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विदेशी कपड़ा रोकते हुए कुचलकर शहीद—स्वदेशी आंदोलन के मजदूर नायक बाबू गेनू की गाथा

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दुर्ग। स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में 12 दिसंबर 1930 की सुबह आज भी एक अमर गाथा की तरह दर्ज है। मुंबई के काला घोड़ा इलाके में विदेशी कपड़े से भरा एक अंग्रेजी ट्रक रोकने के प्रयास में मजदूर वर्ग के युवा स्वतंत्रता सेनानी बाबू गेनू सखाराम को बेरहमी से कुचल दिया गया। यह घटना न केवल पूरे शहर में आक्रोश का ज्वार बनकर फैल गई, बल्कि स्वदेशी आंदोलन को नई ऊर्जा भी दे गई।

गाँव से उठकर आंदोलन का चेहरा बने गेनू

रायगढ़ जिले के महाड़ तालुका में जन्मे बाबू गेनू एक मजदूर परिवार से थे। मुंबई में मजदूरी करते हुए भी उनके दिल में देशभक्ति की लौ प्रज्वलित थी। गांधीजी के नेतृत्व में चल रहे विदेशी वस्तु बहिष्कार आंदोलन में वे सक्रिय रूप से शामिल हुए और आम लोगों को स्वदेशी अपनाने के लिए प्रेरित करते रहे।
घटना सुबह 9 बजे के आसपास—जनता और पुलिस आमने-सामने
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विदेशी कपड़ा लेकर जा रहे ट्रक को कार्यकर्ताओं के एक समूह ने रोकने की कोशिश की। आगे-आगे बाबू गेनू थे।

अंग्रेज अधिकारी ने ट्रक चालक को आगे बढ़ने का आदेश दिया। चेतावनी के बावजूद गेनू हटे नहीं।

देखते ही देखते ट्रक तेजी से आगे बढ़ा और गेनू को रौंदते हुए निकल गया। मौके पर चीख-पुकार मच गई और भीड़ ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ तीव्र नारे लगाए।
घटना की खबर फैलते ही मुंबई के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। मजदूर संगठनों, छात्रों और आम जनता ने बाबू गेनू की शहादत को ‘आज़ादी की कीमत’ बताते हुए विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार को और तेज कर दिया।

नेताओं ने इसे अंग्रेजी शासन की क्रूरता करार देते हुए कहा कि “ब्रिटिश सरकार आम भारतीय के खून से अपने व्यापार को सींच रही है।

स्वदेशी आंदोलन को मिला जनसैनिक

बाबू गेनू की शहादत के बाद महाराष्ट्र भर में स्वदेशी आंदोलन तेज हुआ। कई शहरों में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए जुलूस निकाले गए।

इतिहासकारों के अनुसार, “बाबू गेनू की बलिदान गाथा ने आम मजदूरों में वह आत्मविश्वास भरा, जिसने स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत जनाधार प्रदान किया।”
आज मुंबई, पुणे और अन्य शहरों में कई स्थानों का नाम ‘बाबू गेनू चौक’ रखा गया है। स्कूलों में उनके बलिदान की कथा सुनाई जाती है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ समझ सकें कि आज़ादी केवल नेताओं के भाषणों से नहीं, बल्कि आम भारतीयों के साहस से मिली है। बाबू गेनू सखाराम आज भी स्वतंत्रता संग्राम में मजदूर वर्ग के सबसे बड़े नायकों में गिने जाते हैं।
उनकी शहादत यह संदेश देती है कि अन्याय के सामने खड़े होने की कीमत चाहे प्राण क्यों न हों—लेकिन सत्य और स्वदेश का रास्ता कभी नहीं छोड़ा जा सकता। लेखक उमेश पासवान स्वदेशी जागरण मंच छत्तीसगढ़ प्रान्त के प्रचार प्रमुख हैं।


नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का संकल्प तेजी से हो रहा साकार: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

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सुकमा में 10 माओवादी कैडरों ने किया आत्मसमर्पण, पुनर्वास से पुनर्जीवन की नई शुरुआत

