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स्वदेशी जागरण मंच एवं स्वावलंबी भारत अभियान के तत्वावधान में राष्ट्र ऋषि दत्तोपंत ठेंगडी जी की जन्म जयंती को पूरे देश में स्वदेशी स्वावलम्बन दिवस के रूप में आयोजित किया गया।


स्वदेशी जागरण मंच एवं स्वावलंबी भारत अभियान के तत्वावधान में राष्ट्र ऋषि दत्तोपंत ठेंगडी जी की जन्म जयंती को पूरे देश में स्वदेशी स्वावलम्बन दिवस के रूप में आयोजित किया गया। मुख्य कार्यक्रम दिल्ली स्थित कार्यालय पर आयोजित हुआ जिसको देश के 500 जिलों में कार्यकर्ता बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीं श्री रविशंकर जी, मुख्य वक्ता के रूप में वी० भागैय्या जी, (अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) उपस्थित हुए। अध्यक्षता देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज, हरिद्वार के उपकुलपति डॉ चिन्मय पंड्या जी ने की।
इसके अतिरिक्त डॉ भगवती प्रकाश शर्मा जी,राष्ट्रीय समन्वयक, स्वावलंबी भारत अभियान, श्री कश्मीरी लाल जी राष्ट्रीय संगठक, स्वदेशी जागरण मंच, श्री आर० सुन्दरम जी ,राष्ट्रीय संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच, श्री सतीश कुमार जी राष्ट्रीय सह संगठक भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए स्वावलंबी भारत अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ भगवती प्रकाश शर्मा जी ने राष्ट्र ऋषि दत्तोपंत ठेंगडी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर जी ने कहा कि हमें अर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक स्वावलम्बन की आवश्यकता है। हमारी श्रेष्ठ परम्पराएं विश्व का मार्गदर्शन करती हैं। हमें अपनी संस्कृति पर स्वाभिमान होना चाहिए।यह देश ऋषि, कृषि का देश है। यहां सभी के कल्याण की कामना की जाती है।हमें अपने मूल को पहचान कर स्वावलंबी बनना है।
देश के अलग-अलग स्थानों की अपनी विशेषता है। हमें स्थानीय उत्पादों को बढावा देना है। सरकार ने भी इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाए हैं।
स्वदेशी जागरण मंच ने इस क्षेत्र में बहुत काम किया है। हमें स्वदेशी आंदोलन को और तीव्र करना चाहिए।
राष्ट्रीय संयोजक श्री आर० सुन्दरम जी ने कहा कि हमारी अधिक जनसंख्या हमारे लिए बोझ नहीं बल्कि हमारे लिए एक ताकत है। स्वदेशी के अतिरिक्त हमारा दूसरा विचार है विकेंद्रीकरण।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वी भगैया जी ने दत्तोपंत ठेंगडी जी के जन्म दिवस की सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ठेंगडी जी एक बहु आयामी व्यक्तित्व व अजातशत्रु थे। सबको साथ लेकर चलने का उनका व्यवहार रहा। अनेकों विरोधी विचार के लोग भी उनका पूरा सम्मान करते थे। स्वर्गीय जगजीवन राम ने दत्तोपंत जी के बारे मे कहा ठेंगडी जी के द्वारा कही बात की सत्यता को जाँचने की आवश्यकता नहीं है। सनातन का विचार बढ़ता गया, वामपंथी विचार मरता गया।
ठेंगडी जी ने कहा था किस वजह से जागरण मंच किसी राजनीतिक दल का घटक नहीं हैंI किसी भी सरकार के प्रति हमारा व्यवहार उनके व्यवहार के अनुसार होगा।
ठेंगडी जी ने कहा था की श्रेष्ठ को कष्ट उठाना चाहिए ताकि अन्य को भी समृद्ध किया जा सके।
(Best should suffer so that rest may prosper)
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर चिन्मय पंड्या जी ने इस दिन को बहुत पवित्र बताया। यह स्वदेशी और स्वावलंबन का विचार भारत के भविष्य को श्रेष्ठ बनाने में सक्षम होगा। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के प्रसंग की चर्चा करते हुए बताया कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां बिना किसी धार्मिक मान्यता के दया, करुणा, सद्भाव, सभी के कल्याण की कामना की जाती है। हमारा गौरव
स्वस्थ, स्वच्छ , शिक्षित, संस्कारित, स्वावलंबी समाज बनाना है। वही टिकाऊ होगा, बिकाऊ नहीं होगा। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचार को दोहराते हुए कहा की भारत की देवी भारत माता है। अतः हम भारत माता की जय ही बोलेंगे।
राष्ट्रीय संगठक श्री कश्मीरी लाल जी ने सभी वक्ताओं और श्रोताओं का धन्यवाद किया। हर घर स्वदेशी- हर युवा उद्यमी के उद्घोष को सारांश के रूप में प्रस्तुत किया।

मंच संचालन स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय विचार विभाग प्रमुख डॉक्टर राजीव कुमार ने किया।

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