रक्षाबन्धन पर यू-ट्यूब पर आनलाईन वेबीनार अपने को परमात्मा की छत्रछाया में सुरक्षित समझें, कमजोर विचारों को मन में न आने दें… ब्रह्माकुमारी सुदेश दीदी।

by Umesh Paswan

रायपुर, 02 अगस्त: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के रायपुर सेवाकेन्द्र के तत्वावधान में रक्षाबन्धन के उपलक्ष्य में यूट्यूब पर ऑनलाईन वेबीनार का आयोजन किया गया। विषय था-नकारात्मक विचारों और विकारों से मन की सुरक्षा।

वेबीनार में भाग लेते हुए ब्रह्माकुमारी संस्थान के यूरोप स्थित सेवाकेन्द्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी सुदेश दीदी ने कहा कि हमेशा अपने को परमात्मा की छत्रछाया में सुरक्षित समझें। किसी भी प्रकार के हीन विचारों को मन में न आने दें। विजय हमारा जन्म सिद्घ अधिकार है। इसलिए रक्षाबन्धन पर विजय का तिलक लगाकर व्रत लें कि अपने विचारों को परिवर्तित करना है। उन्हें श्रेष्ठ बनाना है।
उन्होंने आगे कहा कि यह विचार करना होगा कि हमें किस व्यर्थ चिन्तन और परेशान करने वाले विचारों से मुक्त होना है। मन में अगर भय को स्थान दे दिया तो हमारी वाणी और व्यवहार हमारे सम्बन्धों को प्रभावित कर सकते हैं। हमारे मन में सर्व के प्रति शुभ भावना और शुभकामना हो। किसी भी प्रकार के हीन विचारों को मन में न आने दें। विजय हमारा जन्म सिद्घ अधिकार है। इसलिए विजय का तिलक लगाकर व्रत लें कि अपने मन के विचारों को श्रेष्ठ बनाना है।

रूस स्थित केन्द्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी चक्रधारी दीदी ने कहा कि रक्षाबन्धन का तात्पर्य सिर्फ बहनों की रक्षा तक ही सीमित नहीं है। इस पर्व को विषतोड़क अथवा पुण्य प्रदायक पर्व भी कहा जाता है। अर्थात यह पुण्य प्राप्त कराने वाला और विषय विकार को तोडऩे वाला त्यौहार है। राखी बांधकर और मिठाई खिलाकर यह पर्व पूरा नहीं हो जाता है। बल्कि उसके पीछे छिपे रहस्य को जानकर अपनी मनोस्थिति को श्रेष्ठता की ओर ले जाना है।
उन्होंने कहा कि जब भी मनुष्य कोई कर्म करता है तो कर्म से पहले उसके मन में संकल्प उठता है। कहते हैं कि मनुष्य का मन एक चक्की की तरह है उसमें दाना डालेंगे तो हाथ में आटा आएगा नहीं तो मिट्टी हाथ में आती रहेगी। ऐसे ही मन का काम है चलते रहना। अगर आप उसमें श्रेष्ठ विचारों का दाना नहीं डालेंगे तो व्यर्थ चिन्तन या नकारात्मक विचार मन में चलने लगेंगे। इसलिए श्रेष्ठ संकल्पों से मन की स्थिति को शक्तिशाली बनाना बहुत जरूरी है।

नई दिल्ली के मनोचिकित्सक डॉ. अवधेश शर्मा ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में अनेक लोगों के मन में नकारात्मक विचार चलना स्वाभाविक है। ऐसे विचार उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो हैं ही उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा बहुत सारा समय भूतकाल और भविष्य की सोच में व्यर्थ चला जाता है। कई लोग छोटी -छोटी बातों को भी सोच सोचकर बड़ा कर डालते हैं? यह स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। चिन्ता आपको चिता की ओर ले जा रही है। ऐसे हालत में तुरन्त मनोचिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए। इससे बचने के लिए रोज सुबह उठते ही थोड़ा सा मेडिटेशन करें, भजन सुनें, अच्छे विचारों से स्वयं को भरपूर कर लें। मुश्किलें आती हैं, जाती हैं लेकिन वह लोग जो मुश्किलों से जूझना जानते हैं वही लम्बे समय तक चलते हैं।

एम्स रायपुर के डायरेक्टर डॉ. नितिन एम. नागरकर ने कहा कि पिछले पांच छ: महिने से हम कोविड-१९ से जूझ रहे हैं। इस समय यह बहुत जरूरी है कि हम मानसिक तौर पर मजबूत बनें। अपने बचाव के लिए सावधानी रखें, भीड़ भाड़ वाले इलाके में जाने से बचें। आम तौर से कोविड-१९ की यह बिमारी ठीक हो जाती है। सिर्फ उन्हें थोड़ी तकलीफ हो सकती हैं जिन्हें इसके साथ-साथ और भी दूसरी बीमारी है। सबसे अच्छी बात यह होगी कि हमारे मन में सदैव सकारात्मक सोच होनी चाहिए। सकारात्मक सोच हमें हर कार्य में सफलता दिलाएगी। इससे हमें मानसिक ताकत मिलती है। कोविड से भी घबराने की जरूरत नहीं है अभी परीक्षण के साथ-साथ अस्पतालों में इसके ईलाज की भी बेहतर व्यवस्था उपलब्ध है।

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक ने कहा कि माँ-बाप हमेशा बच्चों को मना करते हुए कहते हैं कि यह मत करो, ऐसे मत करो आदि। किन्तु यह नहीं बतलाते कि ऐसे करो। बचपन में यहीं से नकारात्मक सोच शुरू हो जाती है। दैनिक जीवन पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। जरूरत अपनी सोच को बदलने की है? कई बातों में हम अपनी तुलना दूसरों से करने लगते हैं? जिसके कारण मन में ईष्र्या की भावना पैदा होती है। यह ठीक नहीं है। कोशिश करनी चाहिए कि सोने से पहले अपनी दिन भर की दिनचर्या को देखें और आत्म विश्लेषण करें तथा अगले दिन के लिए पाजिटिव मैसेज अपने मन को दें।

शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर रायपुर की निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने कहा कि रक्षाबन्धन हम हर वर्ष मनाते हैं। मन में सवाल उठता है कि हम किससे असुरक्षित हैं? दरअसल हम असुरक्षित हैं काम कोध लोभ मोह और अहंकार रूपी पांच विकारों से। अब हम ऐसा कौन सा व्रत लें जिससे कि हम सुरक्षित हो जाएं? व्रत इस बात का लें कि हम नकारात्मक और व्यर्थ बातों से दूर रहेंगे। इससे मन कमजोर होता है और मन कमजोर होने से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। मन को शक्तिशाली बनाने के लिए रात्रि को सोने से एक घण्टा पहले अपने को टेलीविजन और इन्टरनेट से दूर कर स्वचिन्तन करें। अच्छा होगा कि मेडिटेशन करें।

इस अवसर पर रायपुर के स्थानीय गायक स्वप्निल कुशतर्पण तथा कु. शारदा नाथ ने रक्षाबन्धन से सम्बन्धित बहुत ही सुन्दर स्वरचित गीत गाकर भाव विभोर कर दिया।

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