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज सुकमा जिले में “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” कार्यक्रम के तहत दरभा डिवीजन कमेटी सहित विभिन्न नक्सली संगठनों से जुड़े 10 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण को ऐतिहासिक और सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक बताया। उल्लेखनीय है कि इनमें 6 महिला माओवादी भी शामिल हैं, जिन पर कुल 33 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का संकल्प अब केवल लक्ष्य नहीं, बल्कि तेजी से साकार होती वास्तविकता बन रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सशक्त नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के विरुद्ध लड़ाई अब अपने निर्णायक मोड़ पर है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह आत्मसमर्पण इस बात का प्रमाण है कि बस्तर में अब हिंसा, भय और भटकाव की विचारधारा कमजोर पड़ रही है, जबकि विकास, विश्वास और संवाद की राह मजबूत हो रही है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हिंसा के रास्ते पर न वर्तमान सुरक्षित होता है और न ही भविष्य। छत्तीसगढ़ सरकार की विशेष पुनर्वास नीति आत्मसमर्पण करने वालों को सम्मान, सुरक्षा, आजीविका और समाज में पुनर्स्थापना की ठोस गारंटी देती है। मुख्यधारा में लौटकर ये लोग अपने परिवारों के साथ एक स्थायी, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन की नई शुरुआत कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य पूरी तरह स्पष्ट है— छत्तीसगढ़ को पूर्णतः नक्सलवाद मुक्त बनाना और बस्तर को विकास, विश्वास और अवसरों की नई पहचान देना।

मुख्यमंत्री श्री साय ने आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों के निर्णय का स्वागत करते हुए अन्य भटके युवाओं से भी अपील की कि वे हिंसा का मार्ग छोड़कर लोकतांत्रिक व्यवस्था और विकास की मुख्यधारा से जुड़ें।

उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार के समन्वित प्रयासों से सुरक्षा बलों की सशक्त कार्रवाई, विकास योजनाओं का विस्तार और पुनर्वास आधारित मानवीय दृष्टिकोण—तीनों मिलकर बस्तर में परिवर्तन की नई कहानी लिख रहे हैं।


छत्तीसगढ़ का पहला रामसर साइट बना कोपरा जलाशय

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वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप ने प्रदेशवासियों को दी बधाई

रायपुर,बिलासपुर जिले का कोपरा जलाशय अब छत्तीसगढ़ का पहला रामसर साइट बन गया है। इसकी घोषणा के बाद पूरे प्रदेश में प्रसन्नता का माहौल है। यह दर्जा उन आर्द्रभूमियों को दिया जाता है जो जैवविविधता, जल संरक्षण और पर्यावरणीय महत्व के लिए वैश्विक स्तर पर अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप ने इस उपलब्धि पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि कोपरा जलाशय की यह सफलता छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि जलाशय की विशिष्ट पारिस्थितिकी, स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की विविधता तथा जल परितंत्र की समृद्धि ने इसे रामसर मान्यता के योग्य बनाया है।

वन मंत्री श्री कश्यप ने राज्य वेटलैंड प्राधिकरण, पर्यावरणविदों, वन विभाग के अधिकारियों, शोधकर्ताओं और स्थानीय समुदायों को भी धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि सभी की संयुक्त मेहनत और संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता से यह उपलब्धि संभव हो सकी है।

मंत्री श्री कश्यप ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ अंजोर विजन 2047 के अंतर्गत वर्ष 2030 तक 20 वेटलैंड्स को रामसर साइट का दर्जा दिलाने के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि कोपरा जलाशय के रामसर साइट घोषित होने से प्रदेश में वेटलैंड संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और इको-टूरिज्म के नए अवसर भी विकसित होंगे। इससे स्थानीय समुदायों को रोजगार मिलेगा और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा।

वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे इस महत्वपूर्ण प्राकृतिक धरोहर की सुरक्षा और संवर्धन में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि वेटलैंड्स का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मजबूत प्राकृतिक विरासत छोड़ने का संकल्प भी।


प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना ने बदली किसानों की किस्मत

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रायपुर प्रधानमंत्री धन.धान्य कृषि योजना ;च्डक्क्ज्ञल्द्ध 2025.26 से शुरू की गई, जिसका लक्ष्य 100 कम प्रदर्शन वाले कृषि जिलों में 1.7 करोड़ किसानों की आय और कृषि उत्पादकता बढ़ाना है, जिसके लिए 11 मंत्रालयों की 36 योजनाओं को समन्वित किया गया है। इसे सिंचाई, भंडारण, आसान ऋण तथा फसल विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके

किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी

खेती-किसानी आधारित जिले जशपुर में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संचालित प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की कृषि-उन्मुख नीतियों और प्रदेश में योजनाओं की तेज गति से क्रियान्वयन के कारण किसानों को आधुनिक तकनीक, बेहतर बीज, सिंचाई सहायता और कृषि विभाग के निरंतर मार्गदर्शन का व्यापक लाभ मिल रहा है। इससे किसान अब कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। जिले के बगीचा विकासखंड के किसान श्री सुधीर लकड़ा (उरांव) इस योजना के प्रत्यक्ष लाभार्थी के रूप में सामने आए हैं।

उत्पादकता में हुआ सुधार

श्री सुधीर लकड़ा के पास कुल 3.400 हेक्टेयर भूमि है, जिसमें उन्हें समय-समय पर शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिला है। आत्मा योजना के तहत ग्रीष्मकालीन मक्का कार्यक्रम, डीएमएफ मद से ट्रैक्टर और कृषि यंत्रों की उपलब्धता तथा सौर सुजला योजना के अंतर्गत सोलर सिंचाई सुविधा ने उनकी खेती को सुगम और कम लागत वाला बनाया है। कृषि विभाग के सहयोग से उन्हें खेती के आधुनिक तौर-तरीकों को अपनाने का अवसर मिला, जिससे उनकी उत्पादकता में सुधार हुआ।

किसान की आय में हुई बढ़ोत्तरी

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के अंतर्गत स्थानीय कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा उन्हें धान के स्थान पर प्री-बीज ग्रेड मक्का की खेती करने की सलाह दी गई। विभाग द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराए गए 08 किलोग्राम मक्का बीज से उन्होंने 0.400 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल लगाई। उचित देखरेख, पोषक तत्व खाद, दवाइयों और तकनीकी मार्गदर्शन के परिणामस्वरूप उन्हें लगभग 10 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हुआ, जिससे उनकी कुल आय करीब 15,000 रुपये तक पहुँची।

कृषि में आधुनिक तकनीक के उपयोग को मिल रहा बढ़ावा

(PMDDKY)योजना के माध्यम से क्षेत्र में फसल उत्पादन में वृद्धि, सिंचाई सुविधाओं में सुधार, भंडारण क्षमता विकास तथा कृषि में आधुनिक तकनीक के उपयोग को बढ़ावा मिल रहा है। यह योजना अनाज, दलहन, तिलहन में आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के साथ ही मशीनीकरण, जैविक खेती और किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

फसल की गुणवत्ता सुधारने में मदद

श्री सुधीर लकड़ा बताते हैं कि इस योजना ने उनकी खेती का स्वरूप बदल दिया है। विभाग से प्राप्त प्रशिक्षण, उन्नत बीज और समय पर सलाह ने उनकी फसल की गुणवत्ता सुधारने में मदद की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई यह किसान-हितैषी योजना और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र को मिल रहा समर्थन उनकी आमदनी बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।

कृषि आधारित रोजगार से जोड़ने पर भी विशेष ज़ोर

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र को आधुनिक और सशक्त बनाते हुए किसानों की आय को वर्ष 2030 तक दोगुना करना है। योजना के तहत गुणवत्तापूर्ण बीज और तकनीक के माध्यम से उत्पादन में 20-30 प्रतिशत की बढ़ोतरी, अनाज-दलहन- तिलहन में आत्मनिर्भरता, ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई से मानसून पर निर्भरता में कमी, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को 5 प्रतिशत तक घटाने हेतु भंडारण क्षमता का विस्तार, जैविक कृषि और मशीनीकरण को बढ़ावा देने जैसे कदम शामिल हैं। साथ ही महिलाओं और युवाओं को डेयरी, मत्स्य पालन और मुर्गी पालन जैसी गतिविधियों में सहयोग देकर उन्हें कृषि आधारित रोजगार से जोड़ने पर भी विशेष ज़ोर दिया गया है।


मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आईआईएसडी–स्वनिति इनिशिएटिव की ‘मैपिंग इंडियाज स्टेट लेवल एनर्जी ट्रांज़िशन: छत्तीसगढ़’ रिपोर्ट का किया विमोचन

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कोयला क्षेत्रों में ‘जस्ट ट्रांज़िशन’ पर विस्तृत चर्चा, राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार के लिए ठोस कदमों पर बल

