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रायपुर साहित्य उत्सव 2026 नवा रायपुर में 23 से 25 जनवरी तक होगा साहित्य उत्सव

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आयोजन के लिए नौ सदस्यीय सलाहकार समिति गठि

रायपुर, अगले वर्ष 23 दिसंबर से नवा रायपुर में होने वाले रायपुर साहित्य उत्सव के लिए राज्य शासन ने सलाहकार समिति का गठन कर दिया है। इस समिति में नौ सदस्य बनाए गए हैं। समिति में सदस्य के रूप में श्री अनंत विजय, डॉ. सुशील त्रिवेदी, श्री सतीश कुमार पंडा, श्रीमती जयमति कश्यप, श्री संजीव कुमार सिन्हा, श्री शंशाक शर्मा, श्री पंकज कुमार झा और श्री विवेक आचार्य को भी शामिल किया गया है। समिति रायपुर साहित्य उत्सव के सफल और प्रभावी आयोजन के लिए विशेष सलाह देगी। इसके साथ ही साहित्यकारों के चयन और आयोजन के विषयों पर भी आयोजकों को सहयोग करेगी। जनसंपर्क संचालनालय के आयुक्त डॉ. रवि मित्तल समिति के सदस्य सचिव होंगे।

उल्लेखनीय है कि नए वर्ष की शुरुआत के साथ आगामी महीने रायपुर साहित्य उत्सव का आयोजन नवा रायपुर में 23 से 25 जनवरी तक होगा, जिसमें देश भर से 100 से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यकार शामिल होंगे। राज्य स्थापना के रजत वर्ष पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा इस आयोजन की परिकल्पना की गई थी। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की संकल्पना पर आधारित इस आयोजन की व्यापक कार्ययोजना मात्र दो माह में तैयार की गई है। यह तीन दिवसीय महोत्सव 23, 24 एवं 25 जनवरी 2026 को जनजातीय संग्रहालय के समीप आयोजित होगा। इस उत्सव में कुल 11 सत्र शामिल होंगे। इनमें 5 समानांतर सत्र, 4 सामूहिक सत्र, और 3 संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें साहित्यकारों एवं प्रतिभागियों के बीच सीधा संवाद और विचार-विमर्श होगा।


गायत्री मंत्र मानव जीवन को ऊर्जावान और संस्कारित बनाते हैं: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

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मुख्यमंत्री हसौद में 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में हुए शामिल

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत 140 नवविवाहित जोड़ों को दिया आशीर्वाद

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय आज सक्ती जिले के ग्राम हसौद में आयोजित भव्य 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने इस आयोजन को आध्यात्मिक एकता, सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक गौरव का अद्भुत संगम बताया। उन्होंने कहा कि “मां महामाया की पावन भूमि हसौद में 251 कुंडों में एक साथ सम्पन्न हो रहा यह महायज्ञ छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक परंपरा को नई ऊंचाई देता है।”

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सनातन संस्कृति को विश्व पटल पर नई पहचान मिली है। उन्होंने कहा—“500 वर्षों के बाद अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हुआ, काशी विश्वनाथ धाम का कायाकल्प हुआ। छत्तीसगढ़ तो स्वयं भगवान श्रीराम का ननिहाल है—माता कौशल्या की पावन भूमि है।” उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सभी वर्गों की उन्नति और कल्याण के लिए अनेक जनकल्याणकारी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। रामलला दर्शन योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि इसके माध्यम से अब तक 38 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला का दर्शन किया है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गायत्री मंत्र के 24 अक्षर 24 सिद्धियों और शक्तियों के प्रतीक हैं, जो मानव जीवन को ऊर्जा, सदाचार और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं। कार्यक्रम के दौरान देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज हरिद्वार के कुलपति डॉ. चिन्मय पण्डया ने मुख्यमंत्री का सम्मान करते हुए उन्हें अभिनंदन पत्र भेंट किया।

इस अवसर पर कौशल विकास एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री गुरु खुशवंत साहेब सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। साथ ही देशभर से आए अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

140 नवविवाहित जोड़ों को दिया आशीर्वाद – कन्या विवाह योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि प्रदान

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत हसौद में परिणय-सूत्र में बंधने वाले 140 नवविवाहित जोड़ों को शुभकामनाएँ और आशीर्वाद दिया।

