी शानदार शुरुआत की और अब 2025 में एक और भव्य रूप में लौट रहा है।

2024 में आयोजित पहली जशपुर जम्बूरी ने रोमांच, संस्कृति और समुदाय का ऐसा संगम पेश किया, जिसने देशभर से प्रतिभागियों को आकर्षित किया। झारखंड, ओडिशा, रायपुर और छत्तीसगढ़ के कई जिलों से आए लोगों ने इस उत्सव में हिस्सा लिया। प्रतिभागियों ने रानी दाह, टी-गार्डन और जशपुर संग्रहालय जैसे स्थलों की सैर कर इतिहास और संस्कृति को करीब से महसूस किया। फ़ूड लैब ने स्थानीय व्यंजनों को आधुनिक रूप में प्रस्तुत कर सबका दिल जीता। सरहुल और कर्मा नृत्य की प्रस्तुतियों ने जनजातीय परंपराओं की गहराई दिखाई। चार दिन रोमांचक गतिविधियों, सांस्कृतिक रंग और सामुदायिक मेलजोल के नाम रहे। इस आयोजन ने जशपुर को ईको-टूरिज़्म और एडवेंचर स्पोर्ट्स का नया गंतव्य बना दिया।

दूसरी जशपुर जम्बूरी 2025 नये अनुभवों की ओर अब यह उत्सव और बड़े स्वरूप में वापस आ रहा है। 6 नवम्बर से 9 नवम्बर 2025 तक आयोजित होने वाला जशपुर जम्बूरी 2025 रोमांच, कला और सामुदायिक अनुभवों को और भी समृद्ध करेगा। रोमांचक-रॉक क्लाइम्बिंग, रैपलिंग, ज़िपलाइन, ट्रेकिंग, मयाली डैम पर वॉटर स्पोर्ट्स, पैरामोटर और हॉट एयर बलून से माधेश्वर पहाड़ों के दृश्य देखे जा सकेंगे। जनजातीय नृत्य (कर्मा, सरहुल), लोक संगीत, हस्तशिल्प कार्यशालाएँ (मिट्टी, बाँस, गोंदना कला, लकड़ी व लोहे की कारीगरी), लोकनाट्य और स्थानीय व्यंजन का भी अनुभव मिलेगा। उन्होंने बताया कि पारंपरिक खेल, टीम-बिल्डिंग गतिविधियाँ और तारों भरे आसमान के नीचे अलाव की गर्माहट से लोगों के मन में आनंद की अनुभूति होगी। जशपुर जम्बूरी 2025 का उद्देश्य है प्रतिभागियों को प्रकृति, परंपरा और समुदाय की उस धारा से जोड़ना, जहाँ हर पल एक नई कहानी कहता है। कार्यकम में आभार व्यक्त डिप्टी कलेक्टर श्री समीर बड़ा ने किया।


प्रदेश की 3 करोड़ जनता के आरोग्य के साथ विकसित छत्तीसगढ़ का सपना करेंगे पूरा : मुख्यमंत्री श्री साय

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मुख्यमंत्री ने तीन दिवसीय डेंटल कॉन्फ्रेंस 2025 का किया शुभारंभ

मानव मुस्कान को सुरक्षित रखने और सहेजने में दंत चिकित्सकों की भूमिका महत्वपूर्ण

रायपुर,  मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि प्रदेश की 3 करोड़ जनता के आरोग्य के साथ हम विकसित छत्तीसगढ़ का सपना साकार करेंगे। पिछले 20 महीनों में प्रदेश की स्वास्थ्य अधोसंरचना को मजबूत करते हुए दुर्गम अंचलों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने का कार्य हमारी सरकार ने किया है।

