अहिवारा के विभिन्न लोकार्पण कार्यक्रम पर पहुंचे थे साव, गोंड समाज ने कहा यंहा के नेताओ ने उनके साथ अन्याय किया
विदित हो की अहिवारा वार्ड क्रमांक ०४ सरस्वती शिशु मंदिर विधालय के समीप में आदिवासी गोंड समाज के लिए विगत कई वर्षो से भूमि सरंक्षित रखी गयी है , साथ ही उस स्थान पर समाज का सार्वजिनक भवन निर्माण करने के लिए लम्बे समय से मांग की जा रही थी। जिसके सम्बन्ध में नरपालिका परिषद् में नगरपालिका अध्यक्ष को समाज के प्रतिनिधि मंडल के द्वारा सहायता प्रदान करने के सबंध में आवेदन पत्र दिया गया था। एवं इसके साथ ही अहिवारा वार्ड क्रमांक ०४ के पार्षद भगवान दास के द्वारा भी इस सबंध में नगर पालिका अध्यक्ष से भवन निर्माण हेतु सहयोग राशि देने के सबंध में आवेदन दिया गया था जिस पर नरपालिका अध्यक्ष नटवर ताम्रकार द्वारा उक्त स्थान पर भवन बनाने के लिए ३ लाख सहयोग राशि दिए जाने की घोसणा करि गयी थी।
जानकारी के लिए बता दे की उस जगह पर समाज के द्वारा २०२१ में समाज के द्वारा गणमान्य नागरिको की उपस्थिति में आदिवासी समाज के आराध्य देव बुढ़ादेव के नाम से विधि विधान के साथ भूमिपूजन करके उक्त जगह पर बोर्ड लगाया गया था जिस पर उस समय समाचार पात्र में खबरे भी प्रकाशित हुई थी।
परन्तु जिसे आज असामाजिक तत्वों के द्वारा अपने स्वार्थ के लिए आराध्य बुद्धदेव का बोर्ड हटा दिया गया है जो समाज के प्रति किया गया एक घृणित कार्य है जिस पर समाज ने कहा की यह हमारे आदिवासी समाज ही नहीं अपितु छत्तीसगढ़ के आराध्य बुढ़ादेव को मानने वालो की आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया है जिस से समाज की धार्मिक भावनाये आहात हुई है और समाज में काफी ज्यादा आक्रोश है। आपकी जानकारी के लिए बता दे की आप आज भी उक्त बोर्ड को सेटेलाइट के माध्यम से देख सकते है जो आज भी सेटेलाइट में वह बोर्ड उस स्थान पर मौजूद है।
पर वर्तमान में उस स्थान पर जहा आदिवासी गोंड समाज के लिए सार्वजानिक भवन निर्माण किया जाना था वहा वर्तमान में भवन निर्माण न करके प्राइवेट दीवाल खड़ी करके अरविन्द अग्रवाल नाम के व्यक्ति के द्वारा सामने के भाग में दीवाल और स्वयं पार्षद भगवान दास के द्वारा निजी निवास का निर्माण करके कब्ज़ा किया जा रहा है। उनके द्वारा अपने निजी स्वार्थ के लिए आदिवासी गोंड समाज के साथ बहुत ही बड़ा विश्वास घात किया गया है। साथ ही यह भी सवाल खड़ा करता है की इस विषय पर नगरपालिका अध्यक्ष और नगर पालिका अधिकारी मौन क्यों है। इस विषय पर समाज द्वारा एक हफ्ता पूर्व में नगरपालिका परिषद् अहिवारा में भी ज्ञापन देकर उक्त कब्जे को हटाने के लिए ज्ञापन दिया गया था जिस पर अभी तक पालिका परिषद् व् अधिकारियो द्वारा अब तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं करि गयी है।
इन सारे विषयो और समाज के लिए संरक्षित भूमि की जगह को कब्ज़ा मुक्त करने और इस में शामिल पार्षद एवं अन्य नगरपालिका अधिकारी और नेताओ के ऊपर उचित कार्यवाही करने को लेकर समाज के लोग नगरपालिका परिषद् में लोकार्पण कार्यक्रम में आये प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव के गाडी से चिपक कर सामने शांति पूर्ण तरीके से बैठ गए वे श्री साव के कार्यक्रम से निकलने का इंतज़ार करते रहे , जिस पर पुलिस प्रशासन के द्वारा उनसे वंहा से उठने के लिए जोर जबरदस्ती किया गया और दबाव बनाये गए साथ ही समाज के समर्थन में आये समाज के लोग व् नगर के लोगो को वंहा से हटाकर नज़रबंद किया गया उसके बाद भी महिलाये वंही दंति रही फिर अधिकारियो के द्वारा काफी मान मन्नौवल किया गया व् उपमुख्यमंत्री से मिलाने की बात कही गयी जिसके बाद समाज के प्रतिनिधि मंडल उनसे मिलने गए जहा । पर नगरपालिका अध्यक्ष नटवर ताम्रकार द्वारा उन्हें रोकने का प्रयास किया गया और कहा गया की आप लोग शिकायत न करे भवन के लिए दूसरी जगह और ५ लाख रुपये की व्यवस्था भवन निर्माण के लिए करवाऊंगा पर समाज के नाराज लोग अब उसी जगह में निर्माण करने पर अड़े रहे उसके बाद उन्होंने उपमुख्यमंत्री अरुण साव को ज्ञापन देकर इस विषय की जानकारी दी और तत्काल कार्यवाही करने को कहा जिस पर श्री साव ने कलेक्टर दुर्ग को सूचित करने कहा और उचित कार्यवाही और कब्ज़ा हटाने को लेकर भी आश्वासन दिया गया।
आपको बता दे की समाज के द्वारा ०७ दिन का अल्टीमेटम दिया गया है और कहा गया है की ०७ दिवस के भीतर जल्द से जल्द संपूर्ण कब्ज़ा हटवाए और कब्जे धारी एवं संरक्षण देने वाले नेताओ और अधिकारियो साथ ही आराध्य बूढ़ादेव का बोर्ड हटा कर किये गए घृणित कार्य के लिए भी असामाजिक तत्वों के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही करे एवं पार्षद भगवान दास के द्वारा एक जनप्रतिनिधि होते हुए शासकीय भूमि पर कब्ज़ा किये जाने और अन्य भाग को बेचे जाने के सबंध में भी उचित कार्यवाही करे , अन्यथा अब सम्पूर्ण समाज इस विषय पर अपना आक्रोश उग्र आंदोलन के रूप में प्रकट करेगा जिसकी सम्पूर्ण जवाबदेही नगर पालिका परिषद् अहिवारा व् जिला प्रशासन दुर्ग की होगी।
धन्यवाद, जय बूढ़ा देव