जैतखाम में पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने हसौद प्रवास के दौरान जैतखाम पहुँचकर विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की। उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि, शांति, कल्याण एवं निरंतर प्रगति की कामना की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बाबा गुरु घासीदास जी के सत्य, अहिंसा, समानता, सामाजिक समरसता तथा ‘मनखे-मनखे एक समान’ के संदेश हमें समाज में सद्भाव और एकता का मार्ग दिखाते हैं। उन्होंने जनसमूह से आह्वान किया कि इन आदर्शों को आत्मसात कर विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में सक्रिय योगदान दें।


धमतरी में रिकॉर्ड रफ्तार से धान खरीदी

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किसानों को 409 करोड़ का हुआ भुगतान

रायपुर, खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के अंतर्गत धमतरी जिले में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन एवं कस्टम मिलिंग कार्य तेजी और पारदर्शिता के साथ जारी है। प्रशासन की सतत मॉनिटरिंग और व्यवस्थित व्यवस्था के कारण किसानों को सुगम, पारदर्शी और त्वरित सेवाएँ मिल रही हैं।

जिले में 10 दिसंबर तक 1,72,568.60 मी.टन धान खरीदा गया है, जिसके एवज में किसानों को 409.32 करोड़ रुपये का त्वरित भुगतान किया गया है। कुल 37,084 किसानों द्वारा धान विक्रय किए जाने से कृषि समुदाय को मजबूत आर्थिक संबल मिला है।

कस्टम मिलिंग में भी तेज प्रगति

कस्टम मिलिंग हेतु 5,52,336 मी.टन धान की अनुमति प्रदान की गई है, जिनमें से 4,54,272 मी.टन का अनुबंध मिलर्स से किया जा चुका है। अब तक 19,611 मी.टन धान का डी.ओ. जारी होने के साथ समितियों से 7,966 मी.टन धान का उठाव भी पूर्ण किया गया है। समितियों में 1,64,602.60 मी.टन धान शेष है, जिसके त्वरित उठाव के निर्देश दिए गए हैं।

टोकन सिस्टम से पारदर्शी खरीदी

टोकन आधारित व्यवस्था ने खरीदी प्रक्रिया को अधिक सुचारू बनाया है। 10 दिसंबर तक 17,134 टोकन जारी किए गए, जिनसे 1,34,59.92 क्विंटल धान का उपार्जन दर्ज हुआ। इसी अवधि में 3,133 कृषकों ने 86.53 हेक्टेयर रकबे से धान बेचा है। लंबित आवेदन केवल 7 हैं, जिनका शीघ्र निराकरण किया जा रहा है।

अवैध परिवहन पर सख्ती

प्रशासन द्वारा अवैध धान परिवहन के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है। अब तक 3,652.40 क्विंटल धान एवं 02 वाहन जप्त किए गए हैं, जिनकी कुल कीमत लगभग 28 लाख रुपये आँकी गई है।

फोटो अपलोड एवं सत्यापन 99.68% पूर्ण

धान बेचने वाले 3,133 किसानों में से 3,123 किसानों ने फोटो अपलोड कर दिया है, जो 99.68 प्रतिशत उपलब्धि दर्शाता है।

कृषक श्रेणीवार प्रगति

जिले में सीमांत, लघु और दीर्घ श्रेणी सहित 37,084 किसानों ने धान बेचा है। पंजीकृत 74,611 किसानों में से 18,768 किसानों ने अब तक विक्रय किया है। शेष किसानों को निर्धारित तारीखों के अनुसार टोकन के माध्यम से बुलाया जाएगा।

कमांड सेंटर से की जा रही है सतत निगरानी

कलेक्टर के निर्देशन में कमांड सेंटर द्वारा धान उपार्जन, रकबा समर्पण, शिकायत निवारण और फोटो सत्यापन की निरंतर समीक्षा की जा रही है। प्रशासन का लक्ष्य है कि प्रत्येक पात्र किसान को समय पर टोकन उपलब्ध कराया जाए, खरीदी बिना किसी बाधा के हो और भुगतान शीघ्र किसानों के खातों में पहुँचे। धमतरी जिले में धान खरीदी कार्य पूरी तरह पारदर्शी, व्यवस्थित और किसानहित में निर्बाध रूप से प्रगति पर है।


ग्राफ्टेड बैंगन से बदली खेती की तस्वीर – खरसिया के किसान मुरलीधर साहू ने

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राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना ने दी नई दिशा, कम लागत में लाखों की आय का रास्ता खुला

आधुनिक तकनीक व उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन से 80 क्विंटल से बढ़कर 170 क्विंटल तक पहुँची उपज

