भिलाई निवासी आरटीआई एवं सामाजिक कार्यकर्ता अली हुसैन सिद्दीकी ने छत्तीसगढ़ नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के संचालक सचिव के नाम नगरीय निकायों के महापौर तथा अध्यक्ष पद के आरक्षण में 2 आपत्ती दर्ज कराई है, उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के 14 नगर पालिक निगम के महापौर, 54 नगर पालिका परिषद और 124 नगर पंचायत के अध्यक्षों का आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के प्रतिशत के आधार पर आरक्षित किया गया है, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण के लिए जनसंख्या का मूल आधार 2011 की जनगणना को माना गया है उस समय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का भी जनगणना हुआ था लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग का जनगणना नहीं हुआ था और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए गणना सर्वे 2024 को आधार बनाया गया है जिसे छत्तीसगढ़ राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के द्वारा अनुशंसा किया गया है। आरक्षण की प्रक्रिया में जनसंख्या की तुलना 2011 की जनगणना से करते हुए 2024 की काल्पनिक (प्रोजेक्टेड पापुलेशन) प्रस्तावित जनसंख्या को आधार बनाकर अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या का प्रतिशत निकाला गया है,2011 की जनगणना और 2024 की अन्य पिछड़ा वर्ग का गणना सर्वे से अन्य पिछड़ा वर्ग का जनसंख्या प्रतिशत नहीं निकाल सकते थे। इसलिए 2024 की काल्पनिक (प्रोजेक्टेड पापुलेशन) प्रस्तावित जनसंख्या जनगणना को नगरी प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा आधार बनाकर 2024 की अन्य पिछड़ा वर्ग गणना सर्वे का तुलना करते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या प्रतिशत निकाला गया है, जो कि छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम,1956 की धारा 11(क) तथा छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम, 1961की धारा 29(ख) एवं छत्तीसगढ़ नगर पालिका (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग एवं महिलाओं के लिए महापौर तथा अध्यक्ष पद का आरक्षण) नियम 1999 के आधार पर भी गलत है।
इसलिए नगरीय निकायों के महापौर तथा अध्यक्षों के पद का आरक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए एवं नियमानुसार संविधान को सर्वोपरि मानते हुए वास्तविक जनगणना के उपरांत आरक्षण की प्रक्रिया संपन्न किया जाए।
अली हुसैन सिद्दीकी ने अपनी दूसरी आपत्ति में बताया कि पिछली बार रिसाली अन्य पिछड़ा वर्ग महिला और रायगढ़ अनुसूचित जाति महिला वर्ग के लिए आरक्षित था इस तरह दोनों नगर निगम के महापौर का पद महिला वर्ग के लिए आरक्षित था इस बार दोनों नगर निगम अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ और उसके उपरांत दोनों में से एक को महिला वर्ग के लिए आरक्षित करना था तब दोनों नगर निगम की पर्ची डालकर चीट निकालकर (लाटरी पद्धति) से आरक्षण करना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया बिना चिट निकाले रिसाली को अनुसूचित जाति महिला वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया यह भी नियमतः गलत है जिस पर आपत्ति किया गया है आपत्ति का निराकरण नहीं होने पर उन्होंने उच्च न्यायालय की शरण में जाने की बात कही है!