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भारतीय किसान संघ जल आयाम द्वारा जल संरक्षण व संचयन पर आधारित एक दिवसीय ( १ जून ) प्रदेश स्तरीय जल मंथन कार्यशाला का आयोजन रायपुर ट्रेनिंग सेन्टर मे सम्पन हुआ.

भारतीय किसान संघ जल आयाम द्वारा जल संरक्षण व संचयन पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला रायपुर में रखा गया था जिसमें प्रथम सत्र मे NIT रायपुर के प्रोफेसर डॉ चन्दन सिंह का छत्तीसगढ़ राज्य पर आधारित सतही जल भूजल व वर्षा के आंकलन की अद्भूत जानकारी के साथ ही जल संरक्षण की कार्यपद्धति को भी ग्रामीण स्तर तक कैसे किया जाये चर्चा की तथा उनके द्वारा महाराष्ट्र के वर्धा जिले मे अपने गृह जिले मे उपयोग व प्राप्त उत्साहजनक परिणाम से भी अवगत कराया । जल संसाधन विषय मे P G Deptt मे पदस्थ डॉ चन्दन जी का Data I Topography /Accuracy के साथ सिंचाई व कृषि किसानो के हितार्थ का शोध अत्यन्त उपयोगी साबित होगा । प्रदेश के सूदूर वनांचल व अन्य ज़िलों से आयें 55 किसानों द्वारा ध्यानमग्न मंत्रमुग्ध (pin drop silent ) होकर सुना समझा उन्हे सम्भवतः पहली बार अपने जिले की Topography / water shed व भूगर्भ की संरचना समझ मे आई । उनके साथ मिलकर काम करने का संकल्य किसानों ने व प्रो चन्दन सिह ने भी संकल्प लिया । उनके द्वारा water Recharging की संरचना को छग शासन ने अपने अटल आवास योजना मे समाहित किया है। उसे ग्राम व घर मे क्रियान्वयन की विधि बताई गई ।


कार्यशाला मे प्रभात मिश्र ने भू -जल संरक्षण संवर्धन पर ग्राम आमदी व खट्टी मे किसानो व आम लोगो के सहयोग से तालाब व प्राकृतिक जल संरचनाओं को पुनर्जिवित ,निर्मित व स्वैच्छिक सामूहिक प्रयासों तथा उससे प्राप्त परिणामों से दोनो गांवों के आम जनों मे स्वाभिमान , स्वत्व तथा समरसता का बोध भी जाग्रत हुआ यह बताया ‘ साथ ही ग्रामीणों मे सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना का भी जागरण हुआ । उन्होंने बताया कि एक किलो चावल उत्पादन पर हमारा पानी ढाई हजार लीटर लगता है । हम विदेशों मे चावल निर्यात कर प्रसन्न होते है पर ये युक्ति युक्त ढ़ंग से सही नही है क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय रूप से चावल को लेकर भारत साजिश का शिकार हो रहा है जिसे समझना होगा चावल आयात करने वाले देश स्वयं चावल का उत्पादन न कर अपना भू जल बचा रहे हैं एवं हम चावल सहित भू जल का निर्यात कर रहे हैं भारत चावल नही अपितु अपना संरक्षित जल भी निर्यात कर भेज रहा है ।
हमे चावल के बदले अन्य अनाज तिलहन दलहन का उत्पादन कर उसे निर्यात करने का लक्ष्य लेना है जिससे हमारा मूल्यवान जल जो हमारा कल है वह संरक्षित रहें .
कृषि वैज्ञानिक डॉ राजेश अग्रवाल द्वारा छोटी छोटी जल संरचना प्रणाली पर बल दिया :छोटी छोटी बचत भी आगे चलकर बड़ी राशि बन जाती है इसी तरह से यदि वर्षा के जल को छोटे छोटे डबरी, तालाब, मिट्टी बांध आदि के माध्यम से रोकेंगे तो भू जल स्तर में धीरे धीरे करके काफी वृद्धि होगी और साथ ही साथ सिंचाई आदि के लिए सतह पर उपलब्ध पानी का अधिक उपयोग सम्भव हो सकेगा l हम कम से कम रबी मे चावल के बदले अन्य फसल लेने का संकल्प ले तो हम करोड़ो लीटर भूजल बचा सकते है।
वर्षा जल का वितरण भी अब समय और स्थान के परिपेक्ष्य में एक समान नहीं रहता है जिसकी एक वज़ह पारिस्थितिकि (ecology) में आ रहा परिवर्तन हो सकता है इसलिये वृक्षारोपण किया जाना आवश्यक है इससे जल एवं मृदा का संरक्षण भी होगा
सिंचाई की ऐसी विधियां जैसे कि बॉर्डर सिंचाई, चेक बेसिन, फरो सिंचाई, टपक सिंचाई तथा स्प्रिंकलर ग्राम स्तर सिंचाई पद्धतियों का उपयोग करके पानी को बचाया जा सकता है l

उपस्थित वरिष्ठ भूजलविद श्री के पाणिग्रही द्वारा शहरी क्षेत्रों में पानी का संचयन व पुर्नभरण पर किस प्रकार की प्रणाली अपनायी जा सकती है यह बताया गया शहरों मे  कम स्थान होने पर आगर ड्रिलिंग कर उसके द्वारा भू-जल स्तर बढाने की तकनीक सभी से साझा की ।
  *जल मंथन पर सम्पूर्ण दिवस की चर्चा मे अमृत तुल्य प्राप्ति मे किसानों व वस्तुविषय विशेषज्ञों द्वारा यह संकल्प लिया गया कि अपने गांवों मे छोटे छोटे जो वाटर शेड यथा प्राकृतिक नालीया है उसे यथा स्थान बन्द कर वर्षा का पानी रोकेंगे साथ ही पानी के प्रवाह को धीमा करेंगे जिससे पानी का भूजल भण्डारण हो सके इसलिए कार्यशाला मे बताये गये संरचनाओं को ग्राम स्तर पर निर्मित करेगे , हर घर मे रेन वाटर रिचार्जिंग की व्यवस्था करेंगे । पानी की बचत हेतु रबी मे धान की फसल के स्थान पर अन्य अनाज का उत्पादन करने का भी मन बनाया।*

समापन सत्र मे किसान संघ के क्षेत्र संगठन मंत्री श्री महेश चौधरी द्वारा अपने आशीर्वचन मे हर उपयुक्त स्थान पर पेड़ लगाने तथा इस कार्यशाला मे जो प्राप्त किया है संकल्प लिया है उसे अभी से ही प्रारम्भ कर पूर्ण करे । वर्षा का समय आ गया है अब गॉव का पानी गॉव मे ही रहें।
जल आयाम के प्रमुख गिरधारी सागर द्वारा सभी अतिथि गण प्रशिक्षणार्थियों यथा पुरे प्रदेश व सूदूर वनांचल क्षेत्र से आये किसानो का कार्यशाला मे उपस्थित होने व गंभीरता पूर्वक विषय को संज्ञान मे लेने पर आभार व्यक्त किया गया।
कार्यशाला मे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ विशाल चन्द्राकर के साथ ही प्रदेश कार्यकारिणी के श्री माधव सिंह ठाकुर प्रदेश अध्यक्ष ‘टेकेन्द्र चन्द्राकर प्रदेश उपाध्यक्ष ‘नवीन शेष प्रदेश महामंत्री ‘ तुलाराम जी संगठन मंत्री ‘ कुणाल सिंह ठाकुर प्रदेश मंत्री ‘ दुर्गापाल प्रदेश कार्यालय मंत्री उपस्थित रहें ।

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