रायपुर। तीन कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाये जाने की मांग को लेकर पिछले चार महीने से देश भर में चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन के आव्हान पर 26 मार्च को होने वाले भारत बंद का प्रदेश की चार वामपंथी पार्टियों ने समर्थन किया है। उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर को शुरू हुए इए ऐतिहासिक और शांतिपूर्ण आंदोलन को 26 मार्च को पूरे चार माह हो रहे हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव संजय पराते, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव आरडीसीपी राव, सीपीआई (एम एल)-लिबरेशन के राज्य सचिव बृजेन्द्र तिवारी और एसयूसीआई (सी) के विश्वजीत हरोड़े ने संयुक्त रूप से जारी बयान में कहा है कि देश की कृषि को कारपोरेट के हवाले करने और किसानों को उनकी ही जमीनों से बेदखल करने के साथ ही देश की अन्न सुरक्षा को खतरे में डालने वाले इन कानूनों का देश भर में विरोध हो रहा है। संसद में भी जिन राजनीतिक दलों ने पहले इन कानूनों का समर्थन किया था, अब इन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
इन दलों की ओर से कहा गया है कि ये कानून सिर्फ किसानों और कृषि के ही खिलाफ नहीं हैं, बल्कि गरीब की रोटी को भी कारपोरेट की तिजोरी में बंद कर देने की साजिश का हिस्सा हैं। गरीब के मुंह के निवाले को छीनने वाले इन कानूनों का देश का हर तबका विरोध कर रहा है।
वामपंथी दलों ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार की निजीकरण की नीतियों का अब तो मुखर विरोध हो रहा है। बैंकों की दो दिवसीय सफल हड़ताल के बाद बीमा क्षेत्र की दो दिन की सफल हड़ताल ने भी संघर्षरत किसानों की आवाज में आवाज मिलाई है।
वामपंथी दलों ने देश के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी 26 मार्च के भारत बंद को सफल बनाने की अपील की है।
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