इतिहास के 25 जून 1975 का आपातकाल काला दिन का याद दिलाएं :अजय तिवारी

by Umesh Paswan

भारत में लोकतंत्र की स्थापना का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और गैर कांग्रेसी दलों को जाता है

किसी विचारक ने सटीक कहा है अगर आप इतिहास को याद नहीं रखोगे तो उसे बार-बार दोहराने पर विवश होंगे 25 जून 1975 को तब की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा थोप दिए गए आपातकाल इतिहास का एक ऐसा ही एक काला अध्याय है जिसे हमें कभी भूलना नहीं चाहिए उसे बार-बार हर बार स्मरण करते रहने की आवश्यकता है ताकि सत्ता में के मद में चूर होकर कांग्रेश या ऐसा कोई भी दल फिर से इस भयानक इतिहास को दोहराने का साहस नहीं कर पाए हम सब जानते हैं कि भारत कई सदी से लंबे संघर्ष और हजारों आत्माओं के बलिदान के बाद हमने आजादी पाई थी आजादी उपरांत संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद और संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष स्वर्गीय भीमराव अंबेडकर जिन्हें हम संविधान निर्माता के रूप में जानते हैं ने हमें लोकतंत्र का यह उपहार दिया है बड़े ही त्याग और बलिदान से प्राप्त इस लोकतंत्र को कांग्रेसी नेतृत्व की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी आधी रात को खत्म कर देश को फिर से तबाही और गुलामी के उस बांध में धकेल दिया था जहां से निकलकर 1947 के भारत वापस आ गया था

तब अभी अक्तित की आजादी की भी कुचल दिया गया था मीडिया पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था 25 जून 1975 की आधी रात को इमरजेंसी लगाने के तुरंत बाद अखबारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई ताकि ज्यादातर अखबार अकेले दिन आपात काल का समाचार ना छाप सके आपातकाल के दौरान 3801 अखबारों को जप्त किया गया 327 पत्रकारों को पत्रकारों को मीसा कानून के तहत जेल में बंद कर दिया गया 290 अखबार में सरकारी विज्ञापन बंद कर दिए गए ब्रिटेन के द टाइम्स ऑफ और जी गुलशन जैसी कई समाचार पत्र के साथ संवाददाताओं को भारत से निकाल दिए गए देश सहित कई विदेशी न्यूज़ एजेंसी ओ के टेलीफोन और दूसरी सुविधाएं काट दी गई 51 विदेशी पत्रकारों की मान्यता छीन ली गई 29 विदेशी पत्रकारों को भारत में इंट्री देने से मना कर दिया गया आज भी छत्तीसगढ़ में आपातकाल जैसी हालत निर्मित किए जा रहे हैं बात चाहे रिपब्लिक भारत के पत्रकार अनवर गोस्वामी और छत्तीसगढ़ में सैंकड़ों मुकदमे लाद देने का हुए हो या भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा को छत्तीसगढ़ में प्रताड़ित करने की कोशिश का हाल में सोशल मीडिया पर लिखने के कारण दर्जनों भाजपा कार्यकर्ताओं एवं आम नागरिकों की गिरफ्तारी हुई है हालात इतने खराब रहेगी बिजली जाने की शिकायत करने मात्र से छत्तीसगढ़ राजद्रोह का मुकदमा कर दिया गया लोगों को जेल भेजने की कार्रवाई की गई छत्तीसगढ़ की सरकार कांग्रेस की सरकार आपात काल वाली मानसिकता से ग्रस्त होकर ही लोकतंत्र सेनानियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है

