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धान खरीदी केंद्रों का कलेक्टर ने किया आकस्मिक निरीक्षण

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निर्धारित मात्रा से अधिक धान तौलने पर चिखलाकसा केंद्र प्रबंधक को दिया कारण बताओ नोटिस

रायपुर, समर्थन मूल्य पर धान खरीदी व्यवस्था को पूरी तरह पारदर्शी, निष्पक्ष और किसान हितैषी बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा सख्त कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है। जिसके तहत बालोद कलेक्टर श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा ने आज डौण्डीलोहरा एवं डौण्डी विकासखण्ड के विभिन्न धान खरीदी केन्द्रों का आकस्मिक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की गहन पड़ताल की।
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने डौण्डीलोहरा विकासखण्ड के गैंजी तथा डौण्डी विकासखण्ड के चिखलाकसा, कोटागांव, भर्रीटोला एवं घोटिया धान खरीदी केन्द्रों में उपलब्ध दस्तावेजों का सूक्ष्म अवलोकन किया। उन्होंने अब तक खरीदी गई कुल धान की मात्रा, ग्रामवार औसत पैदावार, रकबा समर्पण की स्थिति तथा पंजी संधारण की विस्तार से समीक्षा की।

निर्धारित मात्रा से अधिक धान मिलने पर की गई कड़ी कार्यवाही

डौण्डी विकासखण्ड स्थित धान खरीदी केन्द्र चिखलाकसा के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने मौके पर धान बोरों की तौल कराई। तौलाई के दौरान चार अलग-अलग बोरों में धान की मात्रा निर्धारित मानक 40 किलो 680 ग्राम से अधिक, लगभग 41 किलोग्राम पाई गई। इस गंभीर अनियमितता पर कलेक्टर श्रीमती मिश्रा ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए समिति प्रबंधक एवं कर्मचारियों को कड़ी फटकार लगाई तथा समिति प्रबंधक श्री भगवान सिंह ठाकुर को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि धान खरीदी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही या नियमों का उल्लंघन कतई स्वीकार्य नहीं होगा।

रकबा समर्पण और सत्यापन पर विशेष जोर

धान खरीदी केन्द्र गैंजी के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने रकबा समर्पण की स्थिति की जानकारी लेते हुए एक टोकन वाले किसानों के साथ-साथ 02 एकड़ से अधिक एवं 10 एकड़ से अधिक रकबा रखने वाले किसानों की संख्या की भी समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने धान विक्रय हेतु पहुँचे किसान श्री दीपक यामले से चर्चा कर उन्हें धान बिक्री के पश्चात शेष रकबे का अनिवार्य रूप से समर्पण करने की समझाइश दी। किसान द्वारा घर में शेष लगभग 130 क्विंटल धान रखे होने की जानकारी पर कलेक्टर ने ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, पटवारी एवं संबंधित अधिकारियों की संयुक्त टीम को किसान के घर भेजकर भौतिक सत्यापन करने के निर्देश दिए।

गुणवत्ता और नमी जांच पर भी सख्ती

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर श्रीमती मिश्रा ने धान खरीदी केन्द्रों में किसानों द्वारा बिक्री हेतु लाए गए धान का अवलोकन किया तथा नमी मापक यंत्र से नमी जांच अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए। उन्होंने किसानों को केवल साफ-सुथरा एवं गुणवत्तायुक्त धान ही बिक्री हेतु लाने की समझाइश दी।

नोडल अधिकारी और निगरानी समिति को दिए आवश्यक निर्देश
धान खरीदी केन्द्र चिखलाकसा में कलेक्टर ने नोडल अधिकारी, समिति प्रबंधक एवं निगरानी समिति के सदस्यों से व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने रकबा समर्पण पंजी का अवलोकन कर अब तक समर्पण करने वाले किसानों की संख्या की समीक्षा की तथा निर्देश दिए कि नोडल अधिकारी एवं निगरानी समिति के सदस्य प्रतिदिन सुबह अनिवार्य रूप से खरीदी केन्द्र में उपस्थित रहें और धान खरीदी कार्य को सुचारू रूप से संपन्न कराएं।
उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि डबल टोकन की स्थिति में रकबा सत्यापन के उपरांत ही धान खरीदी की जाए। साथ ही अब तक धान विक्रय करने वाले किसानों की संख्या, कुल खरीदी मात्रा तथा पिछले वर्ष की औसत खरीदी से तुलना की भी जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर श्रीमती मिश्रा ने मौके पर उपस्थित किसानों से संवाद कर खरीदी केन्द्रों की व्यवस्थाओं के संबंध में फीडबैक लिया और धान बिक्री के उपरांत शेष रकबे का अनिवार्य रूप से समर्पण करने की अपील की। इस अवसर पर अनेक किसानों द्वारा मौके पर ही शेष रकबे का समर्पण भी किया गया।


सुव्यवस्थित धान खरीदी से बढ़ा किसानों का भरोसा

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कांकरिया उपार्जन केंद्र की व्यवस्था बनी मिसाल

रायपुर,पूरे छत्तीसगढ़ सहित धमतरी जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की प्रक्रिया को पूरी तरह सुव्यवस्थित, पारदर्शी और किसान-हितैषी ढंग से संचालित किया जा रहा है। किसानों की सुविधा और समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए जिले के सभी धान उपार्जन केंद्रों में नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है, जो लगातार निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं। इसका सकारात्मक परिणाम यह है कि किसान बिना किसी परेशानी के अपना धान बेच पा रहे हैं और शासकीय योजनाओं का सीधा लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

