- नए प्लान से भू-माफिया को फायदा : 22100 हेक्टेयर जमीन आवासीय प्रयोजन के लिए की गई रिजर्व
- जिले के 6 निकायों और 100 गांवों के विकास के लिए 2031 तक के लिए नया मास्टर प्लान लागू
दुर्ग. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के 6 निकायों और 100 गांवों के विकास के लिए 2031 तक के लिए नया मास्टर प्लान लागू हो गया है। इस मास्टर प्लान में इस बात का खुलासा हुआ है कि सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक जिस 77.408 हेक्टेयर जमीन पर अवैध प्लॉटिंग हुई, उस जमीन को ही अब आवासीय कर दिया गया है। इसके अलावा 29 गांव ऐसे हैं जहां की 70 फीसदी से अधिक की जमीन आवासीय हो गई है। अब तक कृषि व पड़त प्रयोजन की जमीन रिकार्ड में दर्ज रही। सीएम भूपेश बघेल के गृहग्राम कुरुदडीह के आसपास की 80% से अधिक जमीन आवासीय कर दी गई है। बताया गया कि आने वाले समय में पाटन क्षेत्र में विकास की संभावना ज्यादा रहेगी।
फोकस एरिया : पाटन क्षेत्र के सबसे ज्यादा गांव आवासीय हुए
- मेन रोड किनारे भी आवासीय: मास्टर प्लान में दुर्ग के जेल तिराहे से पुलगांव चौक तक की 50 मी. चौड़ी सड़क, एमआर-56, एमआर-36, एमआर-50, एमआर-53, एमआर-54, एमआर-3, एमआर-68, एमआर-69, एमआर-64, एमआर-70, एमआर-76, एमआर-40, एमआर-72 के आसपास आवासीय है।कोड़िया में सबसे अधिक आवासीय लैंड: दुर्ग से लगे ग्राम कोड़िया में सबसे अधिक आवासीय प्रयोजन के लिए लैंड आरक्षित की गई है। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू व स्थानीय ग्रामीणों के सुझाव के आधार पर इसे चिन्हित किया गया है। कोड़िया में इस समय 383.42 हेक्टेयर जमीन है। जो अब आवायी हो है।
- शहर के इन जगहों पर अवैध प्लाटिंगस्थानअवैध प्लाटिंग (हेक्टेयर में)बघेरा4.321उरला16.231चंदखुरी3.135पुरई10.291रिसाली2.612मोहलाई 2.198महमरा1.676धनोरा4.522अंडा17.632बोरसी4.686सिकोला0.815चिखली2.355नगपुरा3.231कुल73.408
- एक नजर में मास्टर प्लान819.44 वर्गकिलोमीटर कुल क्षेत्रफल है मास्टर प्लान में, शहरी क्षेत्रफल 508 वर्गकिलोमीटर, ग्रामीण क्षेत्रफल-311 वर्गकिलोमीटर। 12 लाख 74 हजार आबादी प्रभावित हो रही है इससे। इसमें 10 लाख 64 हजार शहरी और 2 लाख 9 हजार ग्रामीण। 31500 हेक्टे. कृषि के लिए रिजर्व है 22100 हेक्टेयर आवासीय के लिए रिजर्व किया गया है। 1375 हेक्टेयर क्षेत्र कॉमर्शियल है 930 हेक्टेयर मिश्रित के लिए है 4600 हेक्टे औद्यो. क्षेत्र है। 3900 हेक्टेयर सार्वजनिक व अर्ध्द सार्वजनिक के लिए है। 5900 हेक्टेयर अमोद-प्रमोद के लिए 6300 हेक्टेयर परिवहन के लिए। 5700 हेक्टेयर जलाशयों के लिए।
- 2001 का प्लान जिले में फेल, इस बार लागू करने में हुई देरीदुर्ग-भिलाई विकास योजना को लेकर पहला मास्टर प्लान 10 सितंबर 1976 को साडा गठन के साथ वर्ष 2001 को ध्यान रखकर तैयार किया गया। 5 मार्च 1974 को दुर्ग शहर के तैयार मास्टर प्लान को समाहित किया। 2001 के हिसाब से भिलाई की आबादी 10.50 और दुर्ग की आबादी 2.50 आंकी गई। पर भिलाई की आबादी 6.96 लाख रही। दुर्ग की आबादी करीब 2 लाख रही। दुर्ग में आवासीय प्रयोजन के लिए आरक्षित भूमि से करीब 151.5 प्रतिशत तक विकास हुआ।
- इन गांवों की भूमि प्रयोजन 60 से 85% तक आवासीयअनुमोदित मास्टर प्लान में अमलेश्वर, सांकरा, भोथली, कुरुदडीह, परसदा, पहंदा, कुकदा, खपरी, जंजगीरी, पहंदा, सोमनी, उगदा, दादर, पथर्रा, जंजगीरी, देवबलोदा, पीसेगांव, कोलिहापुरी, चंदखुरी, पुलगांव, पोटियाकला, बोरसी, धनोरा, उरला, करहीडीह, चिखली, खपरी, सिरसा, जेवरा, खम्हरिया, कुरुद, कुटेलाभाठा में जमीने आवासीय की गई हैं। कुम्हारी, भिलाई-चरोदा, जामुल निकाय की जमीने आवासीय है।
- इतना पेचिदा बना दिया कि इसे मंजूरी दिलाकर लागू करने में ही 5 साल 3 महीने लग गएमास्टर प्लान को लेकर फाइल वर्ष 2014 से चल रही। 29 सितंबर 2014 को 30 दिनों के लिए भूमि उपयोग का प्रकाशन हुआ। आई आपत्तियों व सुझाव का अंगीकरण 28 अगस्त 2015 तक हुआ। जिला स्तरीय समिति में 10 फरवरी 2016 को रखा गया। 27 फरवरी 2016 को समिति की पुन: बैठक हुई। 14 मार्च 2016 को प्रकाशन हुआ। 1154 आपत्तियां आईं। ट्रैफिक घनत्व को बढ़ाते हुए 3 मई 2018 को संशोधन के साथ फिर बैठक हुई। 10 जुलाई 2018 को प्रकाशन हुआ। इस बार 1208 आपत्तियां आईं। 27 सितंबर 2019 को सारे संशोधन व आपत्तियों के निराकरण के साथ शासन को प्रेषित किया गया। इसके बाद 4 जनवरी 2020 को अधिसूचना जारी हुई।