अहिवारा पहले ग्राम पंचायत था 1984 में नगर पंचायत अहिवारा बना जिसमें 2 ग्राम पंचायत अहिवारा व बानवरद एवं भिलाई इस्पात संयंत्र के नंदनी खदान मिलाकर एक नगर पंचायत अहिवारा बना नई नगर पंचायत के आवक की कोई साधन नहीं था केवल मध्य प्रदेश सरकार के भरोसे नगर पंचायत चलता था नाम मात्र का नगर पंचायत था 1987 में नगर पंचायत बहुत बड़ा शक्तिशाली बना क्योंकि भिलाई इस्पात संयंत्र ने 337. 40 एकड़ भूमि नगर पंचायत अहिवारा के नाम से हस्तांतरण किया गया यह नगर पंचायत की अपनी संपत्ति है बाकी ग्राम पंचायत अहिवारा ग्राम पंचायत बानवरद नंदनी टाउनशिप एरिया नगर पालिका को केवल रखवाली के लिए मिला क्योंकि नियम के मुताबिक ग्राम पंचायत की भूमि का मालिक राज्य शासन होता है (छत्तीसगढ़ शासन ) लिखा होता है शासन कहेगा इस भूमि को अन्य प्रयोजन कार्य करना है तो नगर पालिका के बिना अनुमति को भी शासन दे सकता है इसका उदाहरण ( खसरा नंबर 3 एवं 7 की भूमि जेके लक्ष्मी सीमेंट को नगरपालिका के बिना अनुमति को दे दिया गया) क्योकि उसके मालिक नगर पालिका नहीं है दूसरा उदाहरण यह है कि नगर पालिका विद्युत विभाग को सब स्टेशन के लिए जमीन नहीं देना चाहती फिर भी विद्युत विभाग ने अपना स्थान सुरक्षित का अपना बोर्ड लगा लिया वह बाकी 337. 40 एकड़ भूमि नगर पालिका के पास था उसमें से लगभग 8 से 10 वार्ड क्रमांक 12 में वृक्षारोपण हो गया लगभग 5से 6 एकड़ भूमि श्मसान व कब्रस्तान मे चला गया यही कहानी वार्ड नंबर 6, 7, 8 ,की है लगभग 60 से 65 एकड़ भूमि हैं जो 3 एकड़ में हाई सेकेंडरी स्कूल है उसी के साइड में छोटा सा पानी टंकी है इसके बाद वर्तमान में 5 ,6 वर्ष पूर्व शिवनाथ नदी से पानी आने वाले फिल्टर संयंत्र एवं आधा एकर का स्टेडियम और उसके आसपास थोड़ी बहुत भूमि बचा है जिसके मालिक नगर पालिका है बाकी कागज मे337.40 एकड़ नगर पालिका के नाम मे दिखता हैं।
सबसे सोचनीय विषय यह है कि जो नगर पालिका परिषद द्वारा सामाजिक भवन के लिए भूमि दिया गया है वह भी नियम के खिलाफ दिया गया है नगरपालिका एक प्रस्ताव पारित कर सामाजिक भवन के लिए भूमि दे दिया गया है जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय सिविल अपील क्रमांक 2965 /2011 में पारित निणय दिनांक 06/04/ 2011 के आमानना करते हुए सामाजिक सांस्कृतिक एवं परोपकारी कार्यों के लिए नगर पालिका ने भूमि दिया है आज नगर पालिका के पास 337. 40 एकड़ का आधा भूमि भी बचा होते तो लगभग 169 एकड़ भूमि नगर पालिका के पास रहता आज के समय में 169 एकड़ की कीमत लगभग 1.5 करोड़ प्रति एकड़ होता तो लगभग 7253 करोड रुपए की भूमि लगभग नगर पालिका के पास रहता आज अहिवारा नगर पालिका चलाने के लिए राज्य शासन की ओर देखना पड़ता है लगभग 35 से 40 लाख जेके लक्ष्मी सीमेंट नगर पालिका द्वारा को टैक्स देती है इसी प्रकार नंदनी खदान बीएसपी 15 से 18 लाख रुपया प्रति वर्ष देता है 90 से 95 लाख लगभग नगर के टैक्स से मिलता है बाकी राज्य शासन कुछ अनुदान देती है जिससे नगरपालिका के कर्मचारियों से लेकर नगर की व्यवस्थाओं का संचालन होता है यही नगर पालिका परिषद अहिवारा की हकीकत

नई-नई परिषद था मध्य प्रदेश बहुत बड़ा राज्य था बड़े राज होने के कारण सीमित राशि विकास कार्य के लिए आता था उसी में जरूरत के हिसाब से सही कार्य करना पड़ता था उस समय नगरपालिका में विशेष कोई आवक भी नहीं था

हमने नगर के लोगों के सहयोग व साथ एवं शासन के सहयोग से विकास किया नगरपालिका एक शासन के स्वतंत्र संस्था है नगर के विकास के लिए कार्य किए है

हमने अच्छे से नगर पालिका चलाया नगर के लोगों से लेकर शासन तक सहयोग मिला जहां तक संभव था हमने विकास कार्य किया अभी भी नगर के विकास एवं सुख दुख में हमारी सहायता रहेगी

हमारे कार्यकाल में जो भी परिषद रही है अध्यक्ष महोदय के साथ कंधे से कंधे मिलाकर आपसी विचार विमर्श कर एक सहमति से कार्य किए हैं ये समाचार या लेख आज की परिस्थिति और जब नई परिषद बनी थी उस दोनों में बहुत फर्क हैं समय के हिसाब जो लिखा कहा गया है सही है अहिवारा विधानसभा बन जाने से भी विकास कार्य में बढ़ोतरी हुई है