धान खरीदी प्रक्रिया में तुंहर टोकन ऐप ने किसानों के लिए व्यवस्था को और अधिक सरल व सुगम बना दिया है। समय पर टोकन उपलब्ध होना, केंद्रों में व्यवस्थित तौल, बैठने की सुविधा, पेयजल एवं छाया जैसी मूलभूत व्यवस्थाओं ने किसानों का शासन-प्रशासन पर भरोसा और मजबूत किया है। धमतरी जिले के किसान इन व्यवस्थाओं से संतुष्ट होकर खुशी व्यक्त कर रहे हैं।

ऐसी ही एक प्रेरक सफलता की कहानी है ग्राम पोटियाडीह के किसान श्री नरेन्द्र कांकरिया की। श्री कांकरिया ने खरीफ मौसम में अपने 8 एकड़ 15 डिस्मिल रकबे में धान की खेती की। उन्हें तुंहर टोकन ऐप के माध्यम से पहले टोकन में 80 क्विंटल धान बेचने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि उपार्जन केंद्र पर पहुंचने से लेकर तौल और रसीद प्राप्त होने तक पूरी प्रक्रिया सहज, पारदर्शी और परेशानी-मुक्त रही।

किसान श्री कांकरिया ने बताया कि पिछले वर्ष समर्थन मूल्य पर धान विक्रय से प्राप्त राशि से उन्होंने ट्रैक्टर खरीदा था, जिससे खेती के कार्य में सुविधा हुई और उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई। ट्रैक्टर पर लिया गया ऋण अभी चल रहा है, जिसे वे इस वर्ष धान विक्रय से प्राप्त राशि से चुकाने की योजना बना रहे हैं। साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) का बकाया भुगतान करने की भी उनकी तैयारी है। उनका कहना है कि समय पर भुगतान मिलने से आर्थिक दबाव कम होता है और खेती में पुनः निवेश करने का आत्मविश्वास बढ़ता है।

श्री नरेन्द्र कांकरिया ने बेहतर व्यवस्थाओं के लिए शासन-प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि धान उपार्जन केंद्रों में उपलब्ध सुविधाओं और सुचारू व्यवस्था के कारण किसानों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ रहा है। उन्होंने इसे किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और आय बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

धमतरी जिले में धान खरीदी की यह सुव्यवस्थित और पारदर्शी व्यवस्था न केवल किसानों की मेहनत को सम्मान दे रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रही है। यह शासकीय पहल किसानों के जीवन में स्थायी और सकारात्मक परिवर्तन लाने का सशक्त उदाहरण बन रही है।


मंत्री लखन लाल देवांगन की पत्रकार वार्ता

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संशोधित

संरचनात्मक सुधारों से छत्तीसगढ़ में निवेशकों का भरोसा बढ़ा, जमीनी क्रियान्वयन तेज़

रायपुर, छत्तीसगढ़ अब सिर्फ निवेश आकर्षित नहीं कर रहा उन्हें तेज़ी से ज़मीन पर भी उतार रहा है। नवंबर 2024 से अब तक राज्य ने 18 क्षेत्रों में 7.83 लाख करोड़ रूपए के 219 निवेश प्रस्ताव हासिल किए हैं। इनमें सेमीकंडक्टर और एआई से लेकर सीमेंट, बिजली और मैन्युफैक्चरिंग तक शामिल हैं। ये परियोजनाएँ राज्य के अन्य जिलों में फैली हैं, जिनसे 1.5 लाख रोजगार सृजित होंगे और यह पूरे राज्य में संतुलित विकास की ओर एक बड़ा संकेत है। प्रेस वार्ता में सी एस आई डी सी के अध्यक्ष श्री राजीव अग्रवाल, सचिव उद्योग श्री रजत कुमार, संचालक उद्योग श्री प्रभात मालिक, सी एस आई डी सी के प्रबंध संचालक श्री विश्वेष कुमार मौजूद थे.

अब निवेश केवल रायपुर तक सीमित नहीं हैं। प्रश्तवित निवेशों की विशेष बात ये है कि हर 5 में से। निवेश (21 प्रतिशत) आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में हैं। 33 प्रतिशत रायपुर संभाग में और 46 प्रतिशत बिलासपुर, दुर्ग और सरगुजा संभागों में।

क्षेत्रीय विविधता ने मजबूती दी है। लगभग 50 प्रतिशत निवेश प्राथमिक (थ्रस्ट) क्षेत्रों में हैं जैसे सेमीकंडक्टर और एआई डेटा सेंटर पार्क वहीं सीमेंट और बिजली जैसे पारंपरिक उद्योग भी मजबूत बने हुए हैं। कुल निवेश प्रस्तावों में 57 परियोजनाएँ 1,000 करोड़ रूपए से अधिक की है और 34 परियोजनाएँ 1,000 से ज्यादा रोजगार देने वाली हैं।