रायपुर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट (IISD) और स्वनिति इनिशिएटिव के शोधकर्ताओं ने सौजन्य मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने उनकी विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट “मैपिंग इंडियाज स्टेट लेवल एनर्जी ट्रांज़िशन: छत्तीसगढ़” का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने शोधकर्ताओं के साथ राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रसार, ऊर्जा सुरक्षा, और सतत विकास की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार की रणनीतियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और ऊर्जा दक्षता संबंधी नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है।

शोधकर्ताओं ने मुख्यमंत्री श्री साय को भारत के 52 कोयला उत्पादक जिलों की ‘एनर्जी ट्रांज़िशन वल्नरेबिलिटी’ पर आधारित एक व्यापक इंडेक्स प्रस्तुत किया, जिसमें यह दर्शाया गया कि पारंपरिक कोयला आधारित क्षेत्रों में ‘जस्ट ट्रांज़िशन’—अर्थात् आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से न्यायपूर्ण बदलाव—कितना आवश्यक है। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह इंडेक्स पुराने कोयला क्षेत्रों में भविष्य की चुनौतियों, रोजगार संरचना, और वैकल्पिक आजीविका के अवसरों का महत्वपूर्ण संकेतक है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह तथा ऊर्जा विभाग के सचिव श्री रोहित यादव उपस्थित थे।


रायपुर साहित्य उत्सव 2026 नवा रायपुर में 23 से 25 जनवरी तक होगा साहित्य उत्सव

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आयोजन के लिए नौ सदस्यीय सलाहकार समिति गठि

रायपुर, अगले वर्ष 23 दिसंबर से नवा रायपुर में होने वाले रायपुर साहित्य उत्सव के लिए राज्य शासन ने सलाहकार समिति का गठन कर दिया है। इस समिति में नौ सदस्य बनाए गए हैं। समिति में सदस्य के रूप में श्री अनंत विजय, डॉ. सुशील त्रिवेदी, श्री सतीश कुमार पंडा, श्रीमती जयमति कश्यप, श्री संजीव कुमार सिन्हा, श्री शंशाक शर्मा, श्री पंकज कुमार झा और श्री विवेक आचार्य को भी शामिल किया गया है। समिति रायपुर साहित्य उत्सव के सफल और प्रभावी आयोजन के लिए विशेष सलाह देगी। इसके साथ ही साहित्यकारों के चयन और आयोजन के विषयों पर भी आयोजकों को सहयोग करेगी। जनसंपर्क संचालनालय के आयुक्त डॉ. रवि मित्तल समिति के सदस्य सचिव होंगे।

उल्लेखनीय है कि नए वर्ष की शुरुआत के साथ आगामी महीने रायपुर साहित्य उत्सव का आयोजन नवा रायपुर में 23 से 25 जनवरी तक होगा, जिसमें देश भर से 100 से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यकार शामिल होंगे। राज्य स्थापना के रजत वर्ष पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा इस आयोजन की परिकल्पना की गई थी। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की संकल्पना पर आधारित इस आयोजन की व्यापक कार्ययोजना मात्र दो माह में तैयार की गई है। यह तीन दिवसीय महोत्सव 23, 24 एवं 25 जनवरी 2026 को जनजातीय संग्रहालय के समीप आयोजित होगा। इस उत्सव में कुल 11 सत्र शामिल होंगे। इनमें 5 समानांतर सत्र, 4 सामूहिक सत्र, और 3 संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें साहित्यकारों एवं प्रतिभागियों के बीच सीधा संवाद और विचार-विमर्श होगा।


गायत्री मंत्र मानव जीवन को ऊर्जावान और संस्कारित बनाते हैं: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

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मुख्यमंत्री हसौद में 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में हुए शामिल

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत 140 नवविवाहित जोड़ों को दिया आशीर्वाद

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय आज सक्ती जिले के ग्राम हसौद में आयोजित भव्य 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने इस आयोजन को आध्यात्मिक एकता, सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक गौरव का अद्भुत संगम बताया। उन्होंने कहा कि “मां महामाया की पावन भूमि हसौद में 251 कुंडों में एक साथ सम्पन्न हो रहा यह महायज्ञ छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक परंपरा को नई ऊंचाई देता है।”

