पिछले 5 महीनों से, जब से कोरोना और लॉकडाउन शुरू हुआ, मैं देख रहा हूं कि स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय संगठक,अपने कश्मीरी लाल जी प्रातः काल तैयार होकर प्रातः 9:30 पर दिल्ली कार्यालय में ऊपर आवास से नीचे (वर्किंग)कार्यालय आ जाते हैं और रात्रि 8:30 बजे तक फोन, वीडियो कॉन्फ्रेंस, डिजिटल कार्यक्रम,यही चलता रहता है।
लगातार 11 घंटे की वर्किंग! और केवल कश्मीरी लाल जी ही नहीं,जब भी मैंने किसी भी प्रांत संयोजक, क्षेत्र संयोजक या अन्य कार्यकर्ता को फोन किया है तो पाया है कि हमारे कार्यकर्ता जितनी वर्किंग कोरोना से पहले के समय पर करते थे, उससे ज्यादा इस समय पर कर रहे हैं।
और क्यों? क्योंकि स्वदेशी के कार्यकर्ताओं ने इस कोरोना के कारण आई कठिनाई को अवसर में बदलने का निश्चय किया,और स्वदेशी स्वावलंबन अभियान शुरू किया। जिसके अंतर्गत लगभग एक मास चले डिजिटल हस्ताक्षर अभियान में देश के सभी 739 जिलों में 14 लाख हस्ताक्षर करवा लिए, 47000 डिजिटल वालंटियर भर्ती कर लिए और अभी इन दिनों में देश भर के हजारों कार्यकर्ता व्यस्त हैं अर्थ एवं रोजगार सृजक सम्मान कार्यक्रम करने में। आज तक 85 जिलों में 700 लोगों को सम्मानित कर भी चुके हैं।
वास्तव में स्वदेशी के यह कार्यकर्ता धन्य हैं जो ना केवल अपना समय व शक्ति लगाते रहते हैं बल्कि कठिनाई भी आई (कोरोना) तो उसको भी अवसर में बदल कर पहले से अधिक सफल व व्यापक कार्यक्रम कर रहे हैं, और संगठन का विस्तार भी।और तो और दिल्ली कार्यालय के कर्मचारी भी पहले से कहीं अधिक काम कर रहे हैं।
स्वदेशी के इन कार्यकर्ताओं को इसके बदले में कुछ मिलता भी नहीं, उन्हें चाहिए भी नहीं। उनके मन में तो एक ही विचार रहता है “तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहे न रहें!”
और वे गुनगुनाते रहते हैं…
“हम धन्य हैं इस जग जननी की, सेवा का अवसर है पाया!..है पुष्प इसी के चरणों में, मां प्राणों से भी प्यारी है!
..मन मस्त फकीरी धारी है,अब एक ही धुन जय-जय भारत!