असल कहानी है तेज़ क्रियान्वयन की। 6.063 करोड़ रूपए की 9 बड़ी परियोजनाएँ चालू हो चुकी हैं, जिनसे उत्पादन शुरू हो गया है और 5,500 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा 109 परियोजनाएँ यानी लगभग आधी उन्नत चरण में हैं। ये या तो निर्माणाधीन हैं या भूमि आवंटन के बाद आगे बढ़ चुकी हैं। ये 24 जिलों और 16 क्षेत्रों में फैली हैं और जल्द ही 87,132 रोजगार सृजित करेंगी। खास बात यह है कि इनमें से 58 प्रतिशत परियोजनाएँ आतिथ्य एवं स्वास्थ्य, फूड प्रोसेसिंग, आईटी, इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और फार्मा जैसे प्राथमिक क्षेत्रों से जुड़ी हैं।

प्रमुख परियोजनाएँ इस रफ्तार को साफ दिखाती हैं। पोलिमेटेक की 10,000 करोड़ रूपए से अधिक की सेमीकंडक्टर फेक्ट्री जो छत्तीसगढ़ की पहली हे को सिर्फ 45 दिनों में भूमि आवंटित हुआ और काम तेज़ी से शुरू हुआ। रेकबैंक का 1,000 करोड़ रूपए का एआई डेटा सेंटर पार्क- देश का पहला-अब लगभग पूरा होने वाला है। ड्रल्स का 625 करोड़ रूपए का पेट फूड विस्तार प्रोजेक्ट ट्रायल प्रोडक्शन में है और इससे 3,000 रोजगार मिलेंगे। वी-राइज़ का तीसरा भारत कार्यालय एक आईटी यूनिट निर्माणाधीन है। अल्ट्राटेक सीमेंट का 1,600 करोड़ रूपए का निवेश चालू हो चुका है। आदित्य बिड़ला समूह का 67.5 मेगावाट का सोलर प्लांट मई में शुरू हो गया। वहीं बस्तर में रापपुर स्टोन क्लिनिक का 350-बेड अस्पताल लगभग तैयार है, जिससे आदिवासी परिवारों को उन्नत स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलेंगी

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, ‘जो राज्य कभी मुख्य रूप से लोह और इस्पात के लिए जाना जाता था. वह अब सेमीकंडक्टर, एआई डेटा सेंटर पार्क, नवीकरणीय ऊर्जा, फूड प्रोसेसिंग और उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं जैसे नए क्षेत्रों का केंद्र बन रहा है। कंपनियाँ सिर्फ निवेश का निर्णय नहीं ले रहीं, बल्कि जल्द से जल्द काम शुरू करना बाहती हैं। हमारी सरकार हर उद्यमी के लिए व्यापार को आसान बनाने और हर चरण में पूरा सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।‘

मंत्री लखन लाल देवांगन ने कहा, ‘सुधारों ने विवेकाधिकार की जगह पारदर्शिता लाई है. जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। इसका असर साफ दिखता है सरल प्रक्रियाएँ और बड़े पैमाने पर जमीन पर उतरती परियोजनाएँ। यह साबित करता है कि संवेदनशील शासन उद्योग को गति देता है।‘

वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव श्री रजत कुमार ने कहा हमारा फोकस यह सुनिश्चित करता है कि निवेश प्रस्ताव के बाद निवेशकों की गति न रुके। तेज़ भूमि आवंटन, डिजिटल स्वीकृतियों ओर बेहतर समन्वय से कंपनियों बिना देरी के इरादे से निर्माण तक पहुंच पा रही है।

इस तेज़ उछाल के पीछे कई अग्रणी सुधार हैं-132 स्वीकृतियों के लिए वन-क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम जन विश्वास अधिनियम के तहत 279 छोटे अपराधों का अपराधमुक्तिकरण (दो जन विश्वास अधिनियम लागू करने वाला पहला राज्य), स्वचालित भूमि म्यूटेशन लागू करने वाला पहला राज्य; एफएआर और ग्राउंड कवरेज में वृद्धि और सेटबेक में कमी, डिजिटल भूमि विवरण (रजिस्ट्री. आरओआर, टैक्स बकाया, न्यायालय प्रकरण); लेआउट और भवन
स्वीकृति के लिए एकीकृत सॉफ्टवेयर, 24X7 संचालन और विस्तारित फायर एनओसी। इन सुधारों के चलते डीपीआईआईटी से चार श्रेणियों में ‘टॉप अचीवर‘ की मान्यता मिली।

ये सभी पहल केवल आर्थिक विकास नहीं, बल्कि गति, जवाबदेही और ज़मीनी परिणामों पर केंद्रित प्रशासनिक संस्कृति को दर्शाती हैं। निवेश की विविधता और क्रियान्वयन की रफ्तार एक बात साफ कर देती है-छत्तीसगढ़ अब सिर्फ निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर नहीं कर रहा, बल्कि वास्तविक परियोजनाएँ बना रहा है, वास्तविक रोजगार पैदा कर रहा है और वास्तविक बदलाव ला रहा है।

वाणिज्य एवं उद्‌योग विभाग, छत्तीसगढ़


जहाँ बंदूकें खामोश हुईं, वहाँ भविष्य की नींव रखी जा रही है

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पुनर्वास केंद्र में 35 आत्मसमर्पित नक्सली बने राजमिस्त्री

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल से सुकमा में पुनर्वास नीति बनी मिसाल