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सनातन संस्कृति को विश्व पटल पर नई पहचान मिली है। उन्होंने कहा—“500 वर्षों के बाद अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हुआ, काशी विश्वनाथ धाम का कायाकल्प हुआ। छत्तीसगढ़ तो स्वयं भगवान श्रीराम का ननिहाल है—माता कौशल्या की पावन भूमि है।” उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सभी वर्गों की उन्नति और कल्याण के लिए अनेक जनकल्याणकारी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। रामलला दर्शन योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि इसके माध्यम से अब तक 38 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला का दर्शन किया है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गायत्री मंत्र के 24 अक्षर 24 सिद्धियों और शक्तियों के प्रतीक हैं, जो मानव जीवन को ऊर्जा, सदाचार और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं। कार्यक्रम के दौरान देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज हरिद्वार के कुलपति डॉ. चिन्मय पण्डया ने मुख्यमंत्री का सम्मान करते हुए उन्हें अभिनंदन पत्र भेंट किया।

इस अवसर पर कौशल विकास एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री गुरु खुशवंत साहेब सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। साथ ही देशभर से आए अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

140 नवविवाहित जोड़ों को दिया आशीर्वाद – कन्या विवाह योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि प्रदान

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत हसौद में परिणय-सूत्र में बंधने वाले 140 नवविवाहित जोड़ों को शुभकामनाएँ और आशीर्वाद दिया।

जैतखाम में पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने हसौद प्रवास के दौरान जैतखाम पहुँचकर विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की। उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि, शांति, कल्याण एवं निरंतर प्रगति की कामना की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बाबा गुरु घासीदास जी के सत्य, अहिंसा, समानता, सामाजिक समरसता तथा ‘मनखे-मनखे एक समान’ के संदेश हमें समाज में सद्भाव और एकता का मार्ग दिखाते हैं। उन्होंने जनसमूह से आह्वान किया कि इन आदर्शों को आत्मसात कर विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में सक्रिय योगदान दें।


धमतरी में रिकॉर्ड रफ्तार से धान खरीदी

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किसानों को 409 करोड़ का हुआ भुगतान

रायपुर, खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के अंतर्गत धमतरी जिले में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन एवं कस्टम मिलिंग कार्य तेजी और पारदर्शिता के साथ जारी है। प्रशासन की सतत मॉनिटरिंग और व्यवस्थित व्यवस्था के कारण किसानों को सुगम, पारदर्शी और त्वरित सेवाएँ मिल रही हैं।

जिले में 10 दिसंबर तक 1,72,568.60 मी.टन धान खरीदा गया है, जिसके एवज में किसानों को 409.32 करोड़ रुपये का त्वरित भुगतान किया गया है। कुल 37,084 किसानों द्वारा धान विक्रय किए जाने से कृषि समुदाय को मजबूत आर्थिक संबल मिला है।

कस्टम मिलिंग में भी तेज प्रगति

कस्टम मिलिंग हेतु 5,52,336 मी.टन धान की अनुमति प्रदान की गई है, जिनमें से 4,54,272 मी.टन का अनुबंध मिलर्स से किया जा चुका है। अब तक 19,611 मी.टन धान का डी.ओ. जारी होने के साथ समितियों से 7,966 मी.टन धान का उठाव भी पूर्ण किया गया है। समितियों में 1,64,602.60 मी.टन धान शेष है, जिसके त्वरित उठाव के निर्देश दिए गए हैं।

टोकन सिस्टम से पारदर्शी खरीदी

टोकन आधारित व्यवस्था ने खरीदी प्रक्रिया को अधिक सुचारू बनाया है। 10 दिसंबर तक 17,134 टोकन जारी किए गए, जिनसे 1,34,59.92 क्विंटल धान का उपार्जन दर्ज हुआ। इसी अवधि में 3,133 कृषकों ने 86.53 हेक्टेयर रकबे से धान बेचा है। लंबित आवेदन केवल 7 हैं, जिनका शीघ्र निराकरण किया जा रहा है।

अवैध परिवहन पर सख्ती

प्रशासन द्वारा अवैध धान परिवहन के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है। अब तक 3,652.40 क्विंटल धान एवं 02 वाहन जप्त किए गए हैं, जिनकी कुल कीमत लगभग 28 लाख रुपये आँकी गई है।

फोटो अपलोड एवं सत्यापन 99.68% पूर्ण

धान बेचने वाले 3,133 किसानों में से 3,123 किसानों ने फोटो अपलोड कर दिया है, जो 99.68 प्रतिशत उपलब्धि दर्शाता है।

