कोरोना महामारी और घोर आर्थिक संकट के दौर में निगम-मंडल-आयोग और संसदीय सचिव पद में हुई नियुक्तियां जनहित और राज्यहित में नहीं- जितेन्द्र वर्मा

by Umesh Paswan

भाजपा विधायक दल के स्थायी सचिव जितेंद्र वर्मा ने प्रदेश सरकार द्वारा की गई निगम मंडल आयोग और संसदीय सचिव के रूप में की गई नियुक्तियों की निंदा करते हुए कहा कि घोर आर्थिक संकट और कोरोना महामारी के दौर में प्रदेश जनता के हितों की उपेक्षा करते हुए प्रदेश की बघेल सरकार ने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाया है और निगम ,मंडल ,आयोग और संसदीय सचिव नियुक्तियाँ की है। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते सभी परेशान है, लोगो को रहने, बसने, खाने, पीने, व्यापार, व्यवसाय, रोजी-रोटी और जीवन चलाने में असीमित कठिनाइयाँ आ रही है। ऐसे समय मे प्रदेश कांग्रेस सरकार सिर्फ अपने नेताओं को मोटर, बंगले और मोटे वेतन भत्तों से संतुष्ट करने मात्र के लिए निगम, आयोग, मंडल में अध्यक्ष और सदस्य एवं संसदीय सचिव जैसे पदों से उपकृत करने में लगी है ।
जितेन्द्र वर्मा ने कहा कि पिछली सरकार में संसदीय सचिव बनाने का घोर विरोध करने वाली कांग्रेस पार्टी को 15 संसदीय सचिव बनाने में अब इसमें कुछ गलत नही लग रहा है। अभी तक पुलिस भर्ती, टीचर भर्ती जैसे जरूरी सभी भर्तियों में प्रतिबंध लगा के रखने वाली सरकार को पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं का कोई ध्यान नही है। ये शर्म और दुख की बात है कि कोरोना के चलते एक तरफ सरकारी कर्मचारियों के वेतन काटा जा रहा है। समाजसेवी और जन संगठन कोरोना से लड़ने हेतु भिन्न भिन्न प्रकार के स्वतः सहयोग निस्वार्थ भाव से दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार जनता की निधि को बर्बाद करने के उद्देश्य से अपने नेताओं को निगम ,मंडल ,आयोग में अध्यक्ष, सदस्य और संसदीय सचिव नियुक्त कर रही है। यदि परिस्थितियां अनुकूल हो तो ऐसे नियुक्तियाँ करने कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब कोरोना महामारी और घोर आर्थिक संकट की प्रतिकूल स्थिति हो तो ऐसे में इस प्रकार की नियुक्तियाँ किया जाना ना तो राज्य हित में है ना ही जनहित में है।

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