कांग्रेस के ओबीसी दांव को भाजपा ने किया असफल, जाति में नही बटेगी प्रदेश की जनता

भाजपा ने 37% और कांग्रेस ने 33 % ओबीसी प्रत्याशी को उतारा चुनावी मैदान में

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस के ओबीसी दांव को निष्प्रभावी करने के लिए भाजपा ने इस वर्ग से 90 सीटों में से ओबीसी वर्ग से 33 प्रत्याशी उतारा है। वहीँ दूसरी तरफ कांग्रेस ने प्रदेश की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 29 पर ओबीसी को प्रत्याशी बनाया है, जो कि लगभग 33 प्रतिशत है. देखा जाये तो भाजपा ने घोषित कुल सीटों पर लगभग 37 प्रतिशत ओबीसी प्रत्याशियों को मौका दिया है। ओबीसी प्रत्याशी उतारने के मामले में भाजपा से कांग्रेस 4 प्रतिशत पीछे है।

प्रदेश की कुल आबादी का लगभग 42 प्रतिशत ओबीसी हैं। चुनावों में यह वर्ग बड़ी भूमिका निभाता रहा है। यही वजह है कि दोनों ही पार्टियां इस वर्ग को नजरअंदाज करने की जोखिम कभी नहीं उठातीं। कांग्रेस और भाजपा ने जिन सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों को उतारा हैं उनमें साहू, कुर्मी, यादव, कलार, रजवार आदि जाति के प्रत्याशी प्रमुख रूप से हैं।

2018 के आंकडें एक नजर

2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 29 और भाजपा ने 28 ओबीसी प्रत्याशियों को उतारा था। इनमें ज्यादातर प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने इस बार भी ओबीसी से 29 प्रत्याशी ही उतारे हैं, जबकि भाजपा ने इस वर्ग से 33 प्रत्याशियों को मौका दिया है। भाजपा ने इस बार अब तक जिन 90 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है, उनमें 29 सीटें एसटी और 10 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं।

छत्तीसगढ़ को आदिवासी बाहुल्य प्रदेश

प्रदेश की राजनीति में ओबीसी वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दरअसल, छत्तीसगढ़ को आदिवासी बाहुल्य प्रदेश माना जाता रहा है, मगर ओबीसी वर्ग का दावा है कि प्रदेश में उनकी आबादी 52 प्रतिशत है जबकि क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की गणना के अनुसार इस वर्ग को 42 प्रतिशत तक माना गया है। ऐसे में प्रदेश में ओबीसी वोटर एक बड़ा चुनावी फैक्टर हैं।