एक समय था जब जनप्रतिनिधियों की संख्या बहुत कम थी उससे यह होता था कि जितने निर्णय लेने थे वह सभी एक जगह केंद्रित हो जाते थे।
कई ऐसे कार्य होते थे जिन्हें होने में बहुत समय लगता था या कई ऐसे कार्य होते थे जिनकी जरूरत ही नहीं थी लेकिन इन सब में बहुत समय लगता था।
दिल्ली जाना पड़ता था, रायपुर आना पड़ता था तो जब पंचायती राज की बात हुई तब मंशा ये थी कि लोकतंत्र को गांवों तक पहुंचाया जाए। इसका मतलब है कि जो गांव का विकास है, इसका निर्णय गांव करें, गांव के ही प्रतिनिधि करें।
आप सब यहां बैठे हैं, आप जानते हैं कि ग्राम पंचायत में किस तरह के काम होने हैं और किस तरह के कामों को होना चाहिए।
आप अपने लोगों के हित में निर्णय ले सके, यही मूल बात है।
लोकतंत्र की नींव पंचायत में, गांव में, नगर पालिकाओं में बसती है। आप सब की जिम्मेदारियां बहुत बड़ी हैं। मैं जानती हूं अपनी जिम्मेदारियां को आप बहुत परिश्रम के साथ पूरा करते हैं।
इंदिरा जी 1972 में बस्तर में आई थी, शायद आपने वो फ़ोटो देखी होगी जिसमें वह बस्तर की महिलाओं के साथ नाच रही थी। बस्तर से मेरा बहुत पुराना नाता है। इंदिरा जी ने उस समय जो कहा था, भूपेश बघेल आज उसे पूरा कर रहे हैं। स्वामी आत्मानंद जी के नाम से आज प्रदेशभर में विद्यालय, महाविद्यालय खोले गए हैं।
आज बस्तर एक अंतरराष्ट्रीय नाम बन गया है। मॉडल बन गया है। छत्तीसगढ़ में आज देश का सबसे बड़ा मिलेट प्रोसेसिंग प्लांट है।