रायपुर, कभी जिन हाथों में बंदूकें थीं, आज उन्हीं हाथों में औज़ार हैं। कभी जिन रास्तों पर हिंसा और डर का साया था, आज वहीं विकास और भरोसे की नींव रखी जा रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की संवेदनशील सोच और स्पष्ट मंशा के अनुरूप सुकमा जिले में आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास की एक नई और सकारात्मक तस्वीर उभरकर सामने आई है। वहाँ पुनर्वास केंद्र में रह रहे 35 आत्मसमर्पित नक्सलियों को राजमिस्त्री (मेसन) का व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस पहल की गई है।

यह प्रशिक्षण जिला प्रशासन और एसबीआई आरसेटी के संयुक्त सहयोग से संचालित किया जा रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 15 महिलाएं और 20 पुरुष शामिल हैं। इन्हें भवन निर्माण से जुड़े सभी आवश्यक तकनीकी और व्यावहारिक कौशल—जैसे नींव निर्माण, ईंट चिनाई, प्लास्टर कार्य, छत ढलाई, गुणवत्ता मानक का व्यवस्थित और चरणबद्ध प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि ये किसी भी निर्माण कार्य में दक्षता के साथ काम कर सकें।

यह पहल केवल रोजगार प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मसमर्पित युवाओं के जीवन को नई दिशा देने का सशक्त माध्यम बन रही है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये युवा प्रधानमंत्री आवास योजना(ग्रामीण )के तहत जिले में अधूरे और नए आवासों के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। इससे एक ओर उन्हें स्थायी और सम्मानजनक रोजगार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर नक्सल प्रभावित और दुर्गम क्षेत्रों में लंबे समय से चली आ रही कुशल राजमिस्त्रियों की कमी भी दूर होगी।

कलेक्टर श्री देवेश ध्रुव ने इस पहल को सामाजिक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि आत्मसमर्पण का वास्तविक अर्थ केवल हथियार छोड़ना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनकर समाज की मुख्यधारा में सम्मान के साथ लौटना है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का प्रयास है कि पुनर्वास केंद्र में रह रहे युवाओं को कौशल, रोजगार और सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि वे सम्मान के साथ जीवन जी सकें।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री मुकुन्द ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण सहित विभिन्न शासकीय निर्माण कार्यों के सफल क्रियान्वयन के लिए कुशल मानव संसाधन अत्यंत आवश्यक है। यह प्रशिक्षण आत्मसमर्पित युवाओं को रोजगार और सामाजिक सरोकार से जोड़ेगा।

पोलमपल्ली निवासी पुनर्वासित पोड़ियम भीमा बताते हैं कि वे लगभग 30 वर्षों तक संगठन से जुड़े रहे, लेकिन आत्मसमर्पण के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है। “यहाँ रहने और खाने की अच्छी व्यवस्था है। हमें राजमिस्त्री का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पहले इलेक्ट्रीशियन मैकेनिक का प्रशिक्षण भी मिला। अब मैं सम्मान के साथ काम कर सकूंगा।

पुवर्ती निवासी मुचाकी रनवती बताती हैं कि वे 24 वर्षों तक संगठन से जुड़ी रहीं। पुनर्वास के बाद मुझे सिलाई का प्रशिक्षण मिला। अब राजमिस्त्री का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हम अपने परिवार से मिल पाए, बस्तर ओलंपिक में भाग लिया और प्रथम पुरस्कार भी जीता। शासन की योजनाओं का पूरा लाभ मिल रहा है।

डब्बमरका निवासी गंगा वेट्टी ने कहा कि पुनर्वास के बाद उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है। जिला प्रशासन ने मोबाइल और राजमिस्त्री किट दी है। शिविर लगाकर आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड और जॉब कार्ड बनाए गए हैं। कोई समस्या होती है तो कलेक्टर और एसपी तुरंत सुनवाई करते हैं।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस पहल को लेकर कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार संवाद, संवेदना और विकास के माध्यम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। आत्मसमर्पित युवाओं को हुनर, रोजगार और सम्मान देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ना राज्य की पुनर्वास नीति का मूल उद्देश्य है।

सुकमा जिले में चल रहा आत्मसमर्पित युवाओं को रोजगार मूलक कार्यों से जोड़ने का यह प्रयास इस बात का प्रमाण है कि संवेदनशील प्रशासन, भरोसे और विकासपरक योजनाओं के जरिए हिंसा के रास्ते पर भटके युवाओं को नई पहचान और बेहतर भविष्य दिया जा सकता है। यही पुनर्वास की असली सफलता है और यही स्थायी शांति की मजबूत नींव।


राज्य में नई गाइडलाइन दरें लागू : वैज्ञानिक युक्तिकरण से बाजार मूल्य के अनुरूप निर्धारण

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रायपुर, केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड, छत्तीसगढ़ द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राज्य के विभिन्न जिलों की नवीन गाइडलाइन दरों को अनुमोदन प्रदान किया गया है। यह गाइडलाइन व्यापक सर्वेक्षण, क्षेत्रीय अध्ययन तथा वैज्ञानिक, निष्पक्ष और तर्कसंगत आधार पर तैयार की गई है। नई दरें 20 नवंबर 2025 से प्रदेशभर में प्रभावशील हैं। शासन का उद्देश्य भूमि के वास्तविक बाजार मूल्य को प्रतिबिंबित करना, वर्षों से चली आ रही विसंगतियों को समाप्त करना तथा भूमि क्रय-विक्रय और पंजीयन प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी एवं जनहितैषी बनाना है।