मुख्यमंत्री श्री साय आज राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में आयोजित तीन दिवसीय डेंटल कॉन्फ्रेंस 2025 का शुभारंभ कर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने दंत चिकित्सा और दांतों की देखभाल से जुड़े उपयोगी उपकरणों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा डेंटल एसोसिएशन की वार्षिक स्मारिका का विमोचन भी किया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि सरकार बनने के पहले दिन से ही हमने प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। प्रदेश में पांच नए मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृति दी गई है, साथ ही फिजियोथैरेपी, नर्सिंग और मदर-चाइल्ड हॉस्पिटल जैसे संस्थानों की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ छत्तीसगढ़ के साथ ही हम प्रगति की भी बात कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का तेजी से विस्तार हुआ है। वर्ष 2000 में जहां केवल एक मेडिकल कॉलेज था, वहीं आज 15 मेडिकल कॉलेज स्थापित हो चुके हैं। आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री वय वंदना योजना से मरीजों और बुजुर्गों को निःशुल्क इलाज की सुविधा मिल रही है। वहीं, सस्ती जेनेरिक दवाइयां आम जनता को राहत प्रदान कर रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का उल्लेख करते हुए कहा कि पान मसाला, गुटखा और तंबाकू की वजह से मुँह के कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।उन्होंने कहा कि दाँतों की देखभाल और सुंदर मुस्कान देने में दंत चिकित्सकों की अहम भूमिका है।उन्होंने चिकित्सकों से आह्वान किया कि इस दिशा में व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाएँ।

उन्होंने भावुक होकर अपने संसदीय कार्यकाल की स्मृतियाँ साझा कीं। उन्होंने बताया कि 1999 में जब श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, उस समय एम्स दिल्ली पर पूरे देश के मरीजों का दबाव था। तब हमने संसद में निवेदन किया था कि छत्तीसगढ़ में भी एम्स की स्थापना हो। सौभाग्य से 1 नवम्बर 2000 को राज्य गठन के बाद पहली किस्त में छह राज्यों को एम्स की सौगात मिली और छत्तीसगढ़ को भी यह ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त हुई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। इसी दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘छत्तीसगढ़ विजन 2047’ डॉक्यूमेंट तैयार किया और 10 मिशन बनाकर प्रदेश को आगे बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

श्री साय ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश का जीएसडीपी 5 लाख करोड़ है, जिसे वर्ष 2047 तक 75 लाख करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इस दिशा में हम पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ खनिज और वन संपदा से समृद्ध है, मेहनतकश किसान और परिश्रमी जनता इसकी असली ताकत हैं। “छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया” की कहावत को दोहराते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि प्रदेश 2047 तक अपने लक्ष्यों को अवश्य प्राप्त करेगा।

जीएसटी सुधारों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में जीएसटी के स्लैब को 5 और 18 प्रतिशत में एकरूप किया गया है। इससे व्यापार और कृषि क्षेत्र को लाभ मिलेगा तथा व्यावसायिक गतिविधियाँ सरल होंगी। यह प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि को दर्शाता है, जो भारत को आर्थिक रूप से और अधिक मजबूत बनाएगा।

मुख्यमंत्री श्री साय ने अंत में कहा कि “मानव की मुस्कान सबसे कीमती है और उसे सुरक्षित रखने व सहेजने में दंत चिकित्सकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दंत चिकित्सक मुँह और दाँत से जुड़ी बीमारियों पर विस्तृत चर्चा करेंगे और उनके उपचार की दिशा में नए संभावनाओं के द्वार खुलेंगे।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सेवाओं की लगातार समीक्षा कर रहे हैं और नक्सल प्रभावित व दूरस्थ अंचलों तक गुणवत्तापूर्ण सुविधाएँ पहुंचाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि बस्तर में 20 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है और यह हमारे प्रयासों का प्रमाण है कि सुकमा जिले के चिंतागुफा स्वास्थ्य केंद्र को एनक्यूएएस सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में पांच नए मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृति के साथ अब कुल 15 मेडिकल कॉलेज होंगे। इसके अलावा बिलासपुर में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, 12 नए नर्सिंग कॉलेज और पाँच फिजियोथैरेपी कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। श्री जायसवाल ने कहा कि विशेष पिछड़ी जनजाति बहुल क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल यूनिट और दुर्गम क्षेत्रों के लिए बाइक एम्बुलेंस सेवा शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ पूरे देश में सबसे अधिक कैशलेस इलाज सुविधा देने वाला राज्य बन चुका है।

कॉन्फ्रेंस में इंडियन डेंटल एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के प्रेसिडेंट डॉ. अरविंद कुमार, पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. राजीव सिंह, कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन डॉ. वैभव तिवारी सहित बड़ी संख्या में देशभर से आए दंत चिकित्सक उपस्थित रहे।