भाजपा को खोई जमीन छत्तीसगढ़ में पाना है तो ओबीसी से केन्द्र में मंत्री बनाना होगा

by Umesh Paswan

दुर्ग एक लोकसभा सीट है, जो छत्तीसगढ़ में है. दुर्ग लोकसभा सीट General के लिए आरक्षित है.यह एक Semi-Urban संसदीय क्षेत्र है जहां साक्षरता दर78.67% के करीब है. 2014 के डेटा के मुताबिक यहां 18,58,922 मतदाता हैं, जिनमें से पुरुष और 909771 महिलाएं मतदाता हैं. 222 मतदाता अन्य अथवा थर्ड जेंडर हैं. 2014 चुनाव में इस सीट पर BJP को हराकर (alliance: UPA) के प्रत्याशी Tamradhwaj Sahu विजयी रहे. कुल मतों 12,58,342 में से 5,70,687 मत हासिल कर INC ने जीत दर्ज की. 2009 लोकसभा चुनाव में BJP ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी.17वीं लोकसभा चुनने के लिए Tuesday, April 23, 2019 को हो रहे 2019 आम चुनाव के 3 चरण में दुर्ग सीट पर मतदान हुआ था . इस सीट के चुनाव परिणाम गुरुवार, 23 मई 2019 को घोषित हुआ. 2014 लोकसभा चुनाव में कुल 67.74% मतदाताओं ने मतदान किया।

दिल्ली: छत्तीसगढ़ की दुर्ग लोकसभा सीट से 2014 में कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने जीत हासिल की थी। दिसंबर 2018 में ताम्रध्वज साहू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद ये सीट रिक्त हो गई है। पार्टी के निर्देश पर उन्होंने पिछले साल दुर्ग ग्रामीण की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत के बाद मुख्यमंत्री के दावेदारों में उनकी गिनती हुई, मगर दुर्ग लोकसभा सीट के अंतर्गत पाटन से विधायक और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को आखिरकार सीएम की कुर्सी मिली। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 68 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था। यहां कुल 18 लाख 55 हज़ार से कुछ ज्यादा मतदाता हैं। इनमें से 12 लाख 58 हजार से ज्यादा मतदाताओं ने वोट डाले थे। विजेता उम्मीदवार ताम्रध्वज साहू को 5 लाख 70 हज़ार से ज्यादा वोट मिले थे। वे मात्र 16 हज़ार 848 वोटों से ही जीत दर्ज कर सके।

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी की सिर्फ तीन सीट पर हार हुई है। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव से पहले संगठन की सर्वे रिपोर्ट में दुर्ग लोकसभा सीट को सुरक्षित सीट माना गया था। ऐसे में दुर्ग की हार को लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने गंभीर रुख अपनाया।

पार्टी सूत्रों के अनुसार दुर्ग लोकसभा में भाजपा की गुटबाजी को हार के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दुर्ग लोकसभा में सभा भी हुई थी। इसे बाद भी 2014 दुर्ग लोकसभा शीट हार गए उस समय देश में मोदी लहर भी था केंद्रीय नेतृत्व और भी ज्यादा चिंतित है कि आखिर मोदी की सभा के बाद ही सीट पर जीत नहीं दर्ज हो पाई। दुर्ग लोकसभा सीट पर राज्य गठन के बाद से ही भाजपा की लगातार जीत होती रही है। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव से पहले संगठन की सर्वे रिपोर्ट में दुर्ग लोकसभा सीट को सुरक्षित सीट माना गया था। ऐसे में दुर्ग की हार को लेकर केंद्रीय नेतृत्व गंभीर था

पार्टी सूत्रों के अनुसार दुर्ग लोकसभा में भाजपा की गुटबाजी को हार के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दुर्ग लोकसभा में सभा भी हुई थी। इसे लेकर केंद्रीय नेतृत्व और भी ज्यादा चिंतित है कि आखिर मोदी की सभा के बाद ही सीट पर जीत नहीं दर्ज हो पाई। दुर्ग लोकसभा सीट पर राज्य गठन के बाद से ही भाजपा की लगातार जीत होती रही है।

15 अगस्त 2019 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घोषणा की कि प्रत्येक निवासी हर सूची जनजाति को 32% अनुसूचित जाति को 13% और पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण प्रदान किया जाएग दुर्ग लोकसभा के आम चुनाव 2019 में दुर्ग लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी विजय बघेल 8, 49, 374 मत प्राप्त किए वहीं कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिमा चंद्राकर 4,57,331 मतपाकर हार का मुंह देखना पड़ा 1991 में कांग्रेस की जीत के बाद 1986 के चुनाव में यहां से बीजेपी का कब्जा रहा

