एक शहर में दो दोस्त रहते थे। एक का नाम राजेश था दुसरे का नाम दीपक था।
दोनों का सिमित परिवार था पति पत्नी और दो दो थे! दोनों में अथाह प्रेम था दोनों दिन रात अपने काम में लगे रहते थे खुब मेहनत कर परिवार का पालन पोषण करते थे। दीपक को नसे कि आदत थी। और राजेश उसकी आदत से चिढता था।एक दिन इसी बात पर दोनों में अनबन हो गई ।राजेश का परीवार हशी खुशी से चल रहा था और निरंतर प्रगति की और विकास की और अग्रसर था। वही दीपक का परीवार दुख भरी जिंदगी व्यतीत कर रहा था ।एक दिन दीपक कि बिटिया की तबियत अचानक खराब हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा? घर में गरीबी थी। दीपक ने रिश्तेदारों से मदद की गुहार की? मगर कोई आगे नही आया। तब दीपक कि पत्नी ने कहा आप अपने दोस्त राजेश जी से बात किजीए शायद वो हमारी मदद कर दे। इस पर दीपक ने कहा हमारा झगड़ा हुए दो वर्ष हो गये। हमने कभी बात नहीं कि और अब अचानक कैसे मदद के लिए कहुँ। दीपक कि पत्नी ने कहा आप फोन लगा कर मुझे दिजिए और दीपक ने हा कहकर फोन लगाया। फोन राजेश कि बिटिया ने उठाया और देखा किसी दीपक का फोन है बिटिया बोली पापा किसी दीपक का फोन आ रहा है। उधर मेस पर खाना खाते राजेश ने सुना तो भोचक्का रह गया और हाथ का निवाला थाली में छोड़ भाग कर आया और फोन उठाया उसकी आँखों में प्रेम छलक रहा था। राजेश कि पत्नी ये सब देख हैरान थीं। और खामोश भी। राजेश ने भरे हुए गले से हेलो कहा और उधर से दीपक कि पत्नी ने रोते हुए घर कि लाचारी और बिटिया के अस्पताल कि सारी बात बताई और फुट फुट कर रोने लगी। राजेश ने सात्वना देते हुए धीरज रखने को कहा और पुछा बिटिया कौन से अस्पताल में है और ये नालायक दीपक कहा है। इस पर दीपक की पत्नी ने अस्पताल का नाम बताया और कहा वो आपसे बात करने में संकोचित हैऔर डर रहे हैं। राजेश ने कहा आप घबराईए मत हम लोग अभी अस्पताल पहुँच रहे हैं। ये सब वाक्या राजेश कि पत्नी देख और सुन रही थी उसने राजेश को इतना खुश और दुखी कभी नहीं देखा था। इस्से पहले की राजेश कुछ कहता वो बोली कैसी है भाभी जी और भैया और क्या हुआ है बिटिया को तब राजेश ने सारा हाल बताया और कहा हमें उनकी मदद करनी चाहिए। तब राजेश कि पत्नी ने हा कहते हुए कहा आप कार निकालिए में कुछ रुपये निकाल के रख लेती हुं। दोनों अस्पताल पहुंचे देखा कि दीपक और उसकी पत्नी दयनीय स्थिति में दिखे और उदास भी उन्हें यकीन नहीं था जहाँ सारे रिश्तेदारों ने नजरें फेर ली वही दोस्त मदद को आगे आयेगा। जैसे ही दोनों ने एक दुसरे को देखा तो खुशी से भावी भौर हो गये दीपक ने शर्म से सर झुका लिया तब राजेश ने दीपक को गले लगाया और कहा सब ठीक हो जाएगा। इतना सुनते ही दीपक फुट फुट कर रोने लगा। राजेश ने दीपक की पीठ थपथपाई और कहा चल बिटिया कैसी है दिखा कर जैसे ही बिटिया रुम में गयें मौजुद डॉ, ने कहा अब बिटिया स्वस्थ हैं यदि समय पर पैसे जमा नहीं होतें तो बिटिया को बचाना मुश्किल हो जाता? चुंकि जब तक राजेश ने दीपक को धैर्य बंधाया तब तक राजेश की पत्नी ने अस्पताल में रुपये जमा कर बिटिया का ईलाज करवा दिया था । दीपक ने कहा मै कैसे तुम्हारा धन्यवाद करु मेरे पास शब्द नहीं है हम जिंदगी भर तुम्हारे ऋणी रहेंगे।तुम ही मेरेे सच्चे मित्र हो सारे रिश्तेदार सत्रु बन गए। तब राजेश ने कहा नहीं मित्र तुमहारा कोई शत्रु नहीं है तुम स्वयं अपने शत्रु हो और तुम्हारी बुरी आदतें और व्यसन तुम्हारे शत्रु जिन्की वजह से आज तुम्हारे परिवार के ये हालत है यदि तुम मुझे अपना सच्चा दोस्त आज भी मानते हो और वाकई मे मेरा ऋण उतारना चाहते हो तो आज से बुरे व्यसनों का त्याग कर अपने परिवार को सम्रद्ध बनाने का प्रयास करो। दीपक ने भरे मन कहाँ दोस्त में नशे कि लत में अन्धा हो गया था। मैं आज से ये प्रण करता हूँ कि नशा छोड़ दूंगा और अपनी कमाई का सारा पैसा अपने परिवार की सम्रद्धि और स्वास्थ्य पर खर्च करुंगा। और अच्छा दोस्त बनकर दिखाऊंगा।अच्छा अब हम चलते हैं कहकर राजेश और उस्की पत्नी चले गए। इस एक घटना ने दीपक कि जिन्दगी बदल दी अब दिपक और उस्का परिवार के खुश और सुखी रहने लगा। और राजेश और दीपक पहले जैसे दोस्त।।
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