कृषक श्रेणीवार प्रगति

जिले में सीमांत, लघु और दीर्घ श्रेणी सहित 37,084 किसानों ने धान बेचा है। पंजीकृत 74,611 किसानों में से 18,768 किसानों ने अब तक विक्रय किया है। शेष किसानों को निर्धारित तारीखों के अनुसार टोकन के माध्यम से बुलाया जाएगा।

कमांड सेंटर से की जा रही है सतत निगरानी

कलेक्टर के निर्देशन में कमांड सेंटर द्वारा धान उपार्जन, रकबा समर्पण, शिकायत निवारण और फोटो सत्यापन की निरंतर समीक्षा की जा रही है। प्रशासन का लक्ष्य है कि प्रत्येक पात्र किसान को समय पर टोकन उपलब्ध कराया जाए, खरीदी बिना किसी बाधा के हो और भुगतान शीघ्र किसानों के खातों में पहुँचे। धमतरी जिले में धान खरीदी कार्य पूरी तरह पारदर्शी, व्यवस्थित और किसानहित में निर्बाध रूप से प्रगति पर है।


ग्राफ्टेड बैंगन से बदली खेती की तस्वीर – खरसिया के किसान मुरलीधर साहू ने

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राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना ने दी नई दिशा, कम लागत में लाखों की आय का रास्ता खुला

आधुनिक तकनीक व उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन से 80 क्विंटल से बढ़कर 170 क्विंटल तक पहुँची उपज

रायपुर, ग्राफ्टेड बैंगन एक ऐसा पौधा है जो दो अलग-अलग पौधों के हिस्सों को जोड़कर बनाया जाता है, एक मजबूत जड़ वाला पौधा (रूटस्टॉक) और एक उच्च गुणवत्ता वाला फल देने वाला पौधा (स्कायन)। इस तकनीक से बैंगन की पैदावार बढ़ती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, और मिट्टी से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं।

रायगढ़ जिले के विकासखण्ड खरसिया के ग्राम करूमौहा के किसान श्री मुरलीधर साहू आज आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। कभी परंपरागत धान की खेती करने वाले श्री साहू को लागत अधिक और लाभ कम होने के कारण खेती में संतुष्टि नहीं थी। इसी बीच उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया। यही मार्गदर्शन उनके कृषि जीवन में बड़ा बदलाव साबित हुआ।

कम लागत में उत्पादन में बड़ा इजाफा

उद्यानिकी विभाग द्वारा समय-समय पर दी गई तकनीकी सलाह, प्रशिक्षण एवं प्रेरणा से उनका रूझान पारंपरिक खेती से बदलकर उद्यानिकी फसलों की ओर बढ़ा। विभाग की अनुशंसा पर उन्होंने अपनी एक हेक्टेयर भूमि में ग्राफ्टेड बैंगन फसल का रोपण किया। जैविक खाद और जैविक दवाओं के प्रयोग से लागत भी कम रही और उत्पादन क्षमता में बड़ा इजाफा देखने को मिला।

आधुनिक तकनीक से तीन गुना लाभ

राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत उन्हें 20 हजार रुपए का अनुदान भी मिला। इससे आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था हुई और खेती की दिशा व दशा दोनों बदली। पहले जहां उपज 80 से 85 क्विटंल उत्पादन होता था वहीं आधुनिक तकनीक अपनाने के बाद उपज बढ़कर 150 से 70 क्विंटल तक पहुँच गई। बाजार भाव अच्छा मिलने पर कुल आय 4.5 लाख रुपए और कुल लाभ लगभग 3 लाख रुपए तक पहुँच गया, जो पहले की तुलना में तीन गुना है।

जैविक पद्धति और कम लागत में अधिक उत्पादन

मुरलीधर साहू की सफलता को देखकर आसपास के ग्रामीण एवं वनांचल क्षेत्रों के किसान भी उद्यानिकी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। आधुनिक कृषि तकनीक, जैविक पद्धति और कम लागत में अधिक उत्पादन का संदेश दूर-दूर तक फैल रहा है। उनकी यह सफलता कहानी बताती है कि सही मार्गदर्शन, आधुनिक तकनीक और योजनाओं का लाभ लेकर किसान आज आर्थिक रूप से मजबूती की दिशा में बड़े कदम उठा सकते हैं।

