नगर पालिक निगम में नेता प्रतिपक्ष को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता व संविधान के जानकार अली हुसैन सिद्दिकी ने बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने निगम आयुक्त प्रकाश सर्वे को ज्ञापन सौंपकर छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धाराओं का उल्लेख करते हुए नेता प्रतिपक्ष के पद से उपकृत नहीं करने और पूर्व में नगर निगम प्रशासन की ओर से नेता प्रतिपक्ष को दी गई सुविधाओं की रिकवरी करवाने की मांग की है।
आयुक्त को सौंपे गए ज्ञापन में सिद्दिकी ने छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धाराओं का उल्लेख करते हुए लिखा है कि नियम में “नेता प्रतिपक्ष ” जैसे पद का कहीं पर उल्लेख नहीं है। अधिनियम 1956 की धाराओं एवं नियमों के तहत, पार्षद,महापौर, अध्यक्ष/ सभापति, अपील समिति, मेयर इन काउंसिल, वार्ड समिति, सलाहकार समिति, मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) एवं मोहल्ला समिति का उल्लेख है। जिसमें से मोहल्ला समिति और नामांकित पार्षद (एल्डरमैन) का मनोनयन शेष है।उन्होने आगे लिखा है कि मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिल रही है कि नगर निगम में “नेता प्रतिपक्ष” का मनोनयन किया जाना है, लेकिन नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धाराओं एवं नियमों में “नेता प्रतिपक्ष ” के पद का कहीं पर भी उल्लेख नहीं किया गया है। इसलिए किसी को भी निगम अधिनियम के विरूद्ध इस पद को धारित करने नही दिया जाए और किसी भी प्रकार की सुविधाएं न दिया जाए।चूंकि पूर्व में निगम प्रशासन ने नेता प्रतिपक्ष को कमरा उपलब्ध करवाकर उन्हें अन्य सुविधाएं दी जाती रही है, जो कि नियम विरुद्ध था। इसलिए अब निगम अधिनियम की धाराओं को ध्यान में रखते हुए ही किसी भी प्रकार के पद से उपकृत किया जाए। पूर्व में नेता प्रतिपक्ष को दी गई सुविधाओं की रिकवरी करवाई जाए।