बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बिहार के अन्य प्रदेशों में फंसे मजदूरों बुलाने व कोटा में अध्ययनरत छात्रों के मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेरा

by Umesh Paswan

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार नीतीश कुमार सरकार पर हमलावर हैं. तेजस्वी यादव कभी पत्र तो कभी ट्वीट करके प्रवासी मजूदरों और कोटा में फंसे छात्रों के मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेर रहे हैं.

इसी क्रम में तेजस्वी ने एक बार बिहार सरकार पर हमला किया है. उन्होंने कहा, ‘बिहार सरकार के प्रवासी मजदूरों को राहत पहुंचाने संबंधित दावे की वास्तविकता और खंडन प्रतिदिन खुद फंसे हुए गरीब मजदूर कर रहे हैं हैं. हर रोज के अखबार, टीवी, सोशल मीडिया इत्यादि पर इनकी सैकड़ों आपबीती और व्यथा की खबरें मिलती हैं. अगर सरकार वाकई मदद कर पा रही है तो फिर ये कौन लोग हैं जो आए दिन सोशल मीडिया समाचार पत्र पर चिल्ला चिल्ला का मदद मांग रहे हैं

आरजेडी नेता ने कहा, ‘अगर मान लें कि प्रत्येक जिले से कम से कम 30 हजार लोग बिहार से बाहर मजदूरी/नौकरी कर रहें तो, पूरे राज्य से तकरीबन 11.40 लाख लोग बाहर हैं. सरकार के दावे के मुताबिक तो, इससे ज्यादा लोगों को सहायता राशि मिल चुकी है. फिर ये लोग क्यों गुहार लगा रहें है? इसका सीधा मतलब ये है कि इसमें भी गोलमाल है.

तेजस्वी ने कहा कि, सहायता राशि के लिए सरकार ने ‘लाभार्थी का बैंक खाता बिहार का होना चाहिए’ के रूप में‬ एक ऐसी शर्त रखी है. जिससे ज़्यादातर लोग अभी तक वंचित हैं. उन्होंने कहा कि, जहां यह मजदूर काम करते हैं, उनके मालिक वहीं खाता खुलवा देते हैं तो, अब बेचारे बिहार का खाता कहां से लाएं. आरजेडी नेता ने मांग किया कि, सरकार को इस शर्त को संशोधित करते हुए बिहार का आधार कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड इत्यादि का विकल्प जोड़ना चाहिए. ताकि जो इससे छूट गए हैं उनको भी यह सहायता राशि मिले.

उन्होंने कहा कि, मैं सरकार से यह भी मांग करता हूं कि लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान बाहर में दिए जाने वाले 1000 रूपए में 3-4 दिन से ज़्यादा का गुजर बसर नहीं हो सकता है, इसलिए यह राशि अनिवार्य रूप से साप्ताहिक अंतराल पर देनी चाहिए सरकार लॉक डाउन में फंसे सभी मजदूरों को तत्काल बिहार वापस बुलाएं

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