इसी कड़ी में रायगढ़ जिले की नई गाइडलाइन दरों को अनुमोदन प्रदान किया गया है। कार्यालय जिला पंजीयक रायगढ़ के अनुसार यह गाइडलाइन दरें विभाग द्वारा किए गए व्यापक सर्वेक्षण, वैज्ञानिक अध्ययन एवं निष्पक्ष विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई हैं। नई दरें पारदर्शी, सरल एवं व्यवहारिक हैं, जिनमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में दरों का नए सिरे से युक्तियुक्तकरण किया गया है। इससे जिले में भूमि क्रय-विक्रय, पंजीयन एवं राजस्व प्रक्रिया अधिक सुगम होगी तथा किसानों, आम नागरिकों और व्यापारियों की वास्तविक परिस्थितियों के अनुरूप संतुलन स्थापित किया गया है।

उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग आठ वर्षों से गाइडलाइन दरों में कोई व्यापक परिवर्तन नहीं हुआ था। इस अवधि में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के चलते नई सड़कें, गलियां और आवासीय क्षेत्र विकसित हुए, वहीं पुराने गाइडलाइन ढांचे में लगातार नई कंडिकाएं जुड़ती चली गईं। परिणामस्वरूप एक ही वार्ड या एक ही सड़क पर अलग-अलग दरें प्रचलित हो गई थीं। इससे जहां शासकीय गाइडलाइन दर और वास्तविक बाजार मूल्य के बीच बड़ा अंतर उत्पन्न हो गया था, वहीं भूमि स्वामियों को आर्थिक हानि के साथ-साथ बैंक ऋण एवं भू-अर्जन में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इन सभी विसंगतियों को दूर करने के उद्देश्य से वर्ष 2025-26 में वैज्ञानिक एवं पारदर्शी पद्धति से नई कलेक्टर दर गाइडलाइन तैयार की गई है।

जिले के सभी उपपंजीयक कार्यालय रायगढ़, खरसिया, घरघोड़ा एवं धरमजयगढ़ में पूर्व में 141 वार्डों में कुल 515 कंडिकाएं थीं, जिन्हें समायोजित कर अब 178 कंडिकाएं निर्धारित की गई हैं। नगरीय क्षेत्रों में गाइडलाइन दरें पूर्व की असमानताओं को समाप्त करते हुए पुनर्गठित की गई हैं। रायगढ़ नगर पालिक निगम क्षेत्र में पहले 48 वार्डों में 295 कंडिकाएं थीं, जिन्हें विलोपित कर अब 48 वार्डों में केवल 71 कंडिकाएं रखी गई हैं। इसका उद्देश्य दरों में एकरूपता लाना और एक ही क्षेत्र के लिए अलग-अलग दरों की विसंगति को समाप्त करना है।

उदाहरणस्वरूप नगर निगम रायगढ़ के वार्ड क्रमांक 1 में कोतरा रोड जैसे एक ही मार्ग पर पहले अलग-अलग कंडिकाओं के कारण भिन्न दरें प्रचलित थीं। कहीं मुख्य मार्ग की दर 10,790 रुपये थी तो कहीं 10,000 रुपये, जबकि अंदरूनी क्षेत्रों की दरें भी अलग-अलग थीं। नई गाइडलाइन में इन सभी कंडिकाओं को समेकित कर एक ही मार्ग पर आमने-सामने समान दरें निर्धारित की गई हैं तथा वार्ड सीमाओं के भीतर अंदरूनी क्षेत्रों की दरों को भी एकसमान किया गया है। इसी प्रकार वार्ड क्रमांक 12 में एक ही सड़क पर विभिन्न कंडिकाओं के कारण 40,000 रुपये से लेकर 13,300 रुपये तक की अलग-अलग मुख्य मार्ग दरें थीं, जिन्हें अब युक्तियुक्तकरण कर एक समान कर दिया गया है।

एक ही मुख्य मार्ग से लगे अलग-अलग वार्डों में भी पूर्व में दरों में भारी अंतर पाया गया था। उदाहरण के तौर पर रेलवे अंडरब्रिज से जुटमिल मार्ग या मुस्लिम कब्रिस्तान से खराखाट रपटा पुल जैसे मार्गों पर अलग-अलग वार्डों में अलग-अलग दरें थीं, जबकि बाजार मूल्य लगभग समान था। नई गाइडलाइन में ऐसे सभी मामलों में पूरे मार्ग पर समान दरें लागू की गई हैं। इसी प्रकार वार्ड क्रमांक 17 के मुख्य मार्ग की युक्तियुक्त दर को वार्ड क्रमांक 01, 14, 15, 16, 39 एवं 40 तक समान रूप से लागू किया गया है।

