Home Blog Page 86

राज्य के सिंचाई जलाशयों में 50 फीसद जलभराव

0

खारंग डेम और खपरी जलाशय हुए लबालब

*मनियारी, झुमका और छिरपानी मेें 90 फीसद से अधिक पानी

रायपुर, 19 जुलाई 2025/ जल संसाधन विभाग द्वारा 19 जुलाई को जारी टैंक गेज रिपोर्ट के अनुसार राज्य के प्रमुख सिंचाई जलाशयों में अब तक 49.78 प्रतिशत जलभराव हो चुका है। बिलासपुर स्थित खारंग डेम और दुर्ग जिले का खपरी जलाशय लबालब हो गया है। राज्य के कुल 46 प्रमुख जलाशयों में से झुमका जलाशय में 98.84 प्रतिशत, मनियारी जलाशय 90 प्रतिशत से अधिक, जबकि छरपानी जलाशय में 91 प्रतिशत से अधिक जलभराव हुआ है।

मिनीमाता बांगो डेम (कोरबा) में अब तक 52.78 प्रतिशत जलभराव हुआ है, रविशंकर सागर (धमतरी) में 53.26 प्रतिशत, तांडुला डेम (बालोद) में 29.29 प्रतिशत, दुधावा डेम में 21.87 प्रतिशत, सिकासार डेम में 45.21 प्रतिशत, सोंढूर में 23 प्रतिशत, मुरूमसिल्ली डेम में 21.57 प्रतिशत, कोडार डेम में 38.11 प्रतिशत, केलो डेम में 30.96 प्रतिशत जलभराव हुआ है। राज्य के 12 वृहद सिंचाई परियोजनाओं मेें शामिल खारंग डेम (बिलासपुर) में 100 प्रतिशत जलभराव दर्ज किया गया है, जो सर्वाधिक भराव वाले जलाशयों में शामिल है। मनियारी डेम (मुंगेली) में जल स्तर 93.17 प्रतिशत तक पहुंच गया है, छोटे जलाशयों जैसे झुमका डेम (कोरिया) और छिरपानी (कबीरधाम) में क्रमशः 98.84 प्रतिशत और 91.14 प्रतिशत जलभराव हो चुका है।

इसी तरह अरपा भैंसाझार (बिलासपुर) और मायना (कांकेर) जैसे जलाशयों में 30 प्रतिशत से भी कम, गोंदली डेम (बालोद) में 30.24 प्रतिशत और कोसारटेडा डेम (बस्तर) में 42.57 प्रतिशत जलभराव हुआ है। खरखरा डेम में 22.15 प्रतिशत, परलकोट डेम में 36.44 प्रतिशत, श्याम डेम सरगुजा में 69.38 प्रतिशत, पिपरिया नाला डेम में 77.64 प्रतिशत, बलार डेम में 23.04 प्रतिशत, सुतियापात जलाशय में 67.74 प्रतिशत, मोंगरा बैराज में 62.62 प्रतिशत, मरोदा जलाशय में 38.62 प्रतिशत, सरोदा दादर में 41.03 प्रतिशत, घोंघा जलाशय में 82.84 प्रतिशत, मटियामोती जलाशय में 28.51 प्रतिशत, झुमका जलाशय में 98.84 प्रतिशत, खमारपकुट डेम में 86.11 प्रतिशत, कर्रानाला बैराज में 72.64 प्रतिशत, किंकारी नाला में 80.31 प्रतिशत, सुखा नाला बैराज 72.95 प्रतिशत, कुम्हारी डेम रायपुर में 40.44 प्रतिशत, धारा जलाशय राजनांदगांव में 46.44 प्रतिशत तथा रूसे डेम में 54.47 प्रतिशत जल भराव हो चुका है।

राज्य के कई जलाशयों से नहरों तथा स्लूइस के माध्यम से जल निकासी भी जारी है। खारंग, मनियारी, केलो और सीतानदी बेसिन के जलाशयों से जल छोड़ा गया है। जल संसाधन विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को जलाशयों की सतत निगरानी के निर्देश दिए हैं।


मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की ऐतिहासिक पहल

0

जशपुर जिले के 48 मंदिरों के जीर्णाेद्धार के लिए 2.03 करोड़ रुपये स्वीकृत

रायपुर, 19 जुलाई 2025/छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश की धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जशपुर जिले के 48 प्राचीन और जनआस्था से जुड़े मंदिरों के जीर्णाेद्धार के लिए 2 करोड़ 3 लाख 59 हजार रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति राज्य शासन द्वारा प्रदान की गई है। इससे जशपुर जिले की धार्मिक पहचान को सहेजने के साथ-साथ क्षेत्रीय पर्यटन और स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार मंदिरों के विकास, संरक्षण और सौंदर्यीकरण कार्यों को शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की पहल पर यह कार्य धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि जशपुर की पावन धरती सदैव से श्रद्धा, संस्कृति और आस्था का केंद्र रही है। इन मंदिरों का जीर्णाेद्धार केवल संरचना का नवीनीकरण नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना और आत्मिक ऊर्जा का पुनर्जागरण है। मेरा संकल्प है कि हर ग्राम का धार्मिक स्थल सुव्यवस्थित हो, जिससे वहां न केवल भक्ति का वातावरण बने बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति मिले।

जशपुर जिले के जिन प्रमुख मंदिरों के जीर्णाेद्धार हेतु राशि स्वीकृत की गई है, उनमें ग्राम चेटबा के हनुमान, गायत्री एवं श्रीराम मंदिर, प्रत्येक के लिए 5-5 लाख रूपए, ग्राम दोकड़ा के हनुमान, राधाकृष्ण एवं डुमरटोली मंदिर, कुल 13 लाख रूपए, ग्राम कटंगखार, नारियरडांड, कोहलनझरिया, सिंगीबहार, अमडीहा, समडमा, साजबहार, रायकेरा, बटुराबहर, सिंदरीमुंडा और हेठघिंचा के मंदिरों में 3 से 5 लाख रूपए तक मंजूरी दी गई है।

इसी तरह कुनकुरी थाना परिसर मंदिर और कई अन्य ग्रामों के शिव एवं हनुमान मंदिर, जिनमें ग्राम पण्डरापाठ स्थित नागेश्वर धाम मंदिर हेतु 4.79 लाख रूपए तथा रायकेरा श्री जगन्नाथ मंदिर हेतु 4.80 लाख रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे ग्राम स्तर पर बिखरे धार्मिक स्थलों का सुनियोजित विकास सुनिश्चित होगा, जिससे वहां का धार्मिक स्वरूप, सांस्कृतिक पहचान और पर्यटकीय महत्व भी बढ़ेगा।

मंदिरों एवं धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए राशि की स्वीकृति पर संबंधित ग्रामों के मंदिर समितियों, पुजारियों, ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इससे जशपुर की धार्मिक विरासत को संजोए रखने मदद मिलेगी।


नई औद्योगिक नीति के माध्यम से विकास और रोजगार सृजन कर रही है हमारी सरकार : मुख्यमंत्री श्री साय

0

मुख्यमंत्री ने एस्पायर फार्मास्यूटिकल्स की नवनिर्मित इकाई का किया भव्य शुभारंभ

फार्मास्यूटिकल इकाई का शुभारंभ प्रदेश के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण कदम

