केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीआईएमएफआर) ने कोयला गैसीकरण में चुनौतियों और अवसरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी दो दिवसीय कार्यशाला ‘’केयरिंग-2024’’ की शुरुआत की है। सीएसआईआर-सीआईएमएफआर डिगवाडीह परिसर में 26-27 जून, 2024 को आयोजित होने वाली इस कार्यशाला में गैसीकरण प्रौद्योगिकी की जटिलताओं और संभावनाओं का पता लगाने के लिए उद्योग जगत की हस्तियां, शोधकर्ता, नीति निर्मात और हितधारक शामिल होंगे।
इस कार्यशाला में कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) अंगुल, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, थर्मैक्स और देशभर से विभिन्न संगठनों के 75 से अधिक प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं। इस बड़ी भागीदारी के साथ यह कार्यशाला गैसीकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आयोजन बनने जा रही है
कार्यशाला की शुरुआत औपचारिक उद्घाटन समारोह से हुई जिसमें सीएसआईआर-सीआईएमएफआर के निदेशक डॉ. अरविंद कुमार मिश्रा ने स्वागत भाषण दिया। अपने संबोधन में डॉ. मिश्रा ने वैश्विक ऊर्जा मिश्रण में कोयले के महत्व पर जोर दिया और मेथनॉल, रसायन, उर्वरक (अमोनियम नाइट्रेट सहित) और तरल ईंधन जैसे विभिन्न मूल्यवर्धित उत्पादों के उत्पादन के लिए गैसीकरण की क्षमता पर प्रकाश डाला।
सीएसआईआर-सीआईएमएफआर में गैसीकरण प्रमुख डॉ. प्रकाश डी. चव्हाण ने कार्यशाला के उद्देश्यों और उद्योग के लिए इसकी प्रासंगिकता का उल्लेख किया। उन्होंने टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को आगे बढ़ाने और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में गैसीकरण की अहम भूमिका पर जोर दिया।
इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि कोयला मंत्रालय के परियोजना सलाहकार श्री आनंदजी प्रसाद ने एक ज्ञानवर्धक उद्घाटन भाषण दिया। उन्होंने भारत के ऊर्जा परिदृश्य में गैसीकरण की महत्वपूर्ण क्षमता पर चर्चा की और गैसीकरण परियोजनाओं के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से 8500 करोड़ रुपये के आवंटन पर प्रकाश डाला। श्री प्रसाद ने भारत के ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में गैसीकरण प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने गैसीकरण पर कोयला मंत्रालय के फोकस और 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयला गैसीकरण के लक्ष्य को साकार करने के लिए इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया।
सीएसआईआर वन वीक वन थीम-ऊर्जा और ऊर्जा उपकरण कार्यक्रम के तहत इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों के बीच सहयोग, नवाचार और ज्ञान साझाकरण को बढ़ावा देना है। यह हितधारकों को प्रगति पर चर्चा करने, चुनौतियों का समाधान करने और गैसीकरण प्रौद्योगिकी में अवसरों की खोज करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जो अंततः भारत की ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता में योगदान देता है।