नगर निगम क्षेत्र की कॉलोनियों में भी व्यापक सुधार किया गया है। वर्तमान में नगर निगम सीमा के भीतर 267 कॉलोनियां और सीमा के बाहर 11 कॉलोनियां हैं। पूर्व में इन कॉलोनियों की दरों में काफी भिन्नता थी, जिसे समाप्त कर समान प्रकृति और समान सुविधाओं वाली कॉलोनियों के लिए एकसमान दरें निर्धारित की गई हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में गाइडलाइन का निर्धारण नक्शों और जियो-लोकेशन आधारित सर्वे के माध्यम से किया गया है। सर्वे में यह पाया गया कि मुख्य मार्ग और अन्य मार्ग पर स्थित समान प्रकार की भूमि का बाजार मूल्य लगभग समान है। इसी आधार पर मुख्य मार्ग तथा अन्य मार्ग के आमने-सामने स्थित भूमि की दरों में समानता रखी गई है। ग्रामों से होकर गुजरने वाली सड़कों के दोनों ओर स्थित गांवों की दरों को भी एकसमान किया गया है। आसपास स्थित और समान महत्व वाले ग्रामों को वर्गीकृत कर प्रत्येक वर्ग के लिए एक समान दर निर्धारित की गई है।

उदाहरण के रूप में रायगढ़–खरसिया मुख्य मार्ग पर स्थित ग्राम जोरापाली, धनागर और रामपुर छोटे; रायगढ़–घरघोड़ा मार्ग पर लाखा, गेरवानी और शिवपुरी; तथा रायगढ़ से जिंदल स्टील प्लांट होते हुए खरसिया मार्ग पर खैरपुर और बिराईपानी में समान परिस्थितियों के आधार पर दरों का युक्तियुक्तकरण किया गया है। वहीं रायगढ़ से ओडिशा नेशनल हाईवे के बीच स्थित ग्राम झलमला, भाठनपाली, दूमरमुडा और मिडमिका में मुख्य मार्ग और अंदरूनी क्षेत्रों के बीच वर्षों से चली आ रही विसंगतियों को भी समायोजित किया गया है।

इसके साथ ही शासन द्वारा जनसुविधा की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण राहतें भी दी गई हैं। हकत्याग, दानपत्र एवं बंटवारा नामा जैसे दस्तावेजों पर पंजीयन शुल्क मात्र 500 रुपये निर्धारित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में वर्गमीटर दर को समाप्त कर भूमि का मूल्यांकन हेक्टेयर दर पर किए जाने का प्रावधान किया गया है। परिवर्तित भूमि में सिंचित भूमि की दो गुना गणना समाप्त की गई है तथा वृक्षों पर लगने वाले प्रभार भी समाप्त कर दिए गए हैं।

नई गाइडलाइन दरों के निर्धारण में शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की वास्तविक परिस्थितियों, जनसामान्य के हित, पारदर्शिता और वैज्ञानिकता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। जिले के सभी वार्डों और कॉलोनियों में वर्षों से चली आ रही असमानताओं को दूर करते हुए दरों को तर्कसंगत, संतुलित और न्यायसंगत बनाया गया है। नई व्यवस्था से जहां आम नागरिकों को अनावश्यक आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी, वहीं भूमि क्रय-विक्रय और पंजीयन की प्रक्रिया अधिक सरल, स्पष्ट और पारदर्शी होगी।


बाबा के बताए मार्ग पर चलकर ही बनेगा विकसित छत्तीसगढ़: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

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लालपुर में महाविद्यालय की घोषणा सहित विकास कार्यों की सौगात

सरकार प्रत्येक पात्र किसान से धान खरीदी के लिए पूर्णतः संकल्पित

मंदिर एवं जैतखाम में पूजा-अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि की कामना

लालपुर धाम में गुरु घासीदास जयंती एवं तीन दिवसीय मेले में शामिल हुए मुख्यमंत्री श्री साय

रायपुर, बाबा गुरु घासीदास द्वारा बताए गए सत्य, समानता और मानवता के मार्ग पर चलकर ही छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार महापुरुषों के आदर्शों और सपनों के अनुरूप समतामूलक, न्यायपूर्ण और समृद्ध छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में निरंतर प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज मुंगेली जिले के लालपुर में आयोजित गुरु घासीदास जयंती एवं तीन दिवसीय मेला कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर लालपुर में नवीन महाविद्यालय की स्थापना, मेला एवं कार्यक्रम आयोजन हेतु दी जाने वाली राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने, कार्यक्रम स्थल पर प्रवेश द्वार निर्माण के लिए 25 लाख रुपये तथा मुंगेली सतनाम भवन के जीर्णोद्धार हेतु 25 लाख रुपये की स्वीकृति की घोषणा की।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री साय ने बाबा गुरु घासीदास मंदिर एवं जैतखाम में विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि, खुशहाली और जनकल्याण के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अधिकांश गारंटियों को पूरा किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक 18 लाख आवासों की स्वीकृति दी जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार प्रत्येक पात्र किसान से धान खरीदी के लिए पूर्णतः संकल्पित है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बीते दो वर्षों में धान के रकबे और किसानों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की 70 लाख महिलाओं को महतारी वंदन योजना का लाभ दिया जा रहा है। पीएसी चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नई औद्योगिक नीति लागू की गई है, जिससे समाज के प्रत्येक वर्ग का बेटा-बेटी उद्यमी बन सके। उन्होंने सभी के सहयोग से विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण का आह्वान किया। इस अवसर पर सतनाम आचार संहिता एवं जागरूकता कैलेंडर का भी विमोचन किया गया।

उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने कहा कि अनुसूचित जाति प्राधिकरण को सशक्त करते हुए इसके बजट को 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 75 करोड़ रुपये किया गया है। कैबिनेट मंत्री श्री गुरु खुशवंत साहेब ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य में सर्व समाज का समावेशी विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित समाज के पांच प्रतिभावान बेटा-बेटियों को पायलट प्रशिक्षण हेतु 15-15 लाख रुपये की सहायता देने का निर्णय सरकार की दूरदर्शिता को दर्शाता है।

कार्यक्रम में खाद्य मंत्री श्री दयालदास बघेल, विधायक श्री डोमन लाल कोरसेवाड़ा, पूर्व विधायक श्री सनम जांगड़े, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री श्रीकांत पांडेय, उपाध्यक्ष श्रीमती शांति देवचरण भास्कर, जनपद अध्यक्ष लोरमी श्रीमती वर्षा विक्रम सिंह, नगर पंचायत अध्यक्ष श्री सुजीत वर्मा सहित अनेक जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं बड़ी संख्या में सतनामी समाज के अनुयायी उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री श्री साय से साहू समाज के प्रतिनिधिमंडल ने की सौजन्य मुलाकात

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रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से विगत दिवस छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन में साहू समाज के प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री श्री साय ने साहू समाज के नवनिर्वाचित पदाधिकारी को बधाई और शुभकामनाएं दी।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, विधायक श्री ईश्वर साहू, विधायक श्री इंद्र कुमार साहू सहित साहू समाज के नवनिर्वाचित प्रांतीय अध्यक्ष डॉ नीरेंद्र साहू,उपाध्यक्ष श्री सत्यप्रकाश साहू, श्री गिरजा साहू, श्री नारद साहू, श्री नन्द लाल साहू श्री चंद्रभूषण साहू सहित साहू समाज के नवनिर्वाचित राज्य स्तरीय तथा जिला स्तरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री श्री साय से मास्टर एथलीट फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रतिभागियों ने की सौजन्य भेंट

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रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से विगत दिवस छत्तीसगढ़ विधानसभा के कार्यालय कक्ष में मास्टर एथलीट फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रतिभागियों के प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य भेंट की। मास्टर एथलीट फेडरेशन ऑफ इंडिया के द्वारा 5 से 9 नवम्बर तक चेन्नई में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर राज्य का नाम रोशन किया।

इस प्रतियोगिता में प्रदेश के भिलाई, बिलासपुर, महासमुंद और बस्तर से आए खिलाड़ियों ने भाग लिया और विभिन्न स्पर्धाओं में जीत हासिल की।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने सभी खिलाड़ियों को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी और कहा कि खिलाड़ियों की मेहनत, अनुशासन और लगन से छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिली है। उन्होंने भविष्य में भी इसी तरह उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल उपस्थित थे।


मनखे-मनखे एक समान’ की भावना को साकार करता मेगा हेल्थ कैम्प : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

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सेवा, समरसता और स्वास्थ्य का जीवंत संगम : विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह

परम् पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती पर मानव सेवा का महाअभियान — रायपुर में 5 दिवसीय निःशुल्क मेगा हेल्थ कैम्प प्रारंभ

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने परम् पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती के पावन अवसर पर राजधानी रायपुर में मानव सेवा, सामाजिक समरसता और स्वास्थ्य जागरूकता के लिए आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर में 18 से 22 दिसंबर तक आयोजित 5 दिवसीय निःशुल्क मेगा हेल्थ कैम्प 2025 का भव्य शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए अमन, चैन और समृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा कि यह 5 दिवसीय निःशुल्क मेगा हेल्थ कैम्प हजारों लोगों के लिए स्वास्थ्य संजीवनी सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ अपने गठन के रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर चुका है और इन 25 वर्षों में स्वास्थ्य सहित सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संचालित आयुष्मान भारत योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह योजना अंतिम व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएँ सुनिश्चित कर रही है। वहीं राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत गंभीर बीमारियों के उपचार हेतु ₹25 लाख तक की सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि “हेल्थ इज वेल्थ” केवल एक नारा नहीं, बल्कि जीवन को बचाने और संवारने का संकल्प है। मुख्यमंत्री ने विधायक श्री राजेश मूणत एवं उनकी पूरी टीम को इस विशाल आयोजन के लिए बधाई दी और कैम्प परिसर में विभिन्न जांच स्टालों का अवलोकन भी किया।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर पर कहा कि यह आयोजन मात्र एक स्वास्थ्य शिविर नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व और मानवीय करुणा की सशक्त अभिव्यक्ति है। बाबा गुरु घासीदास जी के “सत्य, अहिंसा और समानता” के संदेश से प्रेरित यह महाअभियान समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने का अनुकरणीय प्रयास है। उन्होंने बताया कि 100 से अधिक विशेषज्ञ चिकित्सकों की सहभागिता से यह कैम्प केवल प्राथमिक जांच तक सीमित नहीं, बल्कि अंतिम निदान एवं उपचार तक का समग्र समाधान प्रदान कर रहा है। डॉ. सिंह ने आयोजन की सुव्यवस्थित व्यवस्था और व्यापक प्रभाव की सराहना की।

स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती पर आयोजित यह स्वास्थ्य महाकुम्भ समाज के हर वर्ग के लिए अत्यंत लाभकारी है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सहित पड़ोसी राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग इस कैम्प में स्वास्थ्य लाभ लेने पहुँचे हैं। जिन रोगियों का उपचार कैम्प में संभव नहीं होगा, उन्हें आयुष्मान कार्ड के माध्यम से संबद्ध संस्थानों में निःशुल्क इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के निरंतर विस्तार की प्रतिबद्धता दोहराई।