रायपुर 19 जुलाई 2025/मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज नवा रायपुर के सेक्टर-05 स्थित एस्पायर फार्मास्यूटिकल्स की नवनिर्मित इकाई का भव्य शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रबंधन को शुभकामनाएं दीं और उत्पादन इकाई का भ्रमण कर दवा निर्माण की संपूर्ण प्रक्रिया का अवलोकन किया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि कोविड के कठिन दौर में दवाइयों की किल्लत को देखते हुए इस इकाई के निर्माण का सपना देखा गया था और आज वह साकार हुआ है। उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया कोविड के संकट से जूझ रही थी, तब भारत ने स्वदेशी वैक्सीन विकसित कर एक मिसाल कायम की। श्री साय ने कहा कि फार्मास्यूटिकल्स की इकाई का शुभारंभ प्रदेश के औद्योगिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति निवेशकों को आकर्षित कर रही है और पिछले सात-आठ महीनों में 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें से कई परियोजनाओं पर कार्य आरंभ हो चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार औद्योगिक इकाइयों के माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार सृजन का कार्य कर रही है और ऐसी इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ आज रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर चुका है, और इन 25 वर्षों में जो विकास हुआ है, उसमें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह ने न केवल प्रदेश से भूखमरी को दूर किया, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भी ठोस नींव रखी। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य गठन के समय प्रदेश में केवल एक मेडिकल कॉलेज था, जबकि आज प्रदेश में 15 मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं। प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना और मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के जरिए लोगों को निःशुल्क इलाज मिल रहा है। श्री साय ने बताया कि पिछले डेढ़ वर्ष की अवधि में छह से अधिक विशेषज्ञ अस्पतालों के शुभारंभ का मैं साक्षी रहा हूं, जो दर्शाता है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का लगातार विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी का मानना है कि लोग बीमार न पड़ें, निरोगी रहें, और उनकी इसी संकल्पना के अनुरूप वेलनेस सेंटर के माध्यम से लोगों को आरोग्य प्राप्त हो रहा है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि सरकार ने “विकसित छत्तीसगढ़ 2047” की परिकल्पना के तहत विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश की सकल राज्यीय उत्पाद (GSDP) ₹5 लाख करोड़ है, जिसे 2030 तक ₹10 लाख करोड़ और 2047 तक ₹75 लाख करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, और यह प्रदेशवासियों के सहयोग से ही संभव होगा।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर एस्पायर फार्मास्यूटिकल्स का भ्रमण कर उन्नत तकनीकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह इकाई पूरी तरह ऑटोमेटेड है, जहाँ टैबलेट, सिरप, ऑइंटमेंट और क्रीम जैसे विभिन्न प्रकार की दवाइयों का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस इकाई के विस्तार से बड़ी संख्या में स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि प्रदेश के फार्मास्यूटिकल सेक्टर में यह एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक शुरुआत है। उन्होंने कहा कि भारत ने इस क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाई है और कोविड काल के दौरान पूरी दुनिया को यह एहसास हुआ कि दवाइयों और चिकित्सा संसाधनों का क्या महत्व है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देशों ने भी उस दौर में भारत की फार्मा क्षमता पर विश्वास जताया। उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में विकसित छत्तीसगढ़ की संकल्पना को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए विजन डॉक्यूमेंट जारी किया गया है, जो आने वाले वर्षों में प्रदेश को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के औद्योगिक विकास में नवा रायपुर की केंद्रीय भूमिका है। यह क्षेत्र न केवल औद्योगिक निवेश के लिए उपयुक्त है, बल्कि सभी प्रमुख मार्गों से जुड़ाव के कारण लॉजिस्टिक्स की दृष्टि से भी अत्यंत सुविधाजनक है। डॉ. सिंह ने एस्पायर फार्मास्यूटिकल्स की टीम को इस नई शुरुआत के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह इकाई नवा रायपुर के विकास को नई गति देगी।

इस अवसर पर वन मंत्री श्री केदार कश्यप, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, श्री पवन साय, विधायक गुरु खुशवंत साहेब, विधायक श्री मोतीलाल साहू, विधायक श्री ललित चंद्राकर, विधायक श्री संपत अग्रवाल, विधायक श्री अनुज शर्मा, सीजीएमएससी के अध्यक्ष श्री दीपक म्हस्के, सीएसआईडीसी के अध्यक्ष श्री राजीव अग्रवाल, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष श्री नीलू शर्मा, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री अमरजीत छाबड़ा, नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री संजय श्रीवास्तव, एस्पायर फार्मास्यूटिकल्स से श्री कोमलचंद चोपड़ा, श्री अनिल देशलहरा और श्री उज्ज्वल दीपक सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।


महारानी अहिल्याबाई होलकर ने समाज में प्रशासन, न्याय और जनकल्याण की अनुकरणीय व्यवस्था एवं उदाहरण प्रस्तुत किए – मुख्यमंत्री श्री साय

0

पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर का संपूर्ण जीवन समाज कल्याण हेतु रहा समर्पित

पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर की जीवनी पर आधारित नाट्य मंचन समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

रायपुर, 19 जुलाई 2025/ पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर का संपूर्ण जीवन समाज कल्याण हेतु समर्पित रहा। वह इंदौर की न केवल महारानी थीं, बल्कि न्यायप्रिय, धार्मिक एवं निष्पक्ष प्रशासक भी थीं। उन्होंने देशभर में धार्मिक स्थलों एवं मंदिरों के जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण के क्षेत्र में जो कार्य किए, वे आज भी हम सबके लिए प्रेरणादायक हैं। उक्त बातें मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, रायपुर में विश्व मांगल्य सभा द्वारा आयोजित पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर की जीवनी पर आधारित नाट्य मंचन समारोह में कही।

श्री साय ने आगे कहा कि हम सभी लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती मना रहे हैं। इस अवसर पर आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पूरे देश एवं प्रदेश में उनकी स्मृति में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

