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भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारियों ने दुर्ग जिले में सीबीएसई से सम्बद्ध स्कूलों में स्कूल प्रबंधन द्वारा शिक्षक/शिक्षिकाओं पर किये जा रहे मनमाना दुर्व्यवहार, आर्थिक शोषण, मानसिक प्रताड़ना, का मुद्दा उठाया


विगत कुछ समय से भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारियों को दुर्ग जिले में सीबीएसई से सम्बद्ध स्कूलों में स्कूल प्रबंधन द्वारा शिक्षक/शिक्षिकाओं पर किये जा रहे मनमाना दुर्व्यवहार, आर्थिक शोषण, मानसिक प्रताड़ना, सीबीएसई के एफिलिएशन बाई-लॉज का खुले आम उल्लंघन, RTE ACT 2009 का उल्लंघन करने की लगातार शिकायत मिल रही थी। इस तरह की शिकायत प्रमुखता से जिले के नामी स्कूल डीपीएस जुनवानी के स्कूल प्रबंधन के खिलाफ ज्यादा मिल रही थी। इसके अलावा कुछ अन्य निजी स्कूलों के प्रबंधन के विरुद्ध भी इस तरह की शिकायतें मिल रही थी। पूर्व में डीपीएस जुनवानी प्रबंधन के विरुद्ध तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग श्री अभय जयसवाल के समक्ष की गयी थी जिसपर पहले तो उन्होंने दिनांक 23.08.2023 को जांच के आदेश दे दिए थे किन्तु कुछ दिनों के बाद दिनांक 15.09.2023 को अपने पुराने आदेश को निरस्त करते हुए उन्होंने शिकायत की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु डीपीएस जुनवानी के प्रबंधन को ही अधिकृत कर दिया। जिसके विरुद्ध शिकायत की गयी थी उसे ही स्वयं अपनी जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात की जब संघ द्वारा विरोध की गयी और कारण पता लगाया गया तब एक चैंकाने वाली बात सामने आई। जिला शिक्षा कार्यालय के कुछ प्रभावशाली कर्मियों के बच्चे भी डीपीएस जुनवानी में पढ़ते हैं और संभवतः कुछ अनुचित लाभ भी उठाते हैं जिसके वजह से कोई भी कर्मी ने डीपीएस जुनवानी प्रबंधन के विरुद्ध जांच करना उचित नहीं समझा और अंततः जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा चोर को ही उसके द्वारा की गयी चोरी की जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा गया। उक्त आदेश के बाद डीपीएस जुनवानी के प्रिंसिपल श्री यशपाल शर्मा ने एक पन्ने की जांच रिपोर्ट पेश की जिसमें प्रबंधन पर लगाए गए सभी आरोपों को नकारते हुए डीपीएस सोसाइटी के नियम-कानून के हिसाब से स्कूल चलाने की बात कही। किन्तु उक्त रिपोर्ट की प्रति शिकायतकर्ता को न तो तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा और न ही डीपीएस जुनवानी स्कूल प्रबंधन द्वारा दिया गया।
इस बीच संघ को यह जानकारी भी मिली कि डीपीएस जुनवानी प्रबंधन द्वारा न केवल शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है बल्कि उनसे बस ड्यूटी भी कराया जा रहा है जो कि पूर्णतः अवैधानिक है। इसके अलावा शिक्षकों को क्लास में पढ़ाते समय कुर्सी तक नहीं दिया जाता है जिससे स्कूल प्रबंधन की अपने शिक्षकों के प्रति क्रूर मानसिकता उजागर होती है। इन बातों की जानकारी होने पर संघ के पदाधिकारियों ने डीपीएस जुनवानी के प्रिंसिपल श्री यशपाल शर्मा से बात की और जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से प्रिंसिपल द्वारा जमा की गयी रिपोर्ट की प्रति हासिल की। उक्त रिपोर्ट के अध्ययन के पश्चात भा.म.सं. का एक प्रतिनिधिमंडल वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग श्री अरविन्द मिश्रा से मिलकर ज्ञापन सौंपा और तमाम विषयों पर विस्तार से चर्चा की। पूर्व में की गयी शिकायत की जांच प्रतिवेदन को एक सिरे से नकारते हुए संघ के प्रतिनिधिमंडल ने जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग से स्पष्ट कहा कि किसी भी राज्य में संचालित स्कूल वहां के राज्य सरकार के अधीनस्थ होता है और सीबीएसई के एफिलिएशन बाई-लॉज के मुताबिक सीबीएसई से सम्बद्ध सभी स्कूल राज्य सरकार के द्वारा बनाये नियम और कानून मानने के लिए बाध्य हैं। ऐसे में डीपीएस सोसाइटी के द्वारा बनाये गये नियम कानून के आड़ में डीपीएस जुनवानी के प्रिंसिपल श्री यशपाल शर्मा एवं स्कूल प्रबंधन शिक्षकों का शोषण और मानसिक प्रताड़ना नहीं कर सकता है।