कार्यक्रम के आयोजक एवं विधायक श्री राजेश मूणत ने बताया कि बाबा गुरु घासीदास जी के अमर संदेश “मनखे-मनखे एक समान” से प्रेरित होकर इस मेगा हेल्थ कैम्प का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि एक ही छत के नीचे स्वास्थ्य की सभी प्रमुख विधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं, जहाँ एक्स-रे, ईको, सोनोग्राफी सहित विविध जांचें एवं आवश्यक दवाइयाँ पूर्णतः निःशुल्क दी जा रही हैं। महिलाओं के लिए ब्रेस्ट कैंसर जांच हेतु अत्याधुनिक मशीनों की विशेष व्यवस्था की गई है। एम्स रायपुर, बालाजी, रावतपुरा, गंगा डायग्नोसिस सहित अनेक प्रतिष्ठित संस्थान और देशभर से आए विशेषज्ञ चिकित्सक इस सेवा कार्य में सहभागिता निभा रहे हैं।

कार्यक्रम को विधायक श्री किरण सिंह देव ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर वन मंत्री श्री केदार कश्यप, खाद्य मंत्री श्री दयाल दास बघेल, कौशल विकास मंत्री गुरु खुशवंत साहेब, विधायक श्री सुनील सोनी, श्री पुरंदर मिश्रा, श्री मोतीलाल साहू, श्री अनुज शर्मा, श्री डोमन लाल कोर्सेवाड़ा, महापौर श्रीमती मीनल चौबे, छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष श्री रूप नारायण सिन्हा, एम्स रायपुर के निदेशक डॉ. अशोक जिंदल, वरिष्ठ चिकित्सकगण, जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।


पूरी दुनिया मे लगभग 54 crore लोग diabetic है। शुगर (मधुमेह) एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में ग्लूकोज (शर्करा) का स्तर बढ़ जाता है, क्योंकि शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पाता डॉ खुर्शीद खान पूर्व चिकित्सा अधिकारी शासकीय सिविल अस्पताल धरमजयगढ़

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पूरी दुनिया मे लगभग 54 crore लोग diabetic है। शुगर (मधुमेह) एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में ग्लूकोज (शर्करा) का स्तर बढ़ जाता है, क्योंकि शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पाता डॉ खुर्शीद खान पूर्व चिकित्सा अधिकारी शासकीय सिविल अस्पताल धरमजयगढ़
इसके मुख्य प्रकार
टाइप 1,टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज हैं।

जिसमें बार-बार पेशाब आना, ज़्यादा प्यास लगना, थकान और वज़न घटना जैसे लक्षण दिखते हैं, और इसका प्रबंधन स्वस्थ आहार, व्यायाम और दवाओं से किया जाता है.

शुगर एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है जहाँ खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, क्योंकि इंसुलिन हार्मोन की कमी या इंसुलिन प्रतिरोध (resistance) के कारण ग्लूकोज कोशिकाओं तक नहीं पहुँच पाता.

ग्लूकोज शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, और इंसुलिन इसे कोशिकाओं तक पहुँचाने में मदद करता है.

शुगर के प्रकार
टाइप 1: शरीर बिल्कुल इंसुलिन नहीं बनाता.
टाइप 2: शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता या पर्याप्त नहीं बनाता (यह सबसे आम है).
जेस्टेशनल डायबिटीज: गर्भावस्था के दौरान होती है.

शुगर के लक्षण
-बार-बार पेशाब आना
-बहुत ज़्यादा प्यास लगना और भूख लगना,-थकान महसूस होना
-अचानक वज़न घटना,-धुंधला दिखाई देना
-चोट लगने पर घाव का धीरे-धीरे भरना,हाथ-पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन

शुगर के कारण
आनुवंशिक (जेनेटिक) कारण
खराब जीवनशैली (कम शारीरिक गतिविधि, मीठा ज़्यादा खाना)
मोटापा
ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (टाइप 1 शुगर के लिए)

पहचान कैसे करें (जांच)

-फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज (FBG): खाली पेट 100 mg/dL से कम सामान्य, 100-124 mg/dL प्री-डायबिटीज, 125 mg/dL या अधिक डायबिटीज.

-पोस्टप्रेंडियल (PP): खाने के 2 घंटे बाद 140 mg/dL से कम सामान्य, 140-199 mg/dL प्री-डायबिटीज, 200 mg/dL या अधिक डायबिटीज.

– HbA1c: पिछले 3 महीनों का औसत ब्लड शुगर बताता है (6.5% से ऊपर डायबिटीज).

नियंत्रण और प्रबंधन

-आहार: कार्बोहाइड्रेट, चीनी और प्रोसेस्ड फूड्स कम करें; फाइबर युक्त भोजन खाएं.
-व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करें (जैसे टहलना, योग).
-वज़न नियंत्रण: स्वस्थ वज़न बनाए रखें.
-दवाएँ और इंसुलिन: डॉक्टर की सलाह के अनुसार.
शुगर एक गंभीर बीमारी है, इसलिए स्व-उपचार (self-treatment) से बचें और हमेशा डॉक्टर से सलाह लें.