सुशासन, सनातन और संस्कृति के लिए समर्पित लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जी के जीवन पर आधारित यह नाट्य प्रस्तुति लोगों तक उनके महान कृतित्व को पहुंचाने में सहायक होगी। राजमाता अहिल्याबाई होलकर हमारे गौरवशाली इतिहास की महान प्रेरणापुंज हैं। उनके जीवन चरित्र से वर्तमान एवं भावी पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने रामराज्य की अवधारणा को साकार किया। तीन दशकों तक उन्होंने होलकर राजवंश का नेतृत्व किया। उन्होंने प्रशासन, न्याय और जनकल्याण की अनुकरणीय व्यवस्था प्रदान की। दक्षिण में कांची, उत्तर में बद्रीनाथ, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारका तक, हर स्थान पर उनके पुण्य कार्यों की छाप मिलती है। वे इंदौर की महारानी थीं, परंतु उन्होंने अपने को किसी भौगोलिक सीमा में नहीं बाँधा। देश के विभिन्न हिस्सों में उन्होंने मंदिरों का निर्माण, धर्मशालाओं की स्थापना की और धर्म की पताका सदैव लहराई।

वह सनातन की ध्वजवाहिका रहीं। जब महारानी अहिल्याबाई का नाम आता है तो हाथों में शिवलिंग लिए हुए उनकी तस्वीर सजीव हो उठती है। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना के प्रतीक काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। जब औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट किया, तब यह घटना हिंदू समाज के लिए अत्यंत आघातकारी थी। उस समय माता जीजाबाई ने शिवाजी महाराज से कहा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण हमारा सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। पेशवा माधवराव ने भी अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी इच्छा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर फिर से बने। यह यशस्वी कार्य राजमाता अहिल्याबाई होलकर के कर-कमलों से संपन्न हुआ।

उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कर लाखों आस्थावान हिंदुओं के सपनों को साकार किया। वे हरिद्वार से गंगाजल मंगवाकर उसे कांचीपुरम के शिव मंदिर में अर्पित करवाती थीं। उन्होंने पुरी में धर्मशाला तथा द्वारका में भी धार्मिक निर्माण कार्य करवाए। जिस प्रकार आदि शंकराचार्य जी ने सनातन परंपरा को जोड़ते हुए चार धाम की स्थापना की, उसी परंपरा में राजमाता अहिल्याबाई होलकर जी ने भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस अवसर पर जगदलपुर विधायक श्री किरण देव साय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रस्तावना विश्व मांगल्य सभा की श्रीमती निकिता ताई द्वारा प्रस्तुत की गई।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, कैबिनेट मंत्री श्री केदार कश्यप, प्रदेश अध्यक्ष एवं जगदलपुर विधायक श्री किरण देव साय, श्री अजय जामवाल, श्री पवन साय सहित बड़ी संख्या में विधायकगण, सांसदगण, निगम-मंडल-आयोग के अध्यक्षगण, जनप्रतिनिधिगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।


छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभाएं छूएंगी आकाश, आधुनिक तकनीक से होंगे खिलाड़ी पारंगत

0

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता शूटर श्री अभिनव बिंद्रा ने की मुलाकात

छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी और स्पोर्ट्स साइंस डेवलपमेंट के लिए होगा कार्य

रायपुर, 19 जुलाई 2025/ छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभाएं अब आकाश को छूएंगी। राज्य के खिलाड़ी प्रारंभिक स्तर से ही आधुनिक तकनीकों के माध्यम से दक्ष बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय से आज उनके निवास कार्यालय में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता शूटर श्री अभिनव बिंद्रा ने सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री श्री साय ने श्री बिंद्रा से छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी एवं स्पोर्ट्स साइंस डेवलपमेंट के विषय में विस्तारपूर्वक चर्चा की।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने श्री बिंद्रा का पुष्पगुच्छ एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर आत्मीय स्वागत किया। उन्होंने श्री बिंद्रा से छत्तीसगढ़ में खेल गतिविधियों के विकास एवं खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने संबंधी योजनाओं पर गहन चर्चा की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने चर्चा के दौरान कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने हेतु पूर्णतः प्रतिबद्ध है। प्रदेश के युवाओं में खेलों के प्रति स्वाभाविक रुचि एवं नैसर्गिक प्रतिभा है, विशेषकर आदिवासी अंचलों के युवाओं में अत्यधिक संभावनाएं हैं। इस परिप्रेक्ष्य में श्री बिंद्रा ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वे छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी और स्पोर्ट्स साइंस कार्यक्रम प्रारंभ करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि राज्य की खेल प्रतिभाओं को निखारने में ये प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।

