दुर्ग, 15 अक्टूबर 2025 महिलाओं की गरिमा और सामाजिक सम्मान से जुड़े मामलों में न्यायालयों का रुख अब पहले से कहीं अधिक कठोर होता जा रहा है। इसी क्रम में जिला एवं सत्र न्यायालय, दुर्ग ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर किसी महिला की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाना गंभीर दंडनीय अपराध है।

मामला “रश्मि वर्मा जामुल बनाम सरस बर्मन” (Criminal प्रकरण संख्या: MJC Cri./1395/2025) के तहत दर्ज किया गया है।

आवेदिका रश्मि वर्मा, निवासी वार्ड क्रमांक 06, संतोषी चौक, जामुल, ने न्यायालय को बताया कि प्रतिवादी, भा.ज.पा नेता सरस बर्मन, निवासी वार्ड क्रमांक 08, भवानी चौक, लेबर कैम्प, जामुल, ने सोशल मीडिया के माध्यम से उनके खिलाफ झूठे, भ्रामक और अपमानजनक संदेश प्रसारित किए। इस कारण उनकी सामाजिक छवि, प्रतिष्ठा और सम्मान को ठेस पहुँची।

न्यायालय ने उपलब्ध दस्तावेज़ों, पुलिस रिपोर्ट और प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर कहा कि प्रतिवादी का कृत्य प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 356 तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के अंतर्गत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। इन धाराओं के तहत किसी भी व्यक्ति द्वारा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपत्तिजनक, अपमानजनक या झूठी सामग्री प्रसारित करना कानूनन दंडनीय है।

न्यायालय ने अपने आदेश में टिप्पणी की कि:

“किसी महिला की सामाजिक प्रतिष्ठा को सोशल मीडिया पर धूमिल करना न केवल उसकी व्यक्तिगत गरिमा के विरुद्ध अपराध है, बल्कि यह पूरे समाज में महिलाओं के सम्मान की भावना को ठेस पहुँचाता है। न्यायालय ऐसे मामलों में शून्य सहनशीलता की नीति अपनाएगा।”

रश्मि वर्मा का बयान: इस आदेश के बाद रश्मि वर्मा ने कहा:

“आजकल सोशल मीडिया पर महिलाओं और बच्चियों के साथ बहुत कुछ गलत किया जाता है, पर अधिकतर महिलाएँ डर या सामाजिक दबाव के कारण चुप रह जाती हैं। मैं सभी महिलाओं से कहना चाहती हूँ कि वे निडर बनें, जागरूक रहें और खुलकर शिकायत करें। कानून महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए सदैव तैयार है। मैंने स्वयं शिकायत दर्ज कराकर यह उदाहरण प्रस्तुत किया है कि अगर कोई महिला साहस दिखाए, तो न्याय अवश्य मिलता है।