एक हेक्टेयर से बनी मिसाल”, ग्राफ्टेड बैंगन ने बदली आर्थिक स्थिति

खरसिया के किसान मुरलीधर साहू ने एक हेक्टेयर में ग्राफ्टेड बैंगन की आधुनिक खेती अपनाकर उत्पादन को लगभग दोगुना कर दिया। जैविक विधियों, विभागीय मार्गदर्शन और बागवानी मिशन से प्राप्त अनुदान के सहारे उन्हें इस सीजन में करीब 3 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। इस उपलब्धि ने क्षेत्र के किसानों में नई ऊर्जा और उम्मीद जगाई है।


पुरस्कार भी मिलेंगे, जिले के विजेताओं को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल किया जायेगा

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कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए सभी जिलों में होगीं कविता-कहानी प्रतियोगिताएं

विद्यार्थियों से 30 दिसंबर तक ली जायेगी स्वरचित कहानियां और कविताएं

रायपुर, 11 दिसंबर 2025/ नवा रायपुर में अगले महीने होने वाले साहित्य उत्सव के पहले प्रदेश के सभी जिलों में महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं के लिए कहानी एवं कविता प्रतियोगिताएं आयोजित होगी। इन दोनों प्रतियोगिताओं में जिला स्तर पर विजेताओं को पुरस्कार भी मिलेंगे। जिले के विजेताओं को राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में शामिल किया जायेगा और सर्वोत्कृष्ठ कहानी तथा कविता को रायपुर साहित्य उत्सव में पुरस्कृत किया जायेगा। इस प्रतियोगिता के लिये जिलेवार नोडल अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं।

प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेेने के इच्छुक छात्र-छात्राएं अपनी स्वरचित कविता और कहानी 30 दिसंबर 2025 तक जिले के नोडल अधिकारी कार्यालय में जमा करा सकते हैं। 30 दिसंबर के बाद मिली कहानियों-कविताओं को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा। प्रदेश की समृद्धशाली साहित्यिक विरासत को लोगों तक पहुंचानें और साहित्य लेखन में युवाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए नवा रायपुर में 23-25 जनवरी 2026 तक रायपुर साहित्य उत्सव का आयोजन होगा।

साहित्य उत्सव के तहत जिलेवार महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के लिए आयोजित होने वाली कविता-कहानी प्रतियोगिताओं में पहले पुरस्कार के रूप में 5,100 रूपए, दूसरे पुरस्कार के रूप में 3,100 रूपए और तीसरे पुरस्कार के रूप में 1,500 रूपए की धनराशि दी जाएगी। इसी तरह दोनों प्रतियोगिताओं में 1000-1000 रूपए के तीन-तीन प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिए जायेंगे। जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त कहानी-कविताओं को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल किया जायेगा। राज्य स्तर पर पहले पुरस्कार के रूप में 21,000 रूपए, दूसरे पुरस्कार के रूप में 11,000 रूपए और तीसरे पुरस्कार के रूप में 7,000 रूपए की धनराशि दी जाएगी। इसी तरह दोनों प्रतियोगिताओं में राज्य स्तर पर 5,100-5,100 रूपए के तीन-तीन प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिए जायेंगे।

प्रतियोगिता में शामिल की जाने वाली कविता न्यूनतम 8 छंदों की मौलिक, अप्रकाशित तथा टंकित होनी चाहिए। इसी तरह कहानी 1200 शब्दों में मौलिक, अप्रकाशित और टंकित होनी चाहिए। प्रतिभागी किसी महाविद्यालय-विश्वविद्यालय का विद्यार्थी हो एवं उसकी आयु 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रतिभागी को अपने महाविद्यालय का परिचय पत्र अथवा प्राचार्य का प्रमाणपत्र भी लगाना होगा। प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल का निर्णय अंतिम और सर्वमान्य होगा। पुरस्कारों की घोषणा जनवरी 2026 में की जाएगी और पुरस्कृत प्रतिभागियों को 23, 24, 25 जनवरी 2026 को होने वाले रायपुर साहित्य उत्सव में पुरस्कृत किया जाएगा। प्रविष्टी जमा करते समय कविता-कहानी के प्रारंभ में ऊपर एवं लिफाफे पर “युवा हिंदी कविता-कहानी लेखन प्रतियोगिता“ अवश्य अंकित करना होगा। पुरस्कृत कविताओं-कहानियों का संकलन कर प्रकाशित किया जाएगा जिसका विमोचन रायपुर साहित्य उत्सव के मंच पर किया जाएगा।