चर्चा के दौरान श्री बिंद्रा ने बताया कि वे अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में खिलाड़ियों को आगे लाने के लिए विविध कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि फाउंडेशन द्वारा खेलहित में संचालित ये कार्यक्रम निःशुल्क होते हैं, जिससे खिलाड़ियों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हो रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में भी फाउंडेशन के माध्यम से ऐसे कार्यक्रम प्रारंभ किए जाने के सम्बन्ध में चर्चा की।

श्री बिंद्रा ने जानकारी दी कि ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन कार्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों में ओलंपिक मूल्यों का विकास किया जाएगा। उन्हें उत्कृष्टता, सम्मान और मैत्री जैसे मूल्यों को अपनाने हेतु प्रेरित किया जाएगा, जिससे प्रारंभिक अवस्था से ही खेल प्रतिभाओं का संवर्धन संभव हो सकेगा।

मुख्यमंत्री श्री साय को श्री बिंद्रा ने अवगत कराया कि स्पोर्ट्स इंजरी खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी कार्यक्रम के अंतर्गत खिलाड़ियों को निःशुल्क सर्जरी, पुनर्वास एवं उपचार उपरांत देखभाल की संपूर्ण सुविधा प्रदान की जाएगी, ताकि वे स्वस्थ होकर पुनः खेल क्षेत्र में सक्रीय हो सकें। इस हेतु फाउंडेशन के साथ देश के 30 उत्कृष्ट चिकित्सकों का नेटवर्क कार्यरत है, जिसका लाभ छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को मिलेगा।

मुख्यमंत्री को श्री बिंद्रा ने बताया कि वर्तमान खेल परिदृश्य पूर्णतः विज्ञान-आधारित हो गया है। अतः वे छत्तीसगढ़ में स्पोर्ट्स साइंस कार्यक्रम प्रारंभ करना चाहते हैं, जिससे आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धति से खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जा सके। नवीनतम तकनीकों की सहायता से प्रतिभाओं की पहचान वैज्ञानिक तरीके से की जा सकेगी तथा टेक्नोलॉजी के माध्यम से उनके कौशल को समुचित रूप से विकसित किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को आवश्यक सभी सुविधाएं प्रदान कर रही है। विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि विशेष पिछड़ी जनजाति कोरवा समुदाय के युवाओं में तीरंदाजी का प्राकृतिक कौशल है। इस प्रतिभा को बढ़ावा देने हेतु रायपुर एवं जशपुर में एनटीपीसी के सहयोग से 60 करोड़ रुपये की लागत से आर्चरी अकादमी की स्थापना की जा रही है। इसी प्रकार बस्तर में आयोजित बस्तर ओलंपिक में 1.65 लाख से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया। राज्य सरकार द्वारा ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को 3 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेता को 2 करोड़ रुपये एवं कांस्य पदक विजेता को 1 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में देने की घोषणा की गई है।

इस अवसर पर खेल मंत्री श्री टंकराम वर्मा, छत्तीसगढ़ युवा आयोग के अध्यक्ष श्री विश्वविजय सिंह तोमर, खेल विभाग के सचिव श्री यशवंत कुमार, संचालक श्रीमती तनुजा सलाम, डॉ. दिगपाल राणावत सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री 19 जुलाई को एस्पायर फार्मास्युटिकल के अत्याधुनिक इकाई का करेंगे उद्घाटन

0

रायपुर, 18 जुलाई 2025/मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय कल 19 जुलाई को नवा रायपुर, अटल नगर के सेक्टर-5 में एस्पायर फार्मास्युटिकल के अत्याधुनिक इकाई का उद्घाटन करेंगे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह करेंगे।

छत्तीसगढ़ को औद्योगिक और चिकित्सा नवाचार का हब बनाने की दिशा में एस्पायर फार्मास्यूटिकल इकाई का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण कदम है। यह ‘मेक इन छत्तीसगढ़’ अभियान का हिस्सा है। यह संस्थान अनुसंधान, विकास और निर्यात के लिए भविष्य में छत्तीसगढ़ का केंद्र बनेगा। यह हाई-टेक फार्मा इकाई न केवल नवीनतम तकनीकों से सुसज्जित है, बल्कि यह राज्य के औद्योगिक एवं स्वास्थ्य क्षेत्र को भी एक नई दिशा देगी। यह यूनिट फार्मास्युटिकल्स निर्माण के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को आत्मनिर्भर बनाएगी और राज्य को वैश्विक औषधि मानचित्र पर स्थापित करने में मदद करेगी। यह इकाई अत्याधुनिक और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित तथा स्वचालित और पर्यावरण-संवेदनशील उत्पादन इकाई हैै। इस इकाई में लगभग 100 से अधिक युवाओं को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है।

कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल अति विशिष्ट अतिथि, उपमुख्यमंत्री श्री अरूण साव, उद्योग मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, खाद्य मंत्री श्री दयालदास बघेल, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, राजस्व मंत्री श्री टंकराम वर्मा, सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल और सांसद श्री विजय बघेल, विधायक सर्वश्री किरण सिंह देव, अजय चन्द्राकर, राजेश मूणत, अमर अग्रवाल, पुरन्दर मिश्रा, सुनील सोनी, मोतीलाल साहू, इंद्र कुमार साहू, गुरू खुशवंत साहेब, अनुज शर्मा, ललित चन्द्राकर, गजेन्द्र यादव, रिकेश सेन, संतप अग्रवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

इसी प्रकार कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के चेयरमैन श्री दीपक महस्के, छत्तीसगढ़ अधोसंरचना एवं विकास निगम के चेयरमैन श्री राजीव अग्रवाल, छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम के चेयरमैन श्री संजय श्रीवास्तव, महापौर दुर्ग श्रीमती अलका बाघमार, महापौर धमतरी श्री रामू रोहरा, अपैक्स बैंक के अध्यक्ष श्री केदार नाथ गुप्ता, क्रेडा के चेयरमैन श्री भूपेन्द्र सवन्नी, छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री सौरभ सिंह, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष श्री नीलू शर्मा, छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री अमरजीत छाबड़ा, छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष श्री अनुराग सिंह देव एवं सिडबी के महाप्रबंधक श्री प्रमोद कुमार विजयवर्गीय विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगे।


छत्तीसगढ़ ग्रोथ एंड स्टेबिलिटी फंड विधेयक 2025 विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित

0

राज्य की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

रायपुर, 18 जुलाई 2025/ छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज राज्य की आर्थिक स्थिरता और सतत विकास को सुनिश्चित करने हेतु छत्तीसगढ़ ग्रोथ एंड स्टेबिलिटी फंड विधेयक 2025 को सर्वसम्मति से पारित किया गया। यह विधेयक राज्य के वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने विधेयक के उद्देश्यों, प्रावधानों और इससे होने वाले लाभों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

वित्त मंत्री श्री चौधरी ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत 2047 संकल्प के अनुरूप छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़ अंजोर विजन 2047 दस्तावेज तैयार किया है, जिसके अंतर्गत राज्य को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस पहल की जा रही है। इसी कड़ी में राज्य की वित्तीय दीर्घकालिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह विशेष फंड स्थापित किया जा रहा है।

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य में खनिज संसाधनों से होने वाली आय में निरंतर वृद्धि हुई है। वर्ष 2001-02 से 2024-25 के दौरान खनिज राजस्व में 30 गुना से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं पूंजीगत व्यय में भी लगभग 43 गुना की वृद्धि हुई है। वर्ष 2024-25 में पूंजीगत व्यय में पिछले वर्ष की तुलना में 38 प्रतिशत तथा वर्ष 2023-24 में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय से अर्थव्यवस्था को मल्टीप्लायर इफेक्ट मिलता है, जिससे एक रुपये के निवेश से अर्थव्यवस्था को तात्कालिक रूप से 2.45 रूपए और दीर्घकाल में 3.14 रूपए का लाभ मिलता है। इसी दृष्टिकोण से यह फंड राज्य के पूंजीगत व्यय को सुदृढ़ करने सहायक होगा।

फंड के प्रमुख प्रावधान और लाभ

वित्त मंत्री ने बताया कि यह फंड खनिज संसाधनों से प्राप्त वार्षिक राजस्व का न्यूनतम 1 प्रतिशत और अधिकतम 5 प्रतिशत तक निवेश की व्यवस्था करेगा। फंड से प्राप्त लाभांश को पुनः फंड में निवेश किया जाएगा। इस फंड का उपयोग केवल पूंजीगत व्यय के लिए ही किया जाएगा। विशेष परिस्थितियों में ही मूल राशि से आहरण किया जा सकेगा, वह भी एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 10 प्रतिशत तक। फंड की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत नियम बनाए जाएंगे, जिनमें फंड प्रबंधन, निवेश प्रक्रिया और अनुमति योग्य निवेश साधनों का स्पष्ट निर्धारण किया जाएगा।

राज्य के लिए ऐतिहासिक पहल

श्री ओपी चौधरी ने कहा कि ऐसा फंड बनाने वाला छत्तीसगढ़ संभवतः देश का पहला राज्य है। मुख्य बजट 2025-26 में इस फंड के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार द्वारा जिला खनिज न्यास निधि का भी व्यापक उपयोग किया जा रहा है, जिसके माध्यम से दंतेवाड़ा में मेडिकल कॉलेज समेत कई जिलों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा अधोसंरचना का निर्माण किया जा रहा है।


