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दुर्ग जिले मे एनजीटी के आदेश को उल्लंघन कर ,बिना रॉयल्टी के गिट्टी सहित सभी गौण खनिज की उत्खनन एवं परिवहन की जा रही विभाग मौन

एनजीटी के आदेश पर पर्यावरण विभाग ने सभी गौण खनिज कि अनुमति कर दी है निरस्त, स्टेट लेवल प्राधिकरण से लेनी है अनुमति।
दुर्ग, कुछ अफसरों को केवल अवसरों की तलाश होती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गौण खनिज के खनिपट्टों को जिला स्तर पर दी गई अनुमति निरस्त कर दी और राज्य प्राधिकरण ने अनुमोदन अनिवार्य कर दिया। इस आदेश को खनिज विभाग के अफसरों ने अवसर में बदल दिया है। अब बिना रॉयल्टी के खनन भी हो रहा है और परिवहन भी क्रेशर भी चल रही है और गिट्टी भी परिवहन हो रही है। सिर्फ एक ही बदलाव आया है। जो राजस्व सरकारी खजाने में जाता था, वह अफसरों की जेब में जा रहा है। एनजीटी की भोपाल बेंच ने पर्यावरणीय स्वीकृति लेने में बहुत गंभीर अनियमितता पाई और ऐसा आदेश दिया।
छग की सभी ऐसी गौण खनिज खदानों की अनुमति अमान्य कर दी गई जिनको जिला स्तर पर ही अनुमोदन कर दिया गया था। इसके परिपालन में दुर्ग , राजनांदगांव जशपुर, रायगढ़ और सारंगढ़ सहित छत्तीसगढ़ प्रदेश के लगभग 1500 खनिपट्टों को जिला स्तर पर मिली पर्यावरणीय अनुमति को निरस्त कर उत्पादन बंद करने का आदेश दिया है। गौण खनिज जैसे रेत, मुरुम, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, क्वाट्र्ज, फायरक्ले, साधारण पत्थर आदि के खनिपट्टा स्वीकृति के पूर्व भी पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन होता है। इसकी भी पूरी प्रक्रिया होती है। 2017 के पहले ऐसे गौण खनिज खदानों को डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (डीआ) से पर्यावरणीय स्वीकृति जारी कर दी गई थी।

फाइल फोटो
एनजीटी ने सख्त आदेश देते हुए कहा था कि डीआ से स्वीकृति लेने वाले खनिपट्टाधारकों को स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सीआ) से अनुमति लेनी अनिवार्य है। खनन के लिए डीआ की अनुमति मान्य नहीं है। इसके बाद भी खनन लीजधारकों ने सीआ से पुनर्मूल्यांकन नहीं करवाया। एनजीटी की सेंट्रल जोन बेंच भोपाल ने ऐसे खदानों से उत्पादन पर रोक लगा दी है। पर्यावरण विभाग ने प्रदेश मे लगभग 1500 खदानों को बंद करने का आदेश दिया है। इनका सीआ से री-एप्रेजल कर नवीन पर्यावरणीय स्वीकृति लिया जाना अनिवार्य है।
लेकिन खनिज विभाग दुर्ग इस आदेश को अपने लिए मौका बना लिया। खदानों से उत्खनन एवं उत्पादन भी नहीं रुका है और परिवहन भी गिट्टी क्रेशर भी चालू है गिट्टी का भी परिवहन भी बिना रॉयल्टी की हो रही है। पर्यावरण विभाग के आदेश के बाद ऐसे खनिपट्टों को चलने नहीं दिया जाना है। लेकिन बिना रॉयल्टी के गाडिय़ां चल रही है दुर्ग जिले खनिज नाके पर बैरियर से पार हो रही हैं।

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