रायपुर, ग्राफ्टेड बैंगन एक ऐसा पौधा है जो दो अलग-अलग पौधों के हिस्सों को जोड़कर बनाया जाता है, एक मजबूत जड़ वाला पौधा (रूटस्टॉक) और एक उच्च गुणवत्ता वाला फल देने वाला पौधा (स्कायन)। इस तकनीक से बैंगन की पैदावार बढ़ती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, और मिट्टी से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं।

रायगढ़ जिले के विकासखण्ड खरसिया के ग्राम करूमौहा के किसान श्री मुरलीधर साहू आज आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। कभी परंपरागत धान की खेती करने वाले श्री साहू को लागत अधिक और लाभ कम होने के कारण खेती में संतुष्टि नहीं थी। इसी बीच उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया। यही मार्गदर्शन उनके कृषि जीवन में बड़ा बदलाव साबित हुआ।

कम लागत में उत्पादन में बड़ा इजाफा

उद्यानिकी विभाग द्वारा समय-समय पर दी गई तकनीकी सलाह, प्रशिक्षण एवं प्रेरणा से उनका रूझान पारंपरिक खेती से बदलकर उद्यानिकी फसलों की ओर बढ़ा। विभाग की अनुशंसा पर उन्होंने अपनी एक हेक्टेयर भूमि में ग्राफ्टेड बैंगन फसल का रोपण किया। जैविक खाद और जैविक दवाओं के प्रयोग से लागत भी कम रही और उत्पादन क्षमता में बड़ा इजाफा देखने को मिला।

आधुनिक तकनीक से तीन गुना लाभ

राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत उन्हें 20 हजार रुपए का अनुदान भी मिला। इससे आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था हुई और खेती की दिशा व दशा दोनों बदली। पहले जहां उपज 80 से 85 क्विटंल उत्पादन होता था वहीं आधुनिक तकनीक अपनाने के बाद उपज बढ़कर 150 से 70 क्विंटल तक पहुँच गई। बाजार भाव अच्छा मिलने पर कुल आय 4.5 लाख रुपए और कुल लाभ लगभग 3 लाख रुपए तक पहुँच गया, जो पहले की तुलना में तीन गुना है।

जैविक पद्धति और कम लागत में अधिक उत्पादन

मुरलीधर साहू की सफलता को देखकर आसपास के ग्रामीण एवं वनांचल क्षेत्रों के किसान भी उद्यानिकी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। आधुनिक कृषि तकनीक, जैविक पद्धति और कम लागत में अधिक उत्पादन का संदेश दूर-दूर तक फैल रहा है। उनकी यह सफलता कहानी बताती है कि सही मार्गदर्शन, आधुनिक तकनीक और योजनाओं का लाभ लेकर किसान आज आर्थिक रूप से मजबूती की दिशा में बड़े कदम उठा सकते हैं।

एक हेक्टेयर से बनी मिसाल”, ग्राफ्टेड बैंगन ने बदली आर्थिक स्थिति

खरसिया के किसान मुरलीधर साहू ने एक हेक्टेयर में ग्राफ्टेड बैंगन की आधुनिक खेती अपनाकर उत्पादन को लगभग दोगुना कर दिया। जैविक विधियों, विभागीय मार्गदर्शन और बागवानी मिशन से प्राप्त अनुदान के सहारे उन्हें इस सीजन में करीब 3 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। इस उपलब्धि ने क्षेत्र के किसानों में नई ऊर्जा और उम्मीद जगाई है।


पुरस्कार भी मिलेंगे, जिले के विजेताओं को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल किया जायेगा

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कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए सभी जिलों में होगीं कविता-कहानी प्रतियोगिताएं

विद्यार्थियों से 30 दिसंबर तक ली जायेगी स्वरचित कहानियां और कविताएं

रायपुर, 11 दिसंबर 2025/ नवा रायपुर में अगले महीने होने वाले साहित्य उत्सव के पहले प्रदेश के सभी जिलों में महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं के लिए कहानी एवं कविता प्रतियोगिताएं आयोजित होगी। इन दोनों प्रतियोगिताओं में जिला स्तर पर विजेताओं को पुरस्कार भी मिलेंगे। जिले के विजेताओं को राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में शामिल किया जायेगा और सर्वोत्कृष्ठ कहानी तथा कविता को रायपुर साहित्य उत्सव में पुरस्कृत किया जायेगा। इस प्रतियोगिता के लिये जिलेवार नोडल अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं।