युक्तियुक्तकरण से स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था सशक्त — शिक्षकों का कोई भी पद समाप्त नहीं किया गया है

0

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप प्रदेश में हुआ स्कूल और शिक्षक युक्तियुक्तकरण

रायपुर, 18 जुलाई 2025/
शिक्षा की गुणवत्ता और सुगमता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता, संवेदनशीलता और नीति-आधारित दृष्टिकोण के साथ संपन्न की गई है। इस प्रक्रिया में शिक्षकों के किसी भी पद को समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को अधिक सुदृढ़ और संगठित किया गया है।

राज्य में युक्तियुक्तकरण से पहले की स्थिति अत्यंत असंतुलित थी। प्रदेश में शून्य दर्ज संख्या वाली 211 शालाएं संचालित थीं, जिनमें कुछ में शिक्षक पदस्थ भी थे। इसके अतिरिक्त, 453 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल तथा हायर सेकेण्डरी शालाएं शिक्षक विहीन थीं। साथ ही, 5936 शालाएं एकल शिक्षकीय थीं, जिनमें सभी स्तर की शालाएं सम्मिलित थीं। यह स्थिति निःसंदेह शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही थी।

वहीं दूसरी ओर, कुछ प्राथमिक शालाओं में अनुचित शिक्षक-संख्या की अधिकता देखी गई — 8 प्राथमिक शालाओं में 15 से अधिक शिक्षक, 61 में 10 से 14 शिक्षक, तथा 749 प्राथमिक शालाओं में 6 से 9 शिक्षक कार्यरत थे। पूर्व माध्यमिक स्तर पर भी यही असंतुलन था — 9 शालाओं में 15 या उससे अधिक, 90 में 10 से 14, तथा 1641 पूर्व माध्यमिक शालाओं में 6 से 9 शिक्षक कार्यरत पाए गए।

प्रदेश में कई स्थानों पर एक ही परिसर में प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी शालाएं अलग-अलग प्रशासनिक नियंत्रण में संचालित थीं, जिससे प्रबंधन में भी जटिलताएँ उत्पन्न हो रही थीं। इसके साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से कम दर्ज संख्या वाली शालाएं, 01 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित दूसरी शालाओं के समानांतर संचालित थीं। शहरी क्षेत्रों में यह स्थिति और भी अधिक घनत्व वाली थी — 500 मीटर से कम दूरी पर 30 से कम दर्ज संख्या वाली शालाएं संचालित थीं। इस असमानता को समाप्त करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के उद्देश्यों को धरातल पर लागू करने के लिए युक्तियुक्तकरण आवश्यक था।

*प्रथम चरण — विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण*

इस प्रक्रिया के पहले चरण में, शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों और निर्देशों के आधार पर विकासखंड स्तर पर युक्तियुक्तकरण योग्य विद्यालयों का चयन किया गया, जिसे जिला स्तरीय समिति द्वारा परीक्षण एवं अनुशंसा उपरांत शासन को भेजा गया। इसके आधार पर कुल 10538 विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण किया गया, जिसमें 10372 एक ही परिसर में संचालित विद्यालय, 133 ग्रामीण क्षेत्र की 01 कि.मी. से कम दूरी की शालाएं, तथा 33 शहरी क्षेत्र की 500 मीटर से कम दूरी वाली शालाएं सम्मिलित हैं।

*द्वितीय चरण — शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण*

शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण हेतु अतिशेष शिक्षकों का चिन्हांकन एवं गणना प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के प्रावधानानुसार निर्धारित प्रक्रिया के तहत की गई।इन शिक्षकों को काउंसिलिंग प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षक विहीन, एकल शिक्षकीय तथा विषयवार आवश्यकता वाली शालाओं में समायोजित किया गया।

युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप कुल 15165 शिक्षकों एवं प्राचार्यों का समायोजन किया गया जिससे पूर्व में 453 शिक्षक विहीन शालाएं अब पूर्णतः शिक्षक युक्त हो गई हैं।5936 एकल शिक्षकीय शालाओं में से अब केवल 1207 प्राथमिक शालाएं शिक्षक अनुपलब्धता के कारण शेष हैं।

इस प्रक्रिया में कोई भी पद समाप्त नहीं किया गया है, बल्कि प्रत्येक विद्यालय के लिए आवश्यक शिक्षक संख्या का निर्धारण शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार दर्ज संख्या के अनुपात में किया गया है।

