स्वतंत्रता आंदोलन के पूर्व बने लॉरी हाई स्कूल जो वर्तमान में माधव सप्रे स्कूल नाम से जाना जाता है इस स्कूल मैदान में सरकार दुकान व चौपाटी बनाकर क्या करना चाहती है इस धरोहर स्मारक को बचाने भारतीय जनता पार्टी वह नागरिक विरोध कर रहे हैं

by Umesh Paswan

स्वतंत्रता आंदोलन के पूर्व बने लॉरी हाईस्कूल जो वर्तमान में माधवराव सप्रे स्कूल नाम से जाना जाता है इस स्कूल मैदान में सरकार दुकान व चौपाटी बनाकर क्या करना चाहती है इस धरोहर स्मारक को बचाने भारतीय जनता पार्टी व नागरिक विरोध कर रहे हैं फिर भी रातों-रात दीवार खड़ी कर दी गई

जानकारों के अनुसार स्कूल की स्थापना के वक्त रायपुर में लॉरी नाम से ब्रिटिश कमिश्नर पदस्थ थे। उनका प्रभाव इस क्षेत्र में काफी था। उनके प्रभाव की वजह से तब इसे लॉरी हाईस्कूल नाम दिया गया। लेकिन वर्ष 1954 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पत्रकार, शिक्षाविद् और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माधव राव सप्रे की स्मृति में स्कूल का नामकरण सप्रे जी के नाम पर कर दिया गया

शिक्षा का उजियारा फैलाने के लिए हुआ निर्माण
बात सन् 1913 की है, जब बूढ़ापारा में स्कूल का निर्माण कराया गया। तब यहां निम्न तबके के बच्चों के पढऩे के लिए स्कूल की व्यवस्था नहीं थी। ठाकुर प्यारेलाल सिंह तत्कालीन नगर पालिका परिषद रायपुर के अध्यक्ष हुआ करते थे। वहीं पंडित रविशंकर शुक्ल जिला पंचायत के अध्यक्ष। इन दोनों विभूतियों ने ही स्कूल की कल्पना की। नगर पालिका और जिला पंचायत के फंड से स्कूल बनाया गया।

राजनेता से लेकर अधिकारी तक इस
वर्तमान सप्रे शाला से तब कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ ही कई राजनेता और उच्च अधिकारी पढ़कर निकले हैं। इनमें प्रमुख रूप से –
डॉ. महादेव प्रसाद पाण्डेय – स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
नारायण दास राठौर- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
काकेश्वर बघेल – स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
लीलाधर जमुने – स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
गोपालप्रसाद यदु – स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
मोतीलाल वोरा – राजनेता
विद्याचरण शुक्ल – राजनेता
रमेश बैस – राजनेता
रमाशंकर नायक – आईएएस (मप्र के चीफ सेकेरेट्री)

सप्रे शाला में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी अनेक यादें रची-बसी हैं। इसके गौरव को बचाकर रखने का प्रयास किया जाना चाहिए।

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