प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेेने के इच्छुक छात्र-छात्राएं अपनी स्वरचित कविता और कहानी 30 दिसंबर 2025 तक जिले के नोडल अधिकारी कार्यालय में जमा करा सकते हैं। 30 दिसंबर के बाद मिली कहानियों-कविताओं को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा। प्रदेश की समृद्धशाली साहित्यिक विरासत को लोगों तक पहुंचानें और साहित्य लेखन में युवाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए नवा रायपुर में 23-25 जनवरी 2026 तक रायपुर साहित्य उत्सव का आयोजन होगा।

साहित्य उत्सव के तहत जिलेवार महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के लिए आयोजित होने वाली कविता-कहानी प्रतियोगिताओं में पहले पुरस्कार के रूप में 5,100 रूपए, दूसरे पुरस्कार के रूप में 3,100 रूपए और तीसरे पुरस्कार के रूप में 1,500 रूपए की धनराशि दी जाएगी। इसी तरह दोनों प्रतियोगिताओं में 1000-1000 रूपए के तीन-तीन प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिए जायेंगे। जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त कहानी-कविताओं को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल किया जायेगा। राज्य स्तर पर पहले पुरस्कार के रूप में 21,000 रूपए, दूसरे पुरस्कार के रूप में 11,000 रूपए और तीसरे पुरस्कार के रूप में 7,000 रूपए की धनराशि दी जाएगी। इसी तरह दोनों प्रतियोगिताओं में राज्य स्तर पर 5,100-5,100 रूपए के तीन-तीन प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिए जायेंगे।

प्रतियोगिता में शामिल की जाने वाली कविता न्यूनतम 8 छंदों की मौलिक, अप्रकाशित तथा टंकित होनी चाहिए। इसी तरह कहानी 1200 शब्दों में मौलिक, अप्रकाशित और टंकित होनी चाहिए। प्रतिभागी किसी महाविद्यालय-विश्वविद्यालय का विद्यार्थी हो एवं उसकी आयु 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रतिभागी को अपने महाविद्यालय का परिचय पत्र अथवा प्राचार्य का प्रमाणपत्र भी लगाना होगा। प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल का निर्णय अंतिम और सर्वमान्य होगा। पुरस्कारों की घोषणा जनवरी 2026 में की जाएगी और पुरस्कृत प्रतिभागियों को 23, 24, 25 जनवरी 2026 को होने वाले रायपुर साहित्य उत्सव में पुरस्कृत किया जाएगा। प्रविष्टी जमा करते समय कविता-कहानी के प्रारंभ में ऊपर एवं लिफाफे पर “युवा हिंदी कविता-कहानी लेखन प्रतियोगिता“ अवश्य अंकित करना होगा। पुरस्कृत कविताओं-कहानियों का संकलन कर प्रकाशित किया जाएगा जिसका विमोचन रायपुर साहित्य उत्सव के मंच पर किया जाएगा।


राष्ट्र व समाज के नव निर्माण में आदिवासी समाज के अमर शहीदों एवं महापुरूषों का अद्वितीय योगदान: मुख्यमंत्री श्री साय

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राजाराव पठार ग्राम कर्रेझर में शहीद वीर नारायण सिंह के श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए मुख्यमंत्री

गौरवशाली है आदिवासी समाज की संस्कृति, इतिहास और विरासत

तालाब निर्माण हेतु 15 लाख सहित कई घोषणाएं

71.93 लाख रूपए के विकास कार्यों का हुआ लोकार्पण

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि राष्ट्र व समाज के नव निर्माण में आदिवासी समाज के अमर शहीदों एवं महापुरूषों का अद्वितीय योगदान है। उन्होंने कहा कि जब-जब राष्ट्र व समाज पर विपत्ति आई है, आदिवासी समाज ने उनका डटकर मुकाबला कर विघटनकारी तत्वों को मुहतोड़ जवाब दिया है। मुख्यमंत्री श्री साय आज बालोद जिले के गुरूर विकासखंड के ग्राम कर्रेझर में आयोजित विराट वीर मेला महोत्सव को सम्बोबिधत कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री साय ने तीन दिवसीय विराट वीर मेला के अंतिम दिवस पर आयोजित शहीद वीर नारायण सिंह श्रद्धांजलि सभा में शामिल होकर अमर शहीद वीरनारायण सिंह को विनम्र श्रद्धांजलि दी।

