उत्तर प्रदेश पुलिस कर्मियों को चेतावनी भ्रष्टाचार और अभद्र व्यवहार पर होगा अक्षम्म ,डीजीपी

by Umesh Paswan

भ्रष्ट पुलिस कर्मियों को डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि निष्पक्षता और ईमानदारी की कसौटी पर जो खरा नहीं उतरेगा, उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने बुधवार को जिलों के अफसरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर अपनी प्राथमिकताएं गिनाईं।

साइबर क्राइम बड़ी चुनौती, जागरूक करना पुलिस की भी जिम्मेदारी

डीजीपी ने कहा कि साइबर क्राइम बड़ी चुनौती हैं। इसके लिए दो रणनीति होनी चाहिए। पहला, ऐसे अपराधों के खुलासे के लिए गुणात्मक सुधार और दूसरा, साइबर अपराध के प्रति जागरूकता। बैंक अपने स्तर से ग्राहकों को जागरूक करता ही है, पुलिस की भी जिम्मेदारी है कि लोगों को साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूक करे।

खराब यातायात व्यवस्था से बनती है पुलिस के प्रति गलत धारणा
डीजीपी ने कहा कि खराब यातायात व्यवस्था से पुलिस के प्रति लोगों की गलत धारणा बनती है। ट्रैफिक की वजह से किसी व्यक्ति की ट्रेन, प्लेन या किसी छात्र की परीक्षा छूटती है तो यह पुलिस की कमजोरी ही मानी जाएगी। अगर जाम में फंसी एंबुलेंस में किसी मरीज की जान चली जाए तो पुलिस के बारे में उसके परिजनों की धारणा हमेशा नकारात्मक ही रहेगी। हमारे थोड़े से प्रयास से लोगों को राहत मिल सकती है।

हर हाल में समय से पूरी हो महिला अपराध की विवेचना

डीजीपी ने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के प्रति अपराध के मामलों में और अधिक संवेदनशील होने की जरूरत है। पिछले दिनों कुछ ऐसी घटनाएं भी सामने आईं जिनमें बच्चियों के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। ऐसे मामलों की विवेचना हर हालत में समय से पूरी होनी चाहिए।

डीजीपी ने कहा कि बीट सिस्टम और गश्त पुलिसिंग का पारंपरिक तरीका है, जो हमेशा कारगर रहा है। क्षेत्र में सिपाही की मौजूदगी से आम लोगों में सुरक्षा का भाव पैदा होता है, उसका कोई विकल्प नहीं हो सकता। गश्त मिलान की कार्रवाई भी थानों में सुनिश्चित की जाए।

हम लोग हर हफ्ते मिलेंगे
डीजीपी ने कहा, हमलोग हर हफ्ते इसी दिन इसी समय मिलेंगे। जो निर्देश या टास्क दिए गए हैं, उन पर किस जिले में कितना अमल हुआ, इसकी हर सप्ताह समीक्षा की जाएगी।

अफसरों से स्पष्ट शब्दों में कहा, निष्पक्षता और ईमानदारी मेरे प्रिय विषय हैं। इनकी अनदेखी व्यक्तिगत रूप से भारी पड़ेगी। डीजीपी ने कहा कि पुलिस का व्यवहार आमजन के साथ अच्छा होना चाहिए। एसएचओ स्तर पर शिकायतों के निस्तारण में गंभीरता की कमी अक्सर देखने को मिलती है। इसमें सुधार की जरूरत है। इसके अलावा सीयूजी नंबर न उठाना और पीड़ित के साथ ठीक से बर्ताव न करना क्षम्य नहीं होगा।

कानून-व्यवस्था और अपराध दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं। कई बार पुलिस द्वारा स्थिति को सही ढंग से हैंडल न करने की वजह से कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है। कई बार विवेचना में व्यावसायिक दक्षता के अभाव के कारण अपराधियों को लाभ मिल जाता है। ऐसे में आरोपी को चार्जशीट देने से पहले जिलों के कप्तान को अपने स्तर पर देखना होगा कि विवेचक ने पर्याप्त सुबूत एकत्र किए हैं या नहीं। जिलों में 20-25 गंभीर मामले होते हैं जिनकी मॉनिटरिंग एसपी को खुद करनी होगी।

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