विश्व आदिवासी दिवस पर सरकार से अनुरोध की आदिवासी कि उत्थान धरातल पर हो ।

by Umesh Paswan

देश में आदिवासियों को जनजातीय समुदाय के रूप में जाना जाता है मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के अलावा उड़ीसा, मध्य प्रदेश ,मिजोरम, राजस्थान, गुजरात ,महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश ,बिहार ,झारखंड और बंगाल में इनकी बहुलता है। अधिकतर आदिवासी अपनी संस्कृति के घरा तल पर जीवन यापन करते हैं।वे सामान्यतयः क्षेत्रीय समूहों में रहते हैं और उनकी संस्कृति अनेक दृतिओ से स्वयं ही रहती है । चिंताजनक बात यह है कि राज्य की विशेष संरक्षित जनजाति बिरहोर खतरे में है। इसकी जनसंख्या लगातार कम हो रही है यह जनजाति रायगढ़, जशपुर, बिलासपुर ,और कोरबा जिले में दुर्गम जंगलों में रहती है। यही स्थिति पहाड़ी कोरवा पंडों और अबुझामाडिया की भी है। अगर इन सब पर ध्यान नहीं दिया गया तो इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएंगे हालांकि उनके संरक्षण के लिए आधा दर्जन प्राधिकरण बने हैं, कई योजनाएं चल रही हैं इसके बावजूद उनके स्वास्थ्य, शिक्षा सुविधा और विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
राज्य की कुल आबादी में 32 प्रतिशत आदिवासी है। वह आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत है बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के लिए गुहार लगाते दिखाई दे रहे हैं। जंगल के मालिक कहे जाने वाले आदिवासियों की स्थिति बदतर होती जा रही है राज्य के 90 में से 29 विधानसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है संविधान की पांचवी अनुसूची में अनुसूचित जनजाति की सामाजिक संस्कृतिक भाषाई और आर्थिक स्तर की सुरक्षा का प्रावधान है। आदिवासियों की भाषा संस्कृति परंपराओं एवं जल जंगल और जमीन पर आधारित उनकी अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए एक कानून बहुत जरूरी था इसके अलावा 1996 में पेसा अर्थात पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र में विस्तार) कानून लाया गया । स्थिति यह है कि आदिवासी छात्र तक अपने अधिकारों का पूरा लाभ नहीं ले पा रहे हैं यह वर्ग अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा है। राज्य में सत्तारूढ़ दल हो या विपक्षी दोनों ही आदिवासियों की बेहतरी का दवा कर अपने कार्यकाल और योजनाओं का बखान कर रहे हैं। मगर सच्चाई यह है कि जनजातीय सलाहकार परिषद में आज भी गैर आदिवासी अध्यक्ष है। आदिवासी नेताओं की संसद और विधानसभा में निष्क्रियता भी समाज के पिछड़ेपन का बड़ा कारण है। जब तक आदिवासी वर्ग के प्रतिनिधि खुलकर अपनी बात नहीं रखेंगे यह समस्या बनी रहेगी। आदिवासियों के स्वास्थ्य ,शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं आदि पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आशा की जानी चाहिए कि सरकार इस आदिवासी दिवस पर उनके विकास का संकल्प लेगी और क्रियावन कर उनके जीवन में खुशहाली लाएगी।
इसी प्रदेश के वर्ष 2017 में कुनकुनी जमीन घोटाले में श्री जयलाल राठिया के मृत्यु के संबंध में दैनिक समाचार पत्र पत्रिका में प्रकाशित समाचार का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा स्थानीय जांच हेतु 2 सदस्य जांच दल का गठन किया गया था जिसमें आरके दुबे सहायक निदेशक क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल एवं श्री पीके दास वरिष्ठ अनुदेशक क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर सम्मिलित थे जांच दल ने 28/03/ 2017 से 29/03/ 2017 तक रायगढ़ जिले में जाकर मृतक के परिजनों अन्य संबंधित लोगों खरसिया थाने के प्रभारी, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, खरसिया जिला कलेक्टर एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायगढ़ आदि से मिलकर मामले