रिजर्व बैंक ने आज लोने लेने वालों को बड़ी राहत का ऐलान किया है। आरबीआई ने लोन डिफॉल्टर की परिभाषा को फिलहाल बदल दिया है। आज के अपने संबोधन में गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जिन लोनधारकों ने मोराटोरियम पीरियड को चुना है, उन्हें 3 महीने के बाद 90 दिनों का अतिरिक्त समय दिया जाएगा ताकि वह EMI को दोबारा शुरू कर सकें। इस दौरान इसे NPA नहीं माना जाएगा। यह जानकारी आरबीआई गवर्नर ने दिए
बैंक उस लोन को एनपीए घोषित कर देता है जिसकी ईएमआई तीन महीने तक के लिए नहीं चुकाई जाती है। एक लोन जब एनपीए घोषित हो जाता है बैंक रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार रखता है। ऐसे में जिन लोगों ने कार लोन, कार लोन लिए हैं उन्हें अब 180 दिनों की राहत मिल गई है। जिसे लोगों को सुविधा मिले
अभी बैंकों को दबाव वाली संपत्तियों (NPA) के मामलों का निपटान 210 दिन में करना होता है। यदि वे निर्धारित समयसीमा में वे उसका निपटान नहीं कर पाते हैं तो उन्हें उसके लिए 20 प्रतिशत अतिरिक्त प्रावधान (प्रोविजनिंग) करना होता है। मौजूदा समय में बैंकों के पास चूक या डिफॉल्ट के बाद 30 दिन का समय समीक्षा के लिए होता है। उन्हें किसी इकाई द्वारा चूक के संदर्भ में निपटान योजना क्रियान्वयन 180 दिन के अंदर करना होता है।
NPA नहीं मानेगा बैंकदूसरे शब्दों में समझें तो जो लोन 29 फरवरी तक रेग्युलर थे और जिन लोगों ने मार्च में तीन महीने का मोराटोरियम विकल्प चुना है, उस लोन को 180 दिनों तक NPA नहीं घोषित किया जाएगा। बैंक ऐसे लोन में सितंबर तक EMI नहीं जमा होने पर भी एनपीए की घोषणा नहीं करेगी।