मुख्यमंत्री श्री साय ने ग्राम कर्रेझर में मेला स्थल के समीप तालाब निर्माण हेतु 15 लाख, मेला आयोजन हेतु आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा प्रदान कि जाने वाली 10 लाख रूपये की सहयोग राशि को बढ़ाकर 20 लाख रूपये करने तथा राजाराव पठार स्थित देवस्थल में किचन शेड निर्माण करने की घोषणा की। इसके अलावा उन्होंने मेला स्थल पर कुल 71 लाख 93 हजार रूपये के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरविंद नेताम ने की। आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप, राजस्व मंत्री श्री टंकराम वर्मा, कांकेर विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री आशाराम नेताम विशेष रूप से उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने आदिवासियों के हितों के संरक्षण एवं देश-दुनिया में विशिष्ट पहचान दिलाने हेतु पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के योगदानांे का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री श्री साय ने भगवान बिरसा मुण्डा, शहीद वीर नारायण सिंह एवं श्री गैंदसिंह नायक के अद्म्य वीरता, साहस एवं राष्ट्र भक्ति का उल्लेख करते हुए उसे अतुलनीय बताया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा मोदी की गारंटी के तहत किए गए सभी वायदों को पूरा किया गया है।

इस अवसर पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरविंद नेताम ने राज्य के विकास में सबसे बड़ी बाधक बने नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। आदिम जाति कल्याण एवं कृषि मंत्री श्री राम विचार नेताम ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए संकल्पित होकर काम कर रही है। वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि जिन मुद्दों के लिए हमारे पूर्वजों ने संघर्ष किया, वे आज साकार हो रहे हैं। वन अधिकार की लंबी लड़ाई का परिणाम है कि आज उनके परिजनों को उनका अधिकार मिल रहा है। बस्तर वर्षों पुरानी नक्सली पीड़ा से मुक्त हो रहा है। यहां के लोगों के जीवन में खुशहाली आ रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, निर्माण और विकास की मजबूत नींव बस्तर में रखी जा रही है।

इस अवसर पर आदिवासी समाज के लोक कलाकारों के द्वारा रेला, मांदरी, हुलकी आदि परंपरागत लोक विधाओं एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की जीवंत प्रस्तुति भी दी गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने आदिवासी समाज के रचनाकार श्रीमती हेमवती ठाकुर के द्वारा रचित पुस्तक ’आदिशक्ति माँ अंगारमोती’ एवं श्री मरई राधेश्याम बस्तरिया की पुस्तक ’घोटुल पुंदाना’ पुस्तक का भी विमोचन किया।


छत्तीसगढ़ में नई गाइडलाइन दरें लागू : ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में दरों का वैज्ञानिक युक्तिकरण, निवेश और पारदर्शिता को मिलेगा बढ़ावा

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रायपुर, छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2025-26 के लिए भूमि की नई गाइडलाइन दरें जारी कर दी हैं। महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक के निर्देश पर केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड द्वारा अनुमोदित ये दरें 20 नवंबर 2025 से पूरे प्रदेश में प्रभावी हो गई हैं। वर्ष 2019-20 के बाद छह वर्ष के अंतराल पर किया गया यह पुनरीक्षण ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए व्यापक एवं जनहितैषी सुधार लेकर आया है।

नई गाइडलाइन दरों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जमीन के वास्तविक बाजार मूल्य को परिलक्षित करना तथा वर्षों से चली आ रही दरों की विसंगतियों को दूर करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य मार्ग पर औसतन 109 प्रतिशत और मुख्य मार्ग से अंदर औसतन 105 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि अचानक बढ़ोतरी नहीं है, बल्कि विभिन्न ग्रामों के बीच दरों के वैज्ञानिक रेशनलाइजेशन का परिणाम है।

बलरामपुर जिले में कई ऐसे गांव सामने आए हैं जहाँ पूर्व गाइडलाइन की दरें वास्तविक बाजार मूल्य से काफी कम थीं। उदाहरण स्वरूप वर्ष 2019-20 में ग्राम ताम्बेश्वरनगर का मुख्य मार्ग दर 6,28,677 रुपये प्रति हेक्टेयर था, जबकि समीपस्थ ग्राम आरागाही का दर 34,27,200 रुपये प्रति हेक्टेयर था। दोनों गांव एनएच-343 के समीप स्थित हैं। दरों के युक्तिकरण के बाद ताम्बेश्वरनगर का मुख्य मार्ग दर 51,52,000 रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारित किया गया, जिससे 719 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी तरह, कई अन्य ग्रामों में भी दरों में 300 प्रतिशत से अधिक वृद्धि रिकार्ड की गई है।

