अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के देशव्यापी आह्वान पर पूरे प्रदेश के किसान और नागरिक-समूह नव वर्ष के पहले दिन 1 जनवरी को किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को तेज करने और उसे मुकाम तक पहुंचाने की शपथ लेंगे। इसके साथ ही वे अडानी-अंबानी के सामानों और उनकी सेवाओं का बहिष्कार करने की भी शपथ लेंगे।

by Umesh Paswan

1 जनवरी को पूरे प्रदेश में किसान लेंगे शपथ : किसान सभा

छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पूरे दिन गांव-गांव में यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें किसान अपनी खेती-किसानी को बचाने और देश की अर्थव्यवस्था को कार्पोरेटों के हाथों जाने से रोकने के लिए देशव्यापी किसान संघर्ष को गांव-गांव में फैलाने और इसके लिए अपने को स्वयंसेवक के रूप में इस आंदोलन को समर्पित करने की शपथ लेंगे। वे इस आंदोलन को तब तक जारी रखने की शपथ लेंगे, जब तक कि मोदी सरकार किसान विरोधी कानूनों और कृषि विरोधी नीतियों को वापस लेने की ठोस घोषणा नहीं करती।

उन्होंने कहा कि देश का किसान आंदोलन मंडियों के निजीकरण का और ठेका खेती का विरोध कर रहा है। वह अडानी-अंबानी को देश के खाद्यान्न भंडार और अनाज व्यापार सौंपने का विरोध कर रहा है, क्योंकि इससे देश में जमाखोरी, कालाबाज़ारी और महंगाई तेजी से बढ़ेगी। देश के किसान बिजली कानून में कार्पोरेटों को लाभ पहुंचाने वाले और किसानों से सस्ती बिजली छिनने वाले संशोधनों का विरोध कर रहे हैं। वे फसलों की सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन मोदी सरकार इन जायज मुद्दों पर बातचीत करने के बजाए इस आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार करने में ही लगी हुई है।

किसान सभा नेताओं ने बताया कि किसानों को शपथ दिलाने के बाद आम सभा आदि भी की जाएगी, जिसके जरिये ग्रामीणों को तीनों काले कानूनों के बारे में तथा इस आंदोलन और इसकी मांगों के बारे में बताया जाएगा। इसके साथ ही मोदी-अडानी-अंबानी के पुतले आदि भी जलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को देशी-विदेशी कार्पोरेटों के हाथों में सौंपने की मोदी सरकार की हर साजिश का इस देश की मेहनतकश जनता डटकर मुकाबला करेगी।

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