आपातकाल की घोषणा होते स्वयंसेवक और तमाम गैर कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गई उन पर पड़तरना का सिलसिला चल रहा देशभर में लाखों लोग सत्याग्रह करने जेल गए और लाखों लोगों का गिरफ्तारी किया गया लोकनायक जयप्रकाश नारायण ,मोरारजी भाई देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, केआर मलकानी ,अरुण जेटली ,जॉर्ज फर्नांडिस ,नीतीश कुमार, सुशील मोदी ,रामविलास पासवान, शरद, यादव, राम बहादुर राय आदि गिरफ्तार रहे और गुजरात प्रकाश ब्रहम भट्ट, हरीन पाठक नलिन भट्ट समेत अविभाजित मध्यप्रदेश से भी सारे नेता गिरफ्तार कर लिए थे रायपुर में उपासने परिवार समेत सैकड़ों लोग जेल में थे भाजपा नेता सचितनन्द उपासने तीनों भाई 19 महीने तक जेल में था बद्री दीवान समेत काफी लोग इस अंचल से भी गिरफ्तार किए गए थे दुर्ग से पूर्व सांसद मोहन भैया, राम पाटणकर, डोमार चंद्राकर, डॉ लक्ष्मी नारायण चंद्राकर जैसे लोग को मीसा बंदी बनाया गया था उस समय उम्र भर के लिए सोच के लोग जेल गए थे क्योंकि आपातकाल के दौरान जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था उन्हें यह नहीं पता था कि आपातकाल कब हटे गा और कब रिहा होंगे इन लोगों ने मान लिया था कि अब वह कभी जेल से आजाद नहीं हो पाएंगे आज जिन पथ निरपेक्षता की बात होती है वह भी आपात काल के दौरान ही पहले दरवाजे के संविधान की प्रस्तावना में जोड़ दिया गया था समाजवाद शब्द ही आपातकाल के दौरान ही संविधान के प्रस्तावना का हिस्सा बन गया था

श्रीमती इंदिरा गांधी की तानाशाही का भ्रस्टाचार एवं तमाम अनियमितता के खिलाफ देशभर में भयंकर आक्रोश था गुजरात में कांग्रेस के जीवन भर पटेल की सरकार को भ्रष्टाचार के आरोप में ही जाना पड़ा था समूचे गुजरात की छात्र शक्ति सुलग रही थी इधर बिहार में लोकनायक जयप्रकाश की अगुवाई में संपूर्ण क्रांति का आंदोलन रफ्तार पकड़ रहा था जो देखते ही देखते देशव्यापी हो गया मार्च-अप्रैल 1974 में बिहार के छात्र आंदोलन का जयप्रकाश नारायण ने समर्थन किया उन्होंने पटना में संपूर्ण क्रांति का नारा देते हुए छात्रों किसानों और श्रम संगठनों से अहिंसक तरीके से भारतीय समाज का रूपांतरण करने का आह्वान किया 1 महीने तक देश की सबसे बड़ी रेलवे यूनियन राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर चली गई निर्मम तरीके से इसे सरकार के खिलाफ असंतोष के चुनाव में इंदिरा गांधी के प्रतिवादी रहे राज नारायण जी की चुनाव याचिका पर इलाहाबाद अब प्रयाग हाई कोर्ट द्वारा श्रीमती इंदिरा गांधी और तब 25 जून 1975 की रात को राष्ट्रपति शासन प्रधानमंत्री किस देश के संविधान अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल घोषित कर दिया लोकतंत्र को निलंबित कर दिया गया हाय अपनी दूर भावनाओं के कारण सत्ता में आते ही कांग्रेस ने सभी सेनानियों का पेंशन बंद कर दिया पिछली भाजपा सरकार द्वारा पूरी तरह सत्यापित सूची के आधार पर प्रदेश में करीब 320 सेनानियों की पेंशन दिया जा रहा था जिसे रोक दिया गया हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी कांग्रेसी यह टालमटोल कर रही है 200 से ज्यादा याचिकाओं का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने शासन को आदेश दिया है कि फिर लागू करे भी कांग्रेसी कान पर जूं नहीं रेंग रही है अर्थात जहां भी कांग्रेस की सरकार सत्ता में होती है उसकी मूल मानसिकता आपात काल वाली होती है अपने भ्रष्टाचार और और अनियमितताओं को छिपाने व प्रताड़ना और क्रूरता पर आमद हो जाती है अतः जैसे कि ऊपर लिखा हूं हमने आपात काल के काले इतिहास को हमेशा याद रखना चाहिए ताकि कभी इसे दोहराने की नौबत नहीं आए हम सबको हमेशा सचेत और सावधान रहना है यहां यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि आजादी के बाद हमें मिले लोकतंत्र को कांग्रेस ने 1975 में खत्म कर दिया था यह स्वयंसेवकों और भारतीय जनसंघ जनता पार्टी के नेताओं को जाता है जिन्होंने फिर से लोकतंत्र को भारत में बहाल किया आज का यह लोकतंत्र हमारी छाती है आजादी की दूसरी लड़ाई से पाई गई हाथी को हमें हमेशा सुरक्षित रखने का संकल्प लेना चाहिए

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