वहीं अगर ओबीसी वर्ग अगर नाम की चर्चा होती है तो सबमे से दुर्ग सांसद विजय बघेल काफी आगे है। विजय बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के क्षेत्र से है और दोनों ही पाटन विधानसभा सीट से एक दूसरे के धुर प्रतिद्वन्द्वी है। और वही विजय बघेल ने पहली बार लोकसभा
का चुनाव दुर्ग से लड़ा और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा वोटों से चुनाव को जीत कर लोकसभा तक पहुंचे हैं। और पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता के रूप में उनकी छत्तीसगढ़ प्रदेश में बेहतर छवि मानी जाती
। विजय बघेल छत्तीसगढ़ प्रदेश कुर्मी समाज के प्रदेश अध्यक्ष है एवं सभी समाज में प्रदेश में लोकप्रिय नेता के रूप में जाने जाते हैं

बिलासपुर. बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र लगभग 30 साल से भाजपा का गढ़, 18 में से 7 चुनाव भाजपा जीत चुकी है, कांग्रेस के सामने है गढ़ भेदने की चुनौती। इस बार मुकाबला दिलचस्प था। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही इस बार बिलासपुर में नए चेहरों को मैदान में उतारा था। भाजपा की बात करें तो यहां से पार्टी ने अरूण साव को टिकट दिया है। नीचे आप भाजपा प्रत्याशी की प्रोफाइल देखें।

प्रत्याशी- अरूण साव
पार्टी- भाजपा
शिक्षा- बीई, एलएलबी
प्रोफेशन- वकालत
राजनीति में कैसे आए- पार्टी और संघ के कार्य में परिवार के लोग जुड़े थे।
उपलब्धियां क्या हैं- छात्र हित में अनेक आंदोलन किए, जनसमस्याओं के मुद्दे उठाते रहे।
कभी मंत्री रहे हैं- कभी नहीं
कितने चुनाव लड़े हैं- एक जनपद सदस्य मुंगेली
कितने जीते-कितने हारे- पहली बार लड़े और हार गए
पार्टी में पद- पूर्व उप महाधिवक्ता

बिलासपुर लोकसभा के 9 बड़े मुद्दे
1बिलासपुर में शुरू नहीं हो रही हवाई सेवा, कई बार की जा चुकी है घोषणाएं, कोर्ट के निर्देश के बाद भी मामला अटका।
2किसानों को धान के बोनस व प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का नहीं मिल रहा लाभ
3 उसलापुर रेलवे स्टेशन को बनाया जा रहा टर्मिनल लेकिन अपग्रेड करने के लिए काम नहीं पकड़ रहा तेजी, यात्री सुविधाओं पर काम नहीं।
4रेलवे का मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा पर आज तक नहीं हुआ अमल, देश में सबसे अधिक कमाई वाला जोन है बिलासपुर रेलवे जोन फिर भी उपेक्षित है।
5बिलासपुर में केन्द्र व राज्य सरकार की चिकित्सा संबंधी योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति बदहाल, आयुष्मान योजना से निजी चिकित्सकों ने खींचा हाथ, लोगों को लाभ नहीं।
6सिम्स में सुपर स्पेशलियटी हास्पिटल की नहीं रखी गयी नींव, बजट पहले से है मंजूर, लेकिन काम अटका।
7पेंड्रा-गौरेला को जिला बनाने के मामले में आड़े आ रही राजनीति, पहले भाजपा और अब कांग्रेस पीछे हट रही
8मुंगेली में नहीं हैं उच्च शिक्षा की बेहतर व्यवस्था, बड़े शासकीय कालेज की मांग की जा रही है लंबे समय से।

9कृषि उपज बढ़ाने के लिए चल रही सरकारी योजनाओं का नहीं मिल किसानों को लाभ, अरपा भैंसाझार सहित कई सिंचाई योजनाएं अब तक नहीं हो सकी पूरी, हजारों एकड़ खेतों को नहीं मिल पाता है सिंचाई का पानी

छत्तीसगढ़ में जाति समीकरण पर भी देखा जाए तो साहू समाज छत्तीसगढ़ में संगठित एवं जागरूक समाज हैं।

यह मेरा निजी राय एवं स्थानीय लोगों कि सर्वे के आधार पर लिखा गया है।

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