आज डीपीएस जुनवानी में वर्षों से एडहॉक के रूप में कार्यरत शिक्षक/शिक्षिकाओं को नियमित नहीं किया जा रहा है जबकि सीबीएसई के एफिलिएशन बाई-लॉज के मुताबिक आवश्यक शिक्षकों की नियुक्ति पूर्णकालिक होनी चाहिए न की एडहॉक। ऐसे में 7 – 8 वर्षों से डीपीएस सोसाइटी के किस नियम के तहत इन्हे पूर्णकालिक का दर्जा देने से वंचित रखा गया है? इसी तरह संघ को यह भी शिकायत मिली है कि डीपीएस जुनवानी में शिक्षकों को न तो समय पर वेतन मिलता है, न ही इन्क्रीमेंट। गौर करने की बात यह भी है कि इस नामी स्कूल के प्रबंधन द्वारा शिक्षकों को उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकार से भी वंचित रखते हुए उन्हें न तो अर्जित छुट्टी दी जा रही है न ही मेडिकल छुट्टी और नाम मात्र का मेडिकल भत्ता दिया जा रहा है। ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में शिकायत करने पर पूर्व अधिकारी श्री अभय जैसवाल द्वारा स्कूल प्रबंधन को ही इसकी जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश निकालना अपने आप में कई शंकाओं और प्रश्न को जन्म देता है।
इसके अलावा डीपीएस जुनवानी प्रबंधन द्वारा RTE Act 2009 के SECTION 27 का स्पष्ट उल्लंघन किया जा रहा है साथ ही सीबीएसई के सर्कुलर क्रमांक – CBSE/AFF/Circular-8/2017/121740 के Annexure-1 के Clause 3 (d) (e) (f) का भी स्पष्ट उल्लंघन करते हुए शिक्षकों से बस ड्यूटी करवाई जा रही है जबकि बस में प्रशिक्षित महिला आया को रखने का स्पष्ट निर्देश सीबीएसई द्वारा दिया जा चूका है। ऐसे में डीपीएस स्कूल प्रबंधन के मुखिया होने के नाते प्रिंसिपल श्री यशपाल शर्मा का यह नैतिक और वैधानिक कर्तव्य बनता है कि वे इस तरह के गलत कार्यों पर तत्काल रोक लगावें और शिक्षकों के वाजिब मांगों और अधिकारों को पूरा करें।
चर्चा के दौरान संघ के प्रतिनिधिमंडल ने वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी श्री अरविन्द मिश्रा से यह मांग की कि सबसे पहले डीपीएस जुनवानी स्कूल प्रबंधन द्वारा शिक्षकों से कराये जा रहे बस ड्यूटी, जो कि पूर्णतः अवैधानिक हैं, को तत्काल बंद कराया जावे और प्रत्येक बस में प्रशिक्षित महिला आया की नियुक्ति कराई जावे। साथ ही डीपीएस स्कूल प्रबंधन एवं संघ के प्रतिनिधियों के साथ उनके समक्ष शिक्षकों के समस्यायों पर डाटा के साथ चर्चा की जावे जिससे कि सही और गलत का पता चल सके और शिक्षकों को उनका वाजिब हक मिल सके। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी स्पष्ट कहा कि अगर डीपीएस जुनवानी के प्रिंसिपल / स्कूल प्रबंधन ऐसे बैठक से इंकार करता है तो संघ उनके विरुद्ध कड़े कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेगा और जरुरत पड़ने पर इस स्कूल की सीबीएसई से सम्बद्धता खतम कराने हेतु समुचित कदम भी उठाएगा। प्रतिनिधिमंडल की पूरी बात सुनने केउपरांत जिला शिक्षा अधिकारी श्री अरविन्द मिश्रा ने शीघ्र ही बस ड्यूटी बंद कराने और शिक्षकों की समस्याओं के निवारण हेतु समुचित कदम उठाने की बात कही। चर्चा के दौरान संघ के प्रतिनिधिमंडल में भा.म.सं. के दुर्ग एवं बालोद जिला प्रभारी एम.पी.सिंह, भा.म.सं के दुर्ग जिला मंत्री हरि शंकर चतुर्वेदी, भा.म.सं. के बालोद जिला मंत्री मुस्ताक अहमद उपस्थित थे।

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