भविष्य में यदि किसी विद्यालय की दर्ज संख्या में वृद्धि होती है, तो वहां शिक्षकों की व्यवस्था स्वीकृत पदों के अनुसार की जाएगी।


मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रयत्नों से मिली ऐतिहासिक स्वीकृति: चावल उपार्जन लक्ष्य में 8 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि

0

रायपुर, 18 जुलाई 2025/ प्रदेश के अन्नदाताओं के हितों को सर्वोपरि मानते हुए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर 149.25 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया है, जो राज्य गठन के बाद अब तक की सर्वाधिक मात्रा है। उपार्जित धान का त्वरित निराकरण कस्टम मिलिंग के माध्यम से किया जा रहा है। धान खरीदी की समाप्ति तक प्रदेश को केन्द्रीय पूल अंतर्गत 70 लाख मीट्रिक टन चावल उपार्जन का लक्ष्य प्राप्त हुआ था। राज्य की कल्याणकारी योजनाओं एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए आवश्यक राज्य पूल के लक्ष्य के साथ मिलाकर कुल 118.17 लाख मीट्रिक टन धान की मात्रा कस्टम मिलिंग से निराकरण के लिए निर्धारित की गई है।किसानों के हित में निर्णय लेते हुए राज्य सरकार ने अतिरिक्त धान का नीलामी के माध्यम से निराकरण करने का निर्णय लिया है। नीलामी के माध्यम से अब तक 19 लाख मीट्रिक टन धान हेतु बायर ऑर्डर जारी किए जा चुके हैं, और संबंधित क्रेताओं एवं मिलरों द्वारा उसका त्वरित उठाव भी किया जा रहा है। प्रदेश के संग्रहण केंद्रों में शेष भंडारित धान की सुरक्षा हेतु खाद्य विभाग द्वारा सभी आवश्यक सावधानियाँ सुनिश्चित की गई हैं।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा प्रदेश के कृषकों से एक-एक दाना धान खरीदने की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार से लगातार संवाद एवं आग्रह किया गया। इसी क्रम में उन्होंने दिनांक 24 जून 2025 को नई दिल्ली में केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी से भेंट कर केन्द्रीय पूल अंतर्गत चावल उपार्जन लक्ष्य को बढ़ाने का आग्रह किया था।
मुख्यमंत्री श्री साय के सतत प्रयासों का सकारात्मक परिणाम सामने आया है। भारत सरकार ने 18 जुलाई 2025 को चावल उपार्जन लक्ष्य को 70 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 78 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। यह निर्णय न केवल किसानों के हित में महत्त्वपूर्ण है, बल्कि इससे राज्य सरकार को लगभग 1200 करोड़ रुपये की संभावित वित्तीय हानि से भी बचाया जा सका है। चावल उपार्जन लक्ष्य में मिली इस वृद्धि से राज्य की राजकोषीय स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी गति आएगी।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस निर्णय के लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सहयोग, केंद्र और राज्य की समन्वित किसान-हितैषी नीति का परिचायक है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मिलर एसोसिएशन एवं किसानों द्वारा समय-समय पर उठाई गई मांगों के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि सभी सुझावों और आवश्यकताओं पर सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ कार्रवाई की जाएगी।


प्रदेश के अन्नदाताओं की समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध डबल इंजन सरकार : चावल उपार्जन लक्ष्य में 8 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि

0

रायपुर 18 जुलाई 2025/ प्रदेश के किसानों के हित में एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय पूल हेतु चावल उपार्जन के लक्ष्य को 70 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 78 लाख मीट्रिक टन कर दिया है। यह निर्णय राज्य के लाखों अन्नदाताओं के परिश्रम और विश्वास को सशक्त करता है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस महत्वपूर्ण निर्णय पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश के अन्नदाताओं की समृद्धि के लिए डबल इंजन सरकार दृढ़संकल्पित है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि प्रदेश के लिए यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि हमारे अन्नदाताओं के हितों को सर्वोपरि रखने वाली यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय पूल में चावल उपार्जन के लक्ष्य को 70 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 78 लाख मीट्रिक टन करने की स्वीकृति प्रदान की है। हमारी सरकार के प्रयासों से केंद्र सरकार ने 08 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त चावल उपार्जन करने की स्वीकृति दी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह निर्णय छत्तीसगढ़ के किसानों की आर्थिक स्थिति को और अधिक मजबूत करेगा। साथ ही प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा प्रदान करेगा।