नंदिनी बीएसपी रेस्ट हाउस में धमधा ब्लॉक अध्यक्ष कांग्रेस सेवा दल रामपाल नाविक के नेतृत्व में कांग्रेस सेवा दल की स्थापना दिवस धूम धाम से मनाई गई। एवं कांग्रेस सेवादल की स्थापना से लेकर आज तक की जानकारी ब्लॉक अध्यक्ष कोंग्रेस सेवादल रामपाल नाविक एवं उमेश मिश्रा इंटू अध्यक्ष नंदिनी माइंस ने विस्तृत रूप से कार्यकर्ताओं की जानकारी दी।
कांग्रेस में सेवादल को फ़ौजी अनुशासन और जज़्बे के लिए जाना जाता है. इसका संगठनात्मक ढांचा और संचालन का तरीक़ा सैन्य रहा है. कभी कांग्रेस में शामिल होने से पहले सेवादल की ट्रेनिंग ज़रूरी होती थी. इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी की कांग्रेस में एंट्री सेवादल के माध्यम से ही कराई थी. नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक सब सेवादल को ‘कांग्रेस का सच्चा सिपाही’ कहते रहे हैं.

नाविक बताये कि कैसे 1923 से पहले आज़ादी के आंदोलन में शामिल कांग्रेस के कार्यकर्ता जेल जाते और माफ़ीनामा लिखकर बाहर आ जाते थे. झंडा सत्याग्रह के दौरान 1921 में हार्डिकर और उनके मित्रों की राष्ट्र सेवा मंडल ने जब माफ़ी मांगने से मना कर दिया तो उनपर कांग्रेस के बड़े नेताओं की निगाह गई. तभी यह सोचा गया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण की ज़रूरत है.
नागपुर सेंट्रल जेल में उन्होंने एक ऐसा संगठन बनाने का निश्चय किया जो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर उनमें फ़ौजी अनुशासन और लड़ने का माद्दा पैदा कर सके. हार्डिकर जेल से बाहर आने के बाद इलाहाबाद जाकर नेहरू जी से मिले और सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले लड़ाका संगठन की स्थापना पर चर्चा हुई. इसके बाद 1923 में कर्नाटक में आयोजित कांग्रेस सम्मेलन में सरोजनी नायडू ने हिंदुस्तानी सेवादल बनाने का प्रस्ताव रखा. इसके पहले चेयरमैन नेहरू बनाए गए. इसी संगठन को बाद में कांग्रेस सेवादल के रूप में जाना गया.
कांग्रेस के बेलगाम सम्मेलन (1924) में पहली बार सेवादल को सैनिटेशन और सिक्युरिटी की व्यवस्था का काम दिया गया था. तब बाल्टियों में मैला उठाया जाता था. सेवादल से जुड़े सभी वर्ग के लोगों ने, चाहे वे ब्राह्मण ही क्यों न हों, सम्मेलन में आए लोगों का मैला साफ़ किया था. इसी सम्मेलन में महात्मा गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. तब गांधी जी ने कहा था कि हार्डिकर और उनके संगठन के बग़ैर कांग्रेस का अधिवेशन सफल नहीं हो पाता.
कांग्रेस जब-जब परेशानी में रही है, सेवादल के सिपाही आगे आते रहे हैं. बकौल बलराम, ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के बाद पंजाब में कांग्रेस के लिए काम करना एकदम मुश्किल था, तब सेवादल ने बंदूकों और गोलियों के बीच रहकर वहां संगठन का काम किया. जब 1977 में सत्ता से बाहर होते ही इंदिरा गांधी की सुरक्षा कम कर दी गई तो सेवादल ने चौबीसों घंटे उनकी सुरक्षा की. राजीव गांधी के सत्ता से बाहर होने पर भी सेवादल की ज़िम्मेदारी बढ़ गई थी.