के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्राप्त की एवं अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसमें कुनकुनी गांव में बड़े पैमाने पर भूमाफिया एवं व्यापारी वर्ग द्वारा कई वर्षों से अवैध तरीके से भूमि का क्रय विक्रय किया जा रहा है जिसमें क्रेता द्वारा विक्रेताओं को जमीन के मूलतः बाबत जो चेक दिए गए वह भी बाउंस हो गए इस कारण कुनकुनी गांव के कई आदिवासी परिजनों को नहीं रुपया मिला और नहीं जमीन वापस मिली कुछ परिवारों की जमीन खुद दी गई जिससे वहां खेती करना संभव नहीं रह गया अतः अवैध तरीके से ली गई जमीन मूलभूत स्वामी को पुनः नामांतरण करने की कहा गया। 2. कुनकुनी गांव के जमीन घोटाले के संबंध में अभी तक की गई कार्यवाही संतोषजनक नहीं है कुछ छोटे सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर कुछ दिनों बाद बहाल कर दिया गया है और विभागीय जांच जारी है अतः जिला प्रशासन द्वारा विशेष जांच दल गठित कर गांव के सभी पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा तथा उनकी जमीन वापस करने के साथ-साथ उचित जमीन घोटाले में संलिप्त सभी आरोपियों भूमाफिया बिचौलियों एवं राजस्व कर्मियों के विरुद्ध अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के प्रावधानों के तहत कार्यवाही किया जाना आवश्यक। 3 रिपोर्ट पर जिला प्रशासन द्वारा ली गई कार्यवाही की समीक्षा हेतु दिनांक 08/05 2017 को आयोग द्वारा मुख्यालय नई दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई जिसमें कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक रायगढ़ तथा मंडल रेल प्रबंधक दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे सम्मिलित हुए इस बैठक में जिला कलेक्टर रायगढ़ ने अवगत कराया कि ग्राम कुनकुनी तहसील खरसिया जिला रायगढ़ के आदिवासियों की लगभग 300 एकड़ भूमि सप्तऋषि इनफैक्चर कंपनी द्वारा नियम विरुद्ध एवं कूट रचना द्वारा नामांतरण कराई गई। उन्होंने यह भी बताया कि न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, खरसिया में धारा 170( 1 एवं 2) के तहत 73 प्रकरण दर्ज किए गए हैं जिसके तहत मूल भूमि स्वामी आदिवासियों को जमीन लौटने की कार्यवाही की जा रही है।
आयोग के सदस्यों द्वारा कुनकुनी तहसील खरसिया जाकर वेदांता रेल साइडिंग का मुआयना किया जहां अनुसूचित जनजातियों को भूमि अवैध रूप से लिए जाने की शिकायत प्राप्त हुई थी स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि इस स्थान पर 200 एकड़ भूमि ली गई है जिसमें 29 हेक्टेयर अर्जित भूमि तथा बाकी कंपनी द्वारा सीधे लोगों से खरीदी गई भूमि सम्मिलित है।वही आयोग दल ने ग्राम कुनकुनी के डी बी पावर कंपनी लिमिटेड हेतु रेल लाइन बिछाने के लिए भूमि लिए जाने का मौके पर अवलोकन किया वेदांता कोल वाशरी एवं रेलवे साइडिंग स्थल निरीक्षण के बाद ग्राम पंचायत भवन कुनकुनी जाने से पूर्व स्थानीय लोगों ने जांच दल का ध्यान डीबी पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही अधोसंरचना सड़क मार्ग रेल मार्ग सड़क पर बनाए जा रहे पुल पुलिया की ओर आकर्षित किया लगभग 8 से 10प्रभावित लोगों से चर्चा करने पर ज्ञात हुआ कि कंपनी द्वारा उचित अनुचित तरीके से बिचौलियों के माध्यम से भू अधिग्रहण किया जा रहा है यदि कोई आदिवासी अपनी कृषि कार्स के आयोग भूमि का विक्रय प्रस्तावित करता है तो उसके बदले में उसकी भूमि कृषि योग्य जमीन हस्तांतरित करा ली जाती है अधिकार आयोग भूमि का विक्रय पर स्थापित करता है तो उसके बदले में उनकी योग कृषि योग्य जमीन हस्तांतरित कर ली जाती है उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी द्वारा उनकी अच्छी भली जमीन पर मिट्टी डाल दी जाती है जिससे वह उस पर कृषि कार्य न कर सके और अनन्तः उस जमीन को बेचने को मबूर हो जाय यह स्थिति इस प्रदेश के है।

Related Posts

Leave a Comment