ग्राम लूरघुट्टा में मुख्य मार्ग पर 711 प्रतिशत एवं अंदर की ओर 413 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई है। इसी प्रकार ग्राम नावाडीह में मुख्य मार्ग पर 568 प्रतिशत तथा अंदर 326 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। दोनों ही गांव एनएच-343 से लगे हुए हैं और तातापानी जैसे पर्यटन एवं व्यवसायिक क्षेत्र के समीप स्थित होने के कारण निवेश की संभावनाओं को देखते हुए दरों का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक था।

ग्राम भवानीपुर में भी मुख्य मार्ग पर 554 प्रतिशत तथा अंदर 411 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह गांव निवेश क्षेत्र में आता है तथा वर्ष 2019-20 में इसका बाजार मूल्य समीपस्थ ग्राम नवाडीह खूर्द की तुलना में काफी कम था। दोनों गांवों का रेशनलाइजेशन करने पर यह वृद्धि स्वाभाविक रूप से सामने आई है। इसी तरह, रामचन्द्रपुर, जो विकासखण्ड मुख्यालय है तथा स्टेट हाईवे से होकर गुजरता है, वहां भी मुख्य मार्ग पर बाजार मूल्य में 300 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है। यहां सर्वे दर भी प्रति हेक्टेयर 42,45,000 रुपये होने के कारण मूल्य संशोधन आवश्यक था।

शहरी क्षेत्रों में भी इस वर्ष गाइडलाइन दरों का व्यापक पुनरीक्षण किया गया है। बलरामपुर जिले के सभी नगरीय निकायों में मुख्य मार्ग तथा अंदरूनी क्षेत्रों में औसतन 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। बलरामपुर नगर में अधिकांश वार्ड NH-343 से लगे हुए हैं। वर्ष 2019-20 में कई वार्डों में एक ही मार्ग पर बाजार मूल्य में बड़ा अंतर पाया गया था, जो स्पष्ट रूप से विसंगतिपूर्ण था। इस विसंगति को दूर करने के लिए नगर पालिका एवं संबंधित हल्का पटवारियों द्वारा नए परिसीमन के आधार पर वार्डवार गाइडलाइन दरों का पुनर्निर्धारण किया गया।

उदाहरणस्वरूप, वार्ड 01 (रविन्द्र प्रताप सिंह वार्ड) में प्रति वर्गमीटर दर 5740 रुपये था, जबकि इसी मुख्य मार्ग पर स्थित वार्ड 03 में यह दर मात्र 1830 रुपये प्रति वर्गमीटर था। नई गाइडलाइन में इन त्रुटियों को पूरी तरह दूर कर दोनों वार्डों की दरों को वास्तविक बाजार स्थिति के अनुरूप बनाया गया है।

पिछले पाँच वर्षों में बढ़ती जनसंख्या, आवासीय भूखंडों की बढ़ती मांग, व्यवसायिक गतिविधियों का विस्तार और शहरीकरण के तेज़ी से बढ़ते असर को ध्यान में रखते हुए बलरामपुर जिले के नगरीय क्षेत्रों में दरों के पुनरीक्षण की आवश्यकता महसूस की गई। इसके लिए नगर पालिका के कर्मचारियों, पटवारियों और गूगल मैप के आधार पर वार्डवार नई कण्डिकाएँ तैयार की गईं।

नगरीय क्षेत्रों में आवासीय और व्यावसायिक गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विशेषकर बलरामपुर नगर में बढ़ती आबादी, नए व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और औद्योगिक क्षेत्रों के विस्तार के कारण बाजार मूल्य में स्वाभाविक बढ़ोतरी हुई, जो अब गाइडलाइन दरों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि नई गाइडलाइन दरें छत्तीसगढ़ के भूमि बाजार को अधिक पारदर्शी, न्यायसंगत और निवेश-अनुकूल बनाएंगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को भूमि अधिग्रहण के समय सही मुआवजा मिलेगा, वहीं शहरी क्षेत्रों में सुव्यवस्थित विकास को गति मिलेगी। भूमि मूल्य का यह वैज्ञानिक रेशनलाइजेशन राज्य के समग्र आर्थिक विकास को एक मजबूत आधार प्रदान करेगा।


मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना का दूसरा चरण शुरू, 180 नए गांव जुड़े बस सुविधा से

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ग्रामीण परिवहन को नई रफ्तार: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने किया योजना के द्वितीय चरण का शुभारंभ

बस्तर और सरगुजा में परिवहन क्रांति, ग्रामीण बस योजना का विस्तार

रायपुर, छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा अंचल के सुदूर वनांचलों में ग्रामीण परिवहन को नई दिशा देने वाली मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना ने आज एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय से योजना के द्वितीय चरण का औपचारिक शुभारंभ किया तथा वर्चुअली हरी झंडी दिखाकर बसों को रवाना किया।

दूसरे चरण में बस्तर और सरगुजा संभाग के 10 जिलों के 23 मार्गों पर 24 नई बसों का संचालन प्रारंभ हुआ है, जिससे 180 गांव सीधे बस सुविधा से जुड़ गए हैं।

कार्यक्रम के द्वितीय चरण में शामिल अनेक ग्रामीण उसी बस में सवार होकर पहुंचे, जिसे योजना के प्रथम चरण में प्रारंभ किया गया था। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से आत्मीय चर्चा करते हुए बताया कि अब दूरस्थ इलाकों से ब्लॉक मुख्यालयों तक पहुंचना पहले की तुलना में काफी सहज और सुगम हो गया है।

सुकमा–दोरनापाल–कोंटा मार्ग से पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि वे लगभग 110 किलोमीटर की यात्रा बस से कर कार्यक्रम तक पहुंचे, जबकि पूर्व में यह यात्रा बेहद कठिन और समयसाध्य थी।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि सरकार का स्पष्ट संकल्प है कि छत्तीसगढ़ का कोई भी गांव विकास की मुख्यधारा से अलग न रहे। यह योजना न केवल परिवहन सुविधा बढ़ा रही है, बल्कि ग्रामीणों को शहरों और सेवा संस्थानों से जोड़ते हुए सामाजिक एवं आर्थिक समानता को भी मजबूती प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की सुदृढ़ व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में यह योजना एक मील का पत्थर सिद्ध हो रही है, जिससे लोगों को सुरक्षित, समयबद्ध और सुविधाजनक यात्रा का अवसर मिल रहा है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने योजना से लाभान्वित होने वाले 180 गांवों के सभी ग्रामीणों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बेहतर यातायात सुविधाएँ अब उनके जीवन को पहले से अधिक सुगम बनाएंगी और तरक्की के नए मार्ग खोलेंगी।

परिवहन मंत्री श्री केदार कश्यप ने बताया कि जिन दुर्गम और वनांचल क्षेत्रों तक कभी यातायात की सुविधा नहीं पहुंची थी, वहाँ भी अब बस सेवाएँ प्रारंभ हो रही हैं। यह योजना विशेष रूप से बस्तर और सरगुजा के जनजातीय बहुल इलाकों के लिए एक वरदान के रूप में उभर रही है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना के प्रथम चरण की शुरुआत 04 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह द्वारा की गई थी, जिसके अंतर्गत 250 गांवों को बस सेवाओं से जोड़ा गया था। अब द्वितीय चरण की शुरुआत के साथ इस संख्या में और वृद्धि हुई है तथा 180 गांव और जुड़ गए हैं।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव सहित मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य, मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत, परिवहन विभाग के सचिव श्री एस. प्रकाश सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने जयस्तंभ चौक में किया शहीद वीर नारायण सिंह के त्याग और संघर्ष का स्मरण

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रायपुर  छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और जननायक अमर शहीद वीर नारायण सिंह की पुण्यतिथि पर आज मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित जयस्तंभ चौक पहुँचकर उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह का जीवन त्याग, साहस और न्याय की अनुपम मिसाल है। अंग्रेजी शासन के अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध शहीद वीर नारायण सिंह ने जिस अदम्य साहस के साथ संघर्ष किया, वह छत्तीसगढ़ की गौरवमयी विरासत का स्वर्णिम अध्याय है। मातृभूमि की रक्षा और समाज के वंचित वर्गों के प्रति उनकी निष्ठा हमारे लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगी।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि सोनाखान के ज़मींदार परिवार में जन्म लेने के बाद भी शहीद वीर नारायण सिंह का हृदय सदैव आदिवासियों, किसानों और गरीब परिवारों के दुःख-संघर्ष से जुड़ा रहा। वर्ष 1856 के विकट अकाल में जब आमजन भूख से व्याकुल थे, तब उन्होंने मानवता को सर्वोपरि मानते हुए अनाज गोदाम का अनाज ज़रूरतमंदों में बाँटकर करुणा, त्याग और साहस का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। यह कदम केवल विद्रोह नहीं था, बल्कि सामाजिक अन्याय, शोषण और असमानताओं के विरुद्ध एक ऐतिहासिक उद्घोष था।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ की अस्मिता, स्वाभिमान और जनप्रतिरोध की जीवंत प्रेरणा हैं। गरीबों, किसानों और वंचितों के अधिकारों की रक्षा के लिए उनका जीवन-संघर्ष आने वाली पीढ़ियों को सदैव न्याय, मानवता और राष्ट्रभक्ति के मार्ग पर अग्रसर करता रहेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शहीद वीर नारायण सिंह के आदर्शों और उनके सपनों के अनुरूप छत्तीसगढ़ के विकास के लिए पूरी निष्ठा से कार्य कर रही है।

इस अवसर पर आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, विधायक श्री पुरन्दर मिश्रा, छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री रूपसिंह मंडावी, छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के अध्यक्ष श्री रामसेवक पैकरा एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।


छत्तीसगढ़ में स्टार्टअप संस्कृति को नई उड़ान: टेकस्टार्स स्टार्टअप वीकेंड का सफल आयोजन, युवाओं को मिला वैश्विक मंच

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रायपुर, छत्तीसगढ़ में युवाओं के नवाचार, उद्यमिता और स्टार्टअप संस्कृति को मजबूत आधार देने की दिशा में धमतरी जिले ने ऐतिहासिक पहल की है। विश्वस्तरीय स्टार्टअप एक्सीलरेटर टेकस्टार्स के सहयोग से जिला प्रशासन धमतरी तथा खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा 28 से 30 नवंबर 2025 तक तीन दिवसीय टेकस्टार्स स्टार्टअप वीकेंड धमतरी का सफल आयोजन किया गया। यह आयोजन पहली बार प्रदेश के किसी गैर-महानगरीय जिले में आयोजित हुआ, जिसने धमतरी को उभरते स्टार्टअप हब के रूप में नई पहचान दिलाई है।

स्टार्टअप वीकेंड में 100 से अधिक युवा प्रतिभागियों, 50 संभावित स्टार्टअप टीमों, 20 अनुभवी मेंटर्स और 10 से अधिक निवेशकों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों को 54 घंटों तक सतत कार्य करते हुए अपने विचारों को निवेश योग्य मॉडल में बदलने, बिजनेस मॉडल बनाने, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केट एनालिसिस, पिच डेक निर्माण और स्केलिंग तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया।

मेंटर्स ने टेक्नोलॉजी, फूड प्रोसेसिंग, एग्री-इनोवेशन, हेल्थकेयर, ई-कॉमर्स, पर्यटन, डिजिटलीकरण और एंटरटेनमेंट सेक्टर के स्टार्टअप आइडियाज पर विशेष मार्गदर्शन दिया। कई अभिनव विचार निवेशकों की विशेष रुचि का केंद्र बने।

जिला प्रशासन की पहल—धमतरी को स्टार्टअप मैप पर स्थापित करने का लक्ष्य

जिला कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा ने आयोजन को धमतरी के नवाचार तंत्र के लिए मील का पत्थर बताते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य है कि धमतरी के युवाओं को बड़े शहरों जैसी सभी स्टार्टअप सुविधाएँ और अवसर यहीं मिलें। स्टार्टअप वीकेंड ने सिद्ध किया कि यहां के युवा न केवल रचनात्मक हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखते हैं। यह आयोजन आगे भी प्रत्येक वर्ष जारी रहेगा, जिससे जिले में उद्यमिता का मजबूत इकोसिस्टम स्थापित होगा

एआईसी महिंद्रा के सीईओ और कार्यक्रम फैसिलिटेटर श्री इस्माइल अकबानी ने इसे छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा और सुव्यवस्थित स्टार्टअप वीकेंड बताया।

ग्लोबल एक्सीलरेटर टेकस्टार्स से स्थानीय प्रतिभाओं को लाभ

टेकस्टार्स के बारे में जानकारी देते हुए विकासगढ़ के संस्थापक श्री मेराज मीर ने बताया कि 2006 से विश्वभर में स्टार्टअप्स को गति देने वाले इस प्लेटफॉर्म की विशेषज्ञता अब सीधे धमतरी के युवाओं तक पहुंच रही है, जिससे उन्हें व्यापक नेटवर्किंग और निवेश अवसर मिलेंगे।

जिला प्रशासन ने बताया कि स्टार्टअप संस्कृति को संस्थागत रूप देने के लिए धमतरी में आगे भी ऐसे आयोजन नियमित रूप से होते रहेंगे। इससे युवाओं को निरंतर मेंटरशिप, फंडिंग एक्सपोज़र और बिजनेस नेटवर्क प्राप्त होंगे।