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पेपर बेग, के निर्माण का प्रशिक्षण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा

महिलाओं को स्वावलंबी बनाने एम्एसएमई टूल रूम के सहयोग से पेपर बेग, के निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया !

एम्एसएमई टूल रूम एवं स्वावलंबी भारत अभियान के संयुक्त प्रयासों से महिलाओं को स्वरोजगार हेतु दुर्ग जिले के पोटिया कला में पेपर बेग, के निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है ! इसी कड़ी में स्वावलंबी भारत अभियान के छत्तीसगढ़ प्रांत सह समन्वयक एवं लघु उधोग भारती के पूर्व इकाई अध्यक्ष संजय चौबे ने उपस्थित महिलाओं को बताया की स्वावलंबी भारत अभियान, देश में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने हेतु ठोस कदम उठाने के लिए एक महत्वपूर्ण सामूहिक पहल है, जिसे आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में काम कर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आठ संगठनों द्वारा प्रारम्भ किया गया है। भले ही भारत को आज विश्व का सबसे युवा राष्ट्र माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद भारत के आर्थिक विकास के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती है।

भारत के पास कौशल विकास, नवाचार, अनुसंधान और विकास के माध्यम से एक ऐसा वातावरण बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जिसमें भारत के युवा अपनी क्षमता का उपयोग कर न केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने में सक्षम हों। हमारा लक्ष्य भारत के प्रत्येक नागरिक को गरीबी रेखा से ऊपर लाना, प्रत्येक हाथ को काम प्रदान करना और भारत को एक समृद्ध देष बनाना है, जहां देष के प्रत्येक नागरिक को आर्थिक विकास का लाभ मिले।

एम्एसएमई टूल रूम के सीनियर मैनेजर श्री जे.के. मोहंती एवं बसंत चंद्राकर ने बताया की दुर्ग के पोटियाकला में ४२ से अधिक महिलाओं के लिए 15 दिवसीय पेपर बैग निर्माण पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है गया। जिसमें प्रसिद्ध ट्रेनर श्री राम बासु ने महिलाओं को पेपर बैग बनाना सीखाया जा रहा है । इस दौरान महिलाओं के द्वारा 350 पेपर बैग तैयार किया गया जिसे आने वाले दिनों में आम लोग व दुकानदारों को जनजागरूकता के लिए सार्वजनिक स्थानों, बाजार, सब्जी मार्केट, चौक चौराहों सहित बसस्टैंड आदि जगहों में वितरण किया जाएगा।

स्वावलंबी भारत अभियान के प्रांत सह समन्वयक संजय चौबे ने बताया की पेपर बैग पालिथीन बैग के विकल्प के रूप मेें तैयार किया गया है। इस प्रयोग के सफल होने पर इसे जिला स्तर पर प्रत्येक विकासखंड में महिलाओं को प्रशिक्षित कर अपने अपने गांव को जागरूक कर पेपर बैग के निर्माण एवं उसके उपयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा।

आगे संजय चौबे ने बताया की सरकार द्वारा प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से बाजार में पेपर बैग की मांग एका एक काफी बढ़ गई है। इसे देखते हुए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिएस्वावलंबी भारत अभियान के तहत कई तरह के प्रशिक्षण प्देरदान किया जा रहा है इसमें आचार, पापड़, बड़ी, पौट्री, युवको के लिए मोटर रिवान्डिंग सहित अन्य लाभदायक स्वरोजगार से प्रेरित प्रशिक्षण देना शुरु किया गया है।

पेपर बैग बनाने में ज्यादा पूंजी की आवश्यता नही पड़ती साथ ही ग्रामीण महिलाएं घर पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर पेपर बैग का निर्माण कर अच्छी आमदनी घर बैठे ही कर सकते हैं।

संजय चौबे ने बताया की पूर्व में लोग अपने साड़ी के आंचल में सामान रख कर लाना-लेजाना किया करते थें, इसके बाद पत्तों से बने दोने का उपयोग किया जाने लगा, फिर पेपर से बने बैग का दौर आया। पेपर से पेपर बैग बनाने का अविष्कार सन् 1852 में अमेरिका में हुआ था। लेकिन पेपर बैग के बाद प्लास्टिक का उपयोग किया जाने लगा, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए काफी नुकशान दायक साबित हो रहा है, जिसे देखते हुए सरकार ने प्लास्टिक बैग के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

वहीं ट्रैनर बासु ने पेपर बैग बनाने का तरीका, ग्रामीण महिलाओं को बताया। इसके निर्माण में पेपर, कैंची, अरारोट, मैदा, कुट, डोरी, इंची टेप का उपयोग किया जाता है।बासु ने प्रशिक्षण ले रही महिलाओं को पेपर बैग बना कर दिखाया और ग्रामीण महिलाओं से भी बनवाया।

कूल मिला कर इस ट्रैनिंग कार्यक्रम से ट्रैनिंग प्राप्त कर ग्रामीण महिलाएं कम पूंजी में ही अपनी आर्थिक स्थित सुधार सकती हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में नीतूप्रेम चंदनिया, ममता पाटिल, सुशीला भारती, खुशबु चंदेल, संध्या चंदनिया,पुष्पा पुराणिक,मीरा तिंगे,निशा पाटिल, ने अहम योगदान दिया।

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