छत्तीसगढ़ में राजनीतिक संत की उपाधि वाले चरणदास के बयान को भाजपा ने बनाया चुनावी हथकंडा
माफी के बाद भी कसा कानूनी शिकंजा
चुनावी बयानों को इतना तूल देना राजनीति की परिभाषा नहीं हैं
चुनावी बयानों पर बीजेपी भेद रही कानूनी तीर

विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरा कार्यकाल अब समाप्त होने को है। चुनाव आचार संहिता के साथ ही देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। पूरे देश में और छत्तीसगढ़ राज्य में चुनावी मुद्दे सतह से गायब हो गए हैं और पूरा चुनावी कैंपेन सिर्फ और सिर्फ नेता प्रतिपक्ष के बयान पर लड़ा जा रहा है। वैसे चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री पर दिए बयान पर अगले ही दिन माफी मांग ली थी उसके बावजूद मामले को बेवजह तूल दिया जा रही है। चरणदास महंत की पिछले 35 वर्षों की राजनीति छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दोनों राज्यों ने देखी है। मेरे सामने ही शायद ही कोई वाक्या ऐसा आया हो जब इन्होंने कभी मर्यादा लांघी हो, उल्टा वे छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सबसे सौम्य और व्यवहार कुशल नेता रहें हैं। इनके पिताजी स्वर्गीय बिसाहू दास महंत, एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ मिलनसार व्‍यक्ति भी थे। महंत जी बेहद सौम्य और सरल परिवार से आते है। छत्तीसगढ़ भाजपा भी इस चुनाव में प्रदेश के मूल मुद्दों से इतर चली गई है। विधानसभा चुनावों में महादेव सट्टा, शराब घोटाला, कोयला घोटाला, पीएससी घोटाला, माइनिंग फंड घोटाला आदि घोटालों ने भूपेश बघेल के कुशासन के खिलाफ मुहर लगाई थी । इन चार महीनों में विष्णुदेव साय सरकार ने धान खरीदी, महतारी वंदन से अच्छा काम किया और उसका असर यह है कि पूरे प्रदेश में भाजपा की लहर चल रही है। हालत यह है कि किसी अनजान को भी टिकट दे दिया जाए तो भी उसकी जीत निश्चित है। ऐसे में छत्तीसगढ़ भाजपा को यह तमाशा करने की जरूरत ही नहीं थी। मुद्दों पर ही टिकते और लड़ते। जैसे भूपेश बघेल को कांग्रेस ने टिकट देकर पूरे प्रदेश में माहौल भाजपा के पक्ष में झुका दिया है। रही सही कसर देवेंद्र यादव जो की कोयला घोटाले के अभियुक्त भी हैं उनको बिलासपुर से टिकट दिया गया हैं।
कैसे किसी बेदाग़ और अच्छी छवि के नेता को तर्कहीन मामले में फँसाया जाता है इसका जीवंत मामला छत्तीसगढ में देखने को मिलता हैं। जहां राज्य के नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता चरणदास महंत पर भाजपा ने एफआईआर दर्ज करवा दी है। जानने वाली बात केवल यह है कि महंत ने कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनितिक टिप्पणी की थी, जिसे भाजपा नेताओं ने धमकी बताकर पुलिस को उन पर कार्यवाही करने का दवाब बनाया। मरती क्या न करती पुलिस ने भी दवाब में आकर नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत पर मामला दर्ज कर दिया ।

चुनावी माहौल में टीका टिप्पणी आम बात है
देखा जाए तो चुनावी माहौल में राजनीतिक पार्टियां अक्सर एक दूसरे पर टीका टिप्पणी करती हैं। भ्रष्टाचार के आरोप लगाती हैं और सरकार को विफल बताती हैं। इसका यह मतलब बिलकुल नहीं कि इन सब आरोपों को आधार बनाकर सत्ताधारी दल कानूनी कार्यवाही करे या फिर चुनाव आयोग के पास पहुंचकर आंसू बहाए।

आखिर कब तक कानून की बैसाखी पर चलेंगी भाजपा?
लोकतंत्र में जनता के हितों पर काम करने वाली सरकार को ही जनता अपना मुखिया चुनती हैं। लेकिन हर बार जनता की आंखों में पट्टी बांधकर अपने झूठे कार्यों का पुलिंदा बना के जनता के सामने पेश करने वाली भाजपा के लिए इस बार राह आसान नहीं है। सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ में ही भाजपा पूरी तरह कमजोर है। यह बात भाजपा और संघ के सूत्रों और सर्वे में सामने आयी हैं ।जिसके बाद भाजपा नेताओं ने विपक्षी नेताओं पर कानूनी दांव पेंच लगाकर उन्हें कमजोर करने का रास्ता अपनाया है। जबकि देखा जाए तो भाजपा नेताओं का यह तरीका इस बार कारगर होता नहीं दिख रहा है इसलिये उन्होंने छत्तीसगढ में विपक्ष के नेता पर कानूनी शिकंजा कसने का हथकंडा अपनाया है।

यह बोला था महंत ने
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के खिलाफ प्रदेश भाजपा ने छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराई थी। उन पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता को प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। इस शिकायत के बाद निर्वाचन आयोग ने महंत पर कार्रवाई के निर्देश दिए। राजनांदगांव के कोतवाली थाना में धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत चरणदास महंत के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। राजनांदगांव में 02 अप्रैल को पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल ने नामांकन भरा। इस दिन नामांकन से पहले रैली और जनसभा का आयोजन किया गया। इस दौरान स्टेट स्कूल मैदान में आयोजित सभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने भूपेश बघेल के लिए वोट मांगने के दौरान पीएम के खिलाफ विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा- “नरेंद्र मोदी के खिलाफ लाठी पकड़ने वाला आदमी चाहिए। उनको मूढ़ फुड़ैया आदमी चाहिए।” महंत के इस बयान के बाद भाजपा कांग्रेस पर हमलावर हो गई। भाजपा ने पहली लाठी मुझे मार कैंपेन शुरू कर दिया। जबकि इसके तुरंत बाद चरणदास महंत ने अपने बयान पर माफी भी मांग ली। फिर भी